Chai Par Sameeksha: प्रियंका गांधी वाड्रा यदि कांग्रेस की पीएम उम्मीदवार बनेंगी तो क्या होगा?

Priyanka Gandhi
ANI
अंकित सिंह । May 22 2023 3:31PM

प्रियंका मोदी के खिलाफ भी चुनाव नहीं लड़ीं। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद यह कहा गया कि प्रियंका गांधी को थोड़ा समय मिलना चाहिए। यह समय मिला भी। 2022 की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में उतरी।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बढ़ती राजनीतिक सरगर्मियों के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाये जाने की बढ़ती मांग और कर्नाटक में नयी सरकार के गठन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर कांग्रेस पहले दिन से ही ज्यादा खुशफहमी में है लेकिन यह जान लेना चाहिए कि उनका बौद्धिक स्तर अपने भाई राहुल गांधी जितना ही है और प्रशासनिक अनुभव उनके पास भी अपने भाई की तरह शून्य ही है। सांगठनिक कौशल भी वह अब तक साबित नहीं कर पाई हैं। 

नीरज दुबे ने कहा कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं कोई अधिकार होता है कि वह किसी भी नेता को लेकर अपनी मांग को रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि 2019 चुनाव के समय प्रियंका गांधी राजनीति में आई थीं तब उनको लेकर खूब चर्चा की गई थी। दावा किया गया था कि उनके आने से भाजपा बैकफुट पर आ गई। यह भी कहा गया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ सकती हैं। उस दौरान खूब कहा गया कि प्रियंका गांधी इंदिरा गांधी की तरह दिखती हैं, उनकी तरफ कपड़े भी पहनती हैं। प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी भी दी गई। लेकिन हमने देखा कि किस तरीके से जो गांधी परिवार का गढ़ रायबरेली और अमेठी हैं, वहां प्रियंका गांधी के नेतृत्व में ही कांग्रेस का बुरा हाल हो गया। सोनिया गांधी चुनाव जीतने में कामयाब हो गई तो वहीं दूसरी और राहुल गांधी गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से चुनाव हार गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को जिस तरीके से लांच किया गया, उसका पार्टी को फायदा नहीं मिला।

इसे भी पढ़ें: कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत विपक्षी एकता की राह में बाधा बन गयी है

प्रियंका मोदी के खिलाफ भी चुनाव नहीं लड़ीं। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद यह कहा गया कि प्रियंका गांधी को थोड़ा समय मिलना चाहिए। यह समय मिला भी। 2022 की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में उतरी। लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा भी दिया गया। लेकिन पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। इतना ही नहीं, हाल में ही नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भी पार्टी बुरी तरीके से पराजित हो गई। ऐसे में बड़ा सवाल प्रियंका गांधी को लेकर ही उठ रहा है। हमें यह भी देखना चाहिए कि जिन राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली है, वहां सत्ता परिवर्तन हर 5 साल में होता रहा है। प्रियंका गांधी के प्रचार से अगर कांग्रेस को जीत मिलती तो गुजरात में भी इसका असर देखने को मिलता। साथ ही साथ नॉर्थईस्ट में हाल में ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को जीत मिलती।

नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि आज देश को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। देश की जनता समझ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा है। दुनिया में इसकी छवि मजबूत हुई है। मोदी की दुनिया में अप्रूवल रेटिंग भी बढ़ी है। नीरज दूबे ने यह भी कहा कि मोदी से बढ़ीया नेता भी हो सकता है। प्रियंका गांधी के संगठन कुशलता को लेकर नीरज दुबे ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी फिलहाल उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं। लेकिन क्या वह उत्तर प्रदेश में पार्टी को खड़ा कर पाई। वर्तमान में उत्तर प्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष कौन है, इसका कोई नाम नहीं जानता है। ऐसे में उनके संगठन कौशल पर कौन विश्वास करें। प्रियंका गांधी अगर कांग्रेस के भीतर विवादों को सुलझाने में कारगर साबित होती तो अब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट का विवाद भी सुलझ गया होता। छत्तीसगढ़ में टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल का विवाद नहीं हो रहा होता।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़