बचपन में गरीबी का सामना करने से लेकर ओलंपिक का सपना पूरा करने तक; रानी रामपाल का सफर!

rani rampal
निधि अविनाश । Aug 3 2021 11:12AM

भारत की हॉकी क्वीन रानी रामपाल का सफर काफी कठिनाइयों से गुजरा। आपको बता दें कि रानी रामपाल ने 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के इंस्टाग्राम पेज पर अपनी स्टोरी शेयर की और अपने जीवन की उन कठिनाइयों के बारे में बताया जिससे हम और आप बिल्कुल अनजान है।

भारतीय महिला हॉकी टीम ने सोमवार को ओलंपिक में पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। भारत ने तोक्यो खेलों के क्वार्टर फाइनल में वर्ल्ड नंबर 2 ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर अंतिम चार चरण में प्रवेश किया जहां उनका सामना अर्जेंटीना से होगा।

इसे भी पढ़ें: Tokyo Olympic Highlights Day 11: भारतीय महिला हॉकी टीम ने रचा इतिहास

इस ऐतिहासिक प्रदर्शन में टीम की कमान संभाल रही कप्तान रानी रामपाल ने अपनी लीडरशीप के साथ खेल और टीम दोनों का जज्बा बनाए रखा। 15 साल की उम्र में 2010 विश्व कप के लिए राष्ट्रीय टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी होने से लेकर दुनिया भर में प्रतिष्ठित वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर पुरस्कार जीतने वाली पहली हॉकी खिलाड़ी बनने तक का रानी रामपाल का यह सफर किसी कठिनाई से कम नहीं था लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं माना और अपने हौसलों से अब वह ओलंपिक में महिला हॉकी में पहली बार पदक जीतने की दिशा में भारत की अगुवाई करेंगी।

रानी रामपाल की कहानी!

एक दिन में मुशिकल से 2 बार भोजन करने से लेकर तोक्यो में इतिहास रचने तक, भारत की हॉकी क्वीन रानी रामपाल का सफर काफी कठिनाइयों से गुजरा। आपको बता दें कि रानी रामपाल ने 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के इंस्टाग्राम पेज पर अपनी स्टोरी शेयर की और अपने जीवन की उन कठिनाइयों के बारे में बताया जिससे हम और आप बिल्कुल अनजान है।रानी रामपाल ने शेयर करते हुए लिखा कि, "मैं अपने जीवन से बचना चाहती थी; बिजली की कमी से हमारे कान में मच्छरों के भिनभिनाने तक, बमुश्किल 2 भोजन करने से लेकर हमारे घर में पानी भरते हुए देखने तक। मेरे माता-पिता केवल इतना ही कर सकते थे"।

इसे भी पढ़ें: भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत पर बोले कोच, कहा- आत्मविश्वास जगाने वाली फिल्म देखने से मिला फायदा

बता दें कि रानी रामपाल के पिता गाड़ी चलाने वाले थे और माँ एक नौकरानी थी।अपने पिता के साथ एक नई हॉकी स्टिक खरीदने में असमर्थ, रानी रामपाल ने कहा कि उसने एक टूटी हुई हॉकी के साथ अभ्यास करना शुरू किया, और कोच को उसे ट्रेनिंग देने के लिए मनाया। गरीबी के उन दिनों को याद करतो हुए रानी रामपाल ने आगे कहा कि, "पास में एक हॉकी अकादमी थी और मैं खिलाड़ियों को देखने में घंटों बिता देती थी,  मैं वास्तव में खेलना चाहती थी। पापा एक दिन में 80 रुपये कमाते थे और उस इतने कम पैसे में मेरे लिए हॉकी स्टीक खरीद नहीं सकते थे।हर दिन, मैं कोच से मुझे सिखाने के लिए पूछती थी और कोच ने मुझे अस्वीकार करते हुए कहा कि, मैं प्रैक्टिस के लिए  मजबूत नहीं हुं"।

रानी रामपाल ने किया टूटी हुई हॉकी स्टिक से प्रेक्टिस!

रानी रामापाल ने शेयर करते हुए कहा कि, जब कोच ने ऐसा कहा तो मैंनेअगले दिन ही एक टूटी हुई हॉकी स्टिक के साथ अभ्यास करना शुरू किया, मैं एक सलवार कमीज में इधर-उधर दौड़ती थी। लेकिन मैं दृढ़ थी, मैंने बहुत मुश्किल से कोच को मनाया था"। बता दें कि रानी के सामने केवल कोच और प्रेक्टिस को लेकर दिक्कतें नहीं आई बल्कि उनके सामने अन्य कई बाधाएं आई। रानी के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वह स्कर्ट पहने और खेले। माता-पिता के मिन्नत करने के बाद भी रानी रामपाल ने हार नहीं मानी और उनके परिवार ने आखिरकार हार मान ली। रानी ने कहा कि, "मेरे परिवार ने कहा, 'हम तुम्हे स्कर्ट पहनने नहीं देंगे।' रानी ने माता-पिता से कहा कि, 'कृपया मुझे जाने दो। अगर मैं असफल होती हूं, तो आप जो चाहेंगें वो करने के लिए मैं तैयार हो जाउंगी।' रानी रामपाल की इस बात को माता-पिता ने माना और जल्द ही रामपाल का प्रशिक्षण शुरू हो गया। रानी के घर घड़ी न होने के कारण उनकी मां आसमान की ओर देखती थीं औऱ सही समय पर जगाती थी। रानी ने बताया कि, "अकादमी में, प्रत्येक खिलाड़ी के लिए 500 मिली दूध लाना अनिवार्य था। मेरा परिवार केवल 200 मिली का दूध ही खरीद सकता था, इसलिए मैं दूध में पानी मिलाकर पीती थी। मेरे कोच ने मेरा समर्थन किया; उन्होनें मेरे लिए हॉकी किट और जूते खरीदे। उन्होंने मेरी आहार संबंधी जरूरतों का भी ध्यान रखा। मैं अभ्यास का एक भी दिन नहीं छोड़ती,"।

सपने हुए पूरे

साल 2017 में , रानी ने अपने और अपने परिवार से किए वादे को पूरा किया और एक घर खरीदा। तोक्यो ओंलपिक को रानी ने कहा कि, कोच का सपना है कि हम तोक्यो से गोल्ड मेडल जीते। रानी अपने कोच के इस सपने को पूरा करने में एक कदम पीछे है और भारत पदक हासिल करने से एक जीत दूर है। पहली बाधा एक अर्जेंटीना पक्ष पर काबू पाने की होगी।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़