Chai Par Sameeksha: धर्म का राजनीति में बढ़ रहा प्रभाव, जीत के लिए कुछ भी करने पर आमादा हैं नेता

swami prasad maurya
ANI
अंकित सिंह । Feb 20 2023 5:42PM

नीरज दुबे ने कहा कि जब हम हिंदू और हिंदुत्व को धर्म की परिधि में देखते हैं तो वहीं पर हम गलती कर देते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म ग्रंथ उठाकर देख लीजिए, कहीं भी हिंदू और हिंदुत्व का जिक्र नहीं है। हम इसे धार्मिक एंगल से देखते हैं लेकिन भौगोलिक एंगल है।

प्रभासाक्षी के साथ साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने इस सप्ताह धर्म को लेकर देश में चल रहे विवाद पर चर्चा की जिसमें हिंदू राष्ट्र, ओम और अल्लाह टीपू सुल्तान जैसे मामले शामिल हैं। हमने नीरज दुबे से यही सवाल किया कि आखिर देश में हिंदू मुस्लिम की राजनीति लगातार कैसे जारी रह रही है? क्या रामचरितमानस, टीपू सुल्तान जैसे मुद्दों पर विराम लगेगा? इसके जवाब में नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जो भी हिंदू-मुस्लिम कर रहे हैं, वह पूरी तरीके से सियासी लोग हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब-जब चुनाव आते हैं, ध्रुवीकरण की राजनीति हमारे देश में होती ही है और अब तक यह लगातार चलता आया है। सब अपने आप को सेकुलर कहते हैं, लेकिन धर्म की राजनीति करने में पीछे कोई नहीं रहता। इसके साथ ही प्रभासाक्षी के संपादक ने यह भी कहा कि असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बातें कही जाती हैं। 

नीरज दुबे ने यह भी कहा कि विपक्ष भले ही सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दों की बात करता है, लेकिन जब संसद सत्र की शुरुआत होती है तो वह इन मुद्दों से भटक जाता है और कहीं और चला जाता है। टीपू सुल्तान के मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा कि कर्नाटक में चुनाव है इसलिए मुद्दा उठाया जा रहा है। हिंदू राष्ट्र का मुद्दा इसलिए उठ रहा है क्योंकि उत्तर भारत के कुछ प्रमुख राज्यों में इस साल चुनाव है और अगले साल लोकसभा के भी चुनाव है। बागेश्वर धाम सरकार भी राजनीति के केंद्र में है। वहां तमाम नेता जा रहे हैं। चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल धर्म का सहारा लेना चाहती हैं। लेकिन जो लोग धर्म विरोधी बयान दे रहे हैं, वे अपने केंद्रीय नेताओं के निर्देश पर खास मिशन में लगे हुए हैं। इस दौरान नीरज दुबे ने स्वामी प्रसाद मौर्य का जिक्र किया।

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नीरज दुबे ने कहा कि जब हम हिंदू और हिंदुत्व को धर्म की परिधि में देखते हैं तो वहीं पर हम गलती कर देते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म ग्रंथ उठाकर देख लीजिए, कहीं भी हिंदू और हिंदुत्व का जिक्र नहीं है। हम इसे धार्मिक एंगल से देखते हैं लेकिन भौगोलिक एंगल है। सिंधु के इस पार जो लोग भी थे, वे सारे हिंदू थे। उन्होंने कहा कि जो हिंदुस्तान में जन्मा है, यहां की मिट्टी में खेला, बड़ा हुआ है, जो यहां का अनाज खा रहा है, वह हिंदू नहीं तो और कौन है। हिंदू शब्द को भौगोलिक आधार पर तय किया गया है। इसे धर्म से नहीं जोड़ जाना चाहिए। हिंदुत्व एक जीवन शैली और संस्कृति है। जो हिंदू और हिंदुत्व की बात कर रहे हैं, क्या वे इसे समझते भी हैं।

इसके साथ ही नीरज दुबे ने मदनी के उस बयान पर भी तंज कसा जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारा धर्म सबसे पुराना है। नीरज दुबे ने कहा कि इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है। प्रभासाक्षी के संपादक ने यह भी कहा कि आज का युग विज्ञान का युग है। आज की युवा इस तरह की बातों पर हंसती है। भारत जिस तरीके से प्रगति कर रहा है, उस वजह से कुछ लोगों को दिक्कत हो रही है और वही लोग भारत में इस तरह के बयानों पर विवाद पैदा करना चाहते हैं। जो देश पहले शक्तिशाली माने जाते थे, उनके लिए भारत आज सहयोगी और महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। भारत की जो क्षमता है उसका सही उपयोग होना चाहिए। इसे धर्म और जाति की लड़ाई में नहीं झोंका जाना चाहिए। भारत आजादी का अमृत काल मना रहा है, ऐसे में हम सब को यह सोचना चाहिए कि देश के विकास में क्या योगदान दे सकते हैं।

- अंकित सिंह

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