कब थमेगा कांग्रेस में बिखराव का सिलसिला ? मुकुल रॉय क्यों थे भाजपा से नाराज ?

pic
अंकित सिंह । Jun 12 2021 2:58PM

गठबंधनों के टूटने बनने का सिलसिला तो शुरू हुआ ही है साथ ही विपक्षी पार्टियों का विभिन्न मुद्दों पर धरना प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। यही नहीं विभिन्न राज्यों में जिस तरह मुख्यमंत्रियों के खिलाफ उनके ही दल के नेता बगावत पर उतर रहे हैं वह दर्शा रहा है कि सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं बल्कि सत्तारुढ़ दल में मुख्यमंत्री के विरोधी भी कोरोना महामारी के दौरान सरकार की खराब हुई छवि का लाभ उठाने का मौका नहीं छोड़ना चाहते।

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के बीच राजनीतिक चर्चा भी तेज है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में अंतर्कलह के खबरें लगातार आ रही है। कांग्रेस जहां राजस्थान और पंजाब में अंतर्कलह और गुटबाजी से जूझ रही है। वहीं भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में सब कुछ सहज नजर नहीं आ रहा है। इन सब के बीच कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही बड़ा झटका लगा है। एक ओर जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा को ज्वाइन कर लिया तो वहीं पश्चिम बंगाल की रणनीति में अहम भूमिका निभाने वाले भाजपा उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने पार्टी को अलविदा कहते हुए टीएमसी में घर वापसी कर ली। विभिन्न दल आगामी चुनावों की तैयारियों में जुट गये हैं। इस सप्ताह के चाय पर समीक्षा कार्यक्रम में हमने इन्हीं विषयों पर चर्चा की। प्रभासाक्षी के इस खास कार्यक्रम में मौजूद रहे संपादक नीरज कुमार दुबे। 

 

इसे भी पढ़ें: क्या भाजपा में अब तक तृणमूल कांग्रेस के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे मुकुल रॉय ?

हमने महाराष्ट्र में शिवसेना के बदले सूर पर भी चर्चा की। कैसे शिवसेना अब प्रधानमंत्री को सर्वश्रेष्ठ नेता बता रही है। साथ ही साथ हमने यह भी समझने की कोशिश कि कि जिस तरह से कांग्रेस के कई नेता एक-एक करके पार्टी छोड़ रहे हैं उससे उसकी अगली पीढ़ी कैसी रहेगी? जिस तरह देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस नेतृत्व और नीतियों के मामले में शिथिल पड़ती जा रही है वह दर्शाता है कि जल्द ही बड़ी 'सर्जरी' नहीं की गयी तो यह ग्रैण्ड ओल्ड पार्टी पूरी तरह बिखर जायेगी। आज जी-23 के जो नेता राहुल गांधी के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं वह तब भी उनके खिलाफ थे जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष रहने के दौरान उनकी जो किचन कैबिनेट थी उसमें शामिल नेता एक-एक कर कांग्रेस छोड़ते जा रहे हैं। देखना होगा कि यह सिलसिला कहाँ जाकर रुकता है? गठबंधनों के टूटने बनने का सिलसिला तो शुरू हुआ ही है साथ ही विपक्षी पार्टियों का विभिन्न मुद्दों पर धरना प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। यही नहीं विभिन्न राज्यों में जिस तरह मुख्यमंत्रियों के खिलाफ उनके ही दल के नेता बगावत पर उतर रहे हैं वह दर्शा रहा है कि सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं बल्कि सत्तारुढ़ दल में मुख्यमंत्री के विरोधी भी कोरोना महामारी के दौरान सरकार की खराब हुई छवि का लाभ उठाने का मौका नहीं छोड़ना चाहते।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में वापस लौटे

भाजपा के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय भगवा दल को जोरदार झटका देते हुए अपने पुत्र शुभ्रांशु के साथ अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट गए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य की सत्ताधारी पार्टी के अन्य नेताओं ने वापसी उनका स्वागत किया। पार्टी में औपचारिक रूप से फिर से शामिल होने के पहले मुकुल रॉय ने तृणमूल भवन में ममता बनर्जी के साथ मुलाकात की। तृणमूल के संस्थापकों में शामिल रॉय ने कहा कि वह सभी परिचित चेहरों को फिर से देखकर खुश हैं। रॉय के पार्टी में शामिल होने के बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रॉय को भाजपा में धमकी दी गई थी और उन्हें प्रताड़ित किया गया, जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुकुल की वापसी साबित करती है कि भाजपा किसी को भी चैन से नहीं रहने देती और सब पर अनुचित दबाव डालती है।

इसे भी पढ़ें: दिल्ली से 'जीत' हासिल कर यूपी लौटे हैं मुख्यमंत्री योगी, अब होंगे यह बड़े बदलाव

इस मौके पर आयोजित समारोह में रॉय मुख्यमंत्री के बायीं ओर बैठे थे और अभिषेक उनके बाद बैठे थे। वहीं, पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी मुख्यमंत्री के दाहिने ओर बैठे थे। तृणमूल सूत्रों के अनुसार, यह पार्टी के भविष्य के क्रम का संकेत था। ममता ने कहा कि उन्होंने (रॉय) जो भूमिका पहले निभाई, वह वही भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि रॉय की वास्तविक भूमिका बाद में तय की जाएगी। उन्होंने हालांकि, यह भी कहा कि पार्टी पहले से ही मजबूत है, हम शानदार जीत के साथ लौटे हैं। तृणमूल सुप्रीमो ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा आम लोगों की पार्टी नहीं है, वह जमींदारों की पार्टी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत तरीके से उपयोग करती है। दिलचस्प है कि ममता और रॉय दोनों ने दावा किया कि उनके बीच कभी भी कोई मतभेद नहीं था। ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल सांसद अभिषेक के हाल ही में शहर के एक अस्पताल में रॉय की पत्नी से मिलने के बाद उनकी संभावित घर वापसी को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। अभिषेक के दौरे के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर रॉय की पत्नी के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। 

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार प्रधानमंत्री का यह कदम रॉय को भाजपा में बनाए रखने का प्रयास था। हालांकि, उस समय रॉय ने भाजपा छोड़ने की किसी भी इच्छा से इनकार किया था, लेकिन उन्होंने चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस समर्थकों की कथित हिंसा पर चर्चा के लिए भाजपा की राज्य इकाई की बैठक में भाग नहीं लिया था। ममता ने कहा कि वह उन लोगों के मामले पर विचार करेंगी, जो मुकुल रॉय के साथ पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और अब वे वापस आना चाहते हैं। उनके इस बयान को संकेत माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भाजपा की बंगाल इकाई से दलबदल की शुरुआत हो सकती है। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी दूसरे दल में शामिल हो गए अन्य नेताओं को भी वापस लेगी, ममता ने स्पष्ट किया कि अप्रैल-मई के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले लोगों को वापस नहीं लिया जाएगा। 

पायलट नाराज नहीं, कैबिनेट में खाली पदों को जल्द भरा जाएगा: कांग्रेस

कांग्रेस ने पार्टी की राजस्थान इकाई में फिर से टकराव की स्थिति बनने की खबरों के बीच शुक्रवार को कहा कि प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट नाराज नहीं हैं तथा राज्य कैबिनेट एवं सरकार के निगमों एवं बोर्ड में खाली पदों को जल्द ही सबसे बातचीत कर भरा जाएगा। पार्टी महासचिव और राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने यह भी कहा कि पायलट के साथ उनकी रोजाना बातचीत हो रही है। गौरतलब है कि सचिन पायलट की नाराजगी की खबरों के बीच उनके समर्थक विधायकों ने उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों के समाधान में देरी पर नाराजगी जताई है। पायलट के करीबी करीब आधा दर्जन विधायकों ने बृहस्पतिवार को सिविल लाइन्स स्थित उनके निवास पर उनसे मुलाकात भी की। इन अटकलों के बीच पायलट शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे। हालांकि उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री पारिवारिक कारणों से अक्सर दिल्ली के दौरे पर जाते हैं। 

इसे भी पढ़ें: दिग्विजय के ऑडियो लीक पर भाजपा बोली, कांग्रेस की पाकिस्तान के साथ सांठगांठ

माकन ने पायलट समर्थक विधायकों की कथित नाराजगी से जुड़े सवाल पर यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है। सबकी सुनी जा रही है। सबके साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने बताया, ‘‘ जो रिक्त पद हैं, चाहे वह कैबिनेट में हों या सरकार के अंदर, बोर्डों या निगमों में हों, सबसे बातचीत कर इनको जल्द भरा जाएगा। जल्द ही नियुक्तियां होंगी।’’ पायलट की नाराजगी से जुड़े प्रश्न पर माकन ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। मेरी उनसे रोज बात हो रही है। अगर वह नाराज होते तो क्या हमारी बात होती? पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद पायलट और उनके समर्थक विधायकों की कथित नाराजगी की अटकलों को बल मिला है। उधर, पायलट ने भाजपा नेता रीता बहुगुणा जोशी पर तंज कसते हुए कहा कि हो सकता है कि भाजपा नेत्री ने (क्रिकेटर) सचिन तेंदुलकर से बात की हो। पायलट ने कहा कि बहुगुणा में उनसे बात करने की हिम्मत नहीं है। गौरतलब है कि भाजपा नेता रीता बहुगुणा ने पिछले दिनों कहा था कि उन्होंने कथित तौर पर नाराज चल रहे कांग्रेस नेता से भाजपा में शामिल होने के बारे में बात की थी।

शिवसेना ने जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने का माखौल उड़ाया, कांग्रेस को दी सलाह

शिवसेना ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के नेता जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करने के बाद भाजपा द्वारा उत्सव मनाने को ‘हस्यास्पद’ करार दिया, लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपनी पार्टी के लिए मजबूत टीम बनाना होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रसाद (47) उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार से आते हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में लिखा कि युवा नेता प्रसाद कांग्रेस के लिए किसी काम के नहीं थे और भाजपा के लिए भी ऐसे ही होंगे। शिवसेना ने कहा, ‘‘जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट युवा नेता हैं और उनसे बहुत अधिक उम्मीदें हैं। कांग्रेस में अहमद पटेल और राजीव सातव के निधन के बाद पहले से ही खालीपन है। यह अच्छा नहीं है कि युवा नेता भाजपा की ओर जा रहे हैं।’’ 

इसे भी पढ़ें: PM मोदी कर रहे हैं मंत्रियों संग बैठक, 2 साल में किए गए कामकाज का ले रहे हैं लेखा-जोखा

सामना ने लिखा, ‘‘उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले प्रसाद अंतत: भाजपा में शामिल हो गए। प्रसाद के परिवार के सदस्य कांग्रेस के वफादार रहे हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री मनामोहन सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे। हालांकि, वह विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारते रहे। भाजपा नेता अब प्रसाद के अपनी पार्टी में शामिल होने पर जश्न मना रहे हैं। इसके पीछे उत्तर प्रदेश की जातीय राजनीति है। कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण मतों पर नजर प्रसाद के भाजपा में शामिल होने का कारण है।’’ शिवसेना ने सवाल करते हुए लिखा, ‘‘अगर प्रसाद की ब्राह्मण मतों पर पकड़ थी तो वे मत कांग्रेस को क्यों नहीं हस्तांतरित हुए?’’ 

जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल, फैसले को राजनीतिक जीवन का नया अध्याय बताया

लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और युवा नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले इसे भाजपा के लिए फायदे और कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भाजपा सांसद अनिल बलूनी की मौजूदगी में प्रसाद ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बलूनी ने इस अवसर पर कहा, ‘‘भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर जितिन प्रसाद भाजपा परिवार में शामिल हुए हैं। हम उनका स्वागत करते हैं।’’ इसके बाद गोयल ने उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई और पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा को उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘जितिन प्रसाद युवा नेता हैं जो जमीन से जुड़े हैं और लोकप्रिय भी हैं। ऐसे कद्दावर नेता की मैं उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका देखता हूं।’’

 भाजपा में शामिल होने के बाद प्रसाद ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। शाह ने प्रसाद का भाजपा में स्वागत करते हुए विश्वास जताया कि उनके पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में भाजपा को और मजबूती मिलेगी। पार्टी में ‘‘सम्मान’’ के साथ शामिल करने के लिए प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शाह और नड्डा को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने बहुत विचार-मंथन के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज से मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरु हो रहा है।’’ भगवा दल में शामिल होने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अनुभव किया कि अगर देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है तो वह भाजपा ही है। उन्होंने कहा, ‘‘बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र विशेष के होकर रह गए हैं। आज देश हित के लिए कोई दल और नेता सबसे उपयुक्त है और वह मजबूती के साथ खड़ा है तो वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।’’ 

इसे भी पढ़ें: सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार: उमर अब्दुल्ला


प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नि:स्वार्थ भाव से भारत की सेवा कर रहे हैं और सभी चुनौतियों का डट कर मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वह जिस नये भारत का निर्माण कर रहे हैं उसमें मुझे भी छोटा सा योगदान आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए करने को मिलेगा। यह विचार करके मैं आज इस निर्णय (भाजपा में शामिल होने के) पर पहुंचा हूं।’’ प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस में रह कर वह जनता के हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे थे इसलिए वहां बने रहने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘अब भाजपा वह माध्यम बनेगी। एक सशक्त संगठन और मजबूत नेतृत्व है यहां, जिसकी आज देश को जरूरत है। मैं इस वक्त ज्यादा बोलना नहीं चाहता, मेरा काम बोलेगा। अब मैं एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा। जो उद्देश्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का है उसको लेकर मैं भाजपा के एक कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा।’’ 

मोदी देश और भाजपा के शीर्ष नेता: संजय राउत

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हाल ही में दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा कि मोदी देश और भाजपा के शीर्ष नेता हैं। राउत से पूछा गया था कि मीडिया में खबरें आई हैं कि आरएसएस राज्यों के चुनावों में राज्य के नेताओं को चेहरे के रूप में पेश करने पर विचार कर रहा है। ऐसे में क्या उन्हें लगता है कि मोदी की लोकप्रियता कम हुई है। इस सवाल पर राउत ने कहा, मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता...मैंने मीडिया में आईं खबरें नहीं देखी है। इस बारे में कोई आधिकारिक बयान भी नहीं आया है... पिछले सात साल में भाजपा की सफलता का श्रेय मोदी को जाता है। वह अभी देश और अपनी पार्टी के शीर्ष नेता हैं। शिवसेना के राज्य सभा सदस्य राउत फिलहाल उत्तर महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। उन्होंने जलगांव में पत्रकारों से यह बात कही। उन्होंने कहा कि शिवसेना का हमेशा से मानना रहा है कि प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, किसी एक पार्टी के नहीं। राउत ने कहा, लिहाजा, प्रधानमंत्री को चुनाव अभियान में शामिल नहीं होना चाहिये क्योंकि इससे आधिकारिक मशीनरी पर दबाव पड़ता है। हाल ही में महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि अगर मोदी चाहें तो उनकी पार्टी बाघ (शिवसेना का चुनाव चिन्ह) से दोस्ती कर सकती है। इस पर राउत ने कहा, बाघ के साथ कोई दोस्ती नहीं कर सकता।

इसे भी पढ़ें: ब्राह्मण वोटों को साधने की कोशिश, योगी सरकार में मंत्री बन सकते हैं जितिन प्रसाद !

शिअद, बसपा ने 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया

पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने शनिवार को गठबंधन किया। संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन की घोषणा करते हुए शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसे ‘‘पंजाब की राजनीति में नया सवेरा बताया।’’ बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा की उपस्थिति में उन्होंने कहा, ‘‘आज ऐतिहासिक दिन है... पंजाब की राजनीति की बड़ी घटना है।’’ उन्होंने कहा कि शिअद और बसपा साथ मिलकर 2022 विधानसभा चुनाव और अन्य चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मायावती नीत बसपा पंजाब के 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर चुनाव लड़ेगी, बाकी सीटें शिअद के हिस्से में आएंगी। बसपा के हिस्से में जालंधर का करतारपुर साहिब, जालंधर पश्चिम, जालंधर उत्तर, फगवाड़ा, होशियारपुर सदर, दासुया, रुपनगर जिले में चमकौर साहिब, पठानकोट जिले में बस्सी पठाना, सुजानपुर, अमृतसर उत्तर और अमृतसर मध्य आदि सीटें आयी हैं। इससे पहले शिअद का भाजपा के साथ गठबंधन था, लेकिन पिछले साल केन्द्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को लेकर बादल नीत पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ छोड़ दिया। शिअद के साथ गठबंधन में भाजपा 23 सीटों पर चुनाव लड़ा करती थी।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़