भारतीय महिला टीम की निगाहें ओलंपिक स्थान हासिल करने पर

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[email protected] । Aug 18 2018 3:34PM

पूर्व चैम्पियन भारत विश्व कप के प्रदर्शन को भुलाकर 18वें एशियाई खेलों की महिला हाकी स्पर्धा में खिताब जीतकर तोक्यो ओलंपिक स्थान पक्का करने की कोशिश करेगा।

जकार्ता। पूर्व चैम्पियन भारत विश्व कप के प्रदर्शन को भुलाकर 18वें एशियाई खेलों की महिला हाकी स्पर्धा में खिताब जीतकर तोक्यो ओलंपिक स्थान पक्का करने की कोशिश करेगा। भारतीय महिला टीम ने नयी दिल्ली में 1982 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और बैंकाक में 1998 में दक्षिण कोरिया में उप विजेता रही थी। टीम सभी नौ चरणों में कम से कम एक पदक जीतकर लौटी है जिसमें 2014 इंचियोन खेलों का कांस्य पदक शामिल है। विश्व रैंकिंग में नौवें स्थान पर काबिज भारतीय महिला टीम टूर्नामेंट में शीर्ष रैंकिंग की टीम है और वह पूल बी के मैच में कल मेजबान इंडोनेशिया के खिलाफ अपना अभियान शुरू करेगी जिसकी रैंकिंग 64 है। हालांकि भारत को सही मायने में गत चैम्पियन कोरिया (10वीं रैंकिंग), चीन और जापान से कड़ी चुनौती का सामना करना होगा। दोनों चीन (11वीं रैंकिंग) और जापान (14वीं रैंकिंग) पूल ए में हैं जिससे भारत को सेमीफाइनल से पहले उनसे नहीं भिड़ना पड़ेगा। पूल बी में टीम के लिये लीग चरण में सबसे कड़ी चुनौती 25 अगस्त को कोरिया के खिलाफ होगी। भारत को 21 अगस्त को कजाखस्तान से खेलना है और पूल में अंतिम भिड़त 27 अगस्त को थाईलैंड से होगी। रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम अब भी विश्व कप क्वार्टरफाइनल में आयरलैंड से मिली हार से उबर रही है। महिला टीम ने 40 साल के बाद विश्व कप क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया था लेकिन आयरलैंड के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में मिली हार अब भी भारतीय खिलाड़ियों को कचोट रही है, विशेषकर कप्तान रानी को, जो अपने करियर में पहली बार शूटआउट का स्ट्रोक चूक गयीं।

रानी के लिये यह व्यक्तिगत विफलता भी थी और अब वह टीम को खिताब दिलाकर और तोक्यो ओलंपिक में महाद्वीपीय चैम्पियन के तौर पर भारत का स्थान पक्का करवाकर इसकी भरपायी करना चाहेंगी। बेंगलुरू में शिविर के दौरान खिलाड़ियों को वीडियो फुटेज दिखाकर बताया गया कि उनका डिफेंस काफी अच्छा था। इस पर रानी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह विश्व कप की निराशा को भुलाने का अच्छा तरीका है। अगर मैं विश्व कप के बारे में ही सोचती रहूंगी तो इससे एशियाई खेलों में हमारे प्रदर्शन पर असर पड़ेगा और यह पछतावा पूरी जिंदगी मेरे दिमाग में रहेगा।’’ भारतीय टीम जहां विश्व कप के प्रदर्शन को पीछे छोड़ना चाहेगी, लेकिन यह देखना होगा कि नीदरलैंड को कोच सोर्ड मारिने के मार्गदर्शन में टीम टूर्नामेंट का अंत किस तरह करती है। पुरूष और महिला दोनों टीमें 1998 के फाइनल में पहुंची थी लेकिन दोनों टीमें एक साथ स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी हैं। बैंकाक में केवल पुरूष टीम चैम्पियन रही थी। दोनों टीमों को मिलने वाली चुनौती को देखते हुए ऐतिहासिक दोहरा स्वर्ण इस बार संभव हो सकता है।

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