सिंधु का अभी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना बाकी है: पुलेला गोपीचंद
कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि उनकी शिष्या अब भी अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करने से काफी पीछे है और उन्होंने कहा कि उसमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को पछाड़ने की प्रतिभा है।
हैदराबाद। स्टार शटलर पीवी सिंधु ने रियो ओलंपिक में भले ही रजत पदक जीत लिया हो लेकिन उनके मेंटर और कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि उनकी शिष्या अब भी अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करने से काफी पीछे है और उन्होंने कहा कि उसमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को पछाड़ने की प्रतिभा है। गोपीचंद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह अभी पूरी तरह के बदलाव से काफी दूर है। मेरा मानना है कि वह जितनी सक्षम है, हमने अभी उसकी सिर्फ झलक ही देखी है। उसमें अपार क्षमता है और मैं उसके यह अहसास करने का इंतजार कर रहा हूं। इसमें समय लग सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें धर्य रखना होगा। हमें समझना होगा कि परिणाम भले ही निरंतर नहीं आये, जैसा कि हम चाहते हैं। लेकिन यह अहम है कि वह इसे समझे और कोशिश करे। वह अभी सिर्फ 21 साल की है और उसके पास आगे शायद 10 साल और है। एक बार उसे अहसास हो जाये कि मैं क्या देखता हूं तो वह दुनिया की बाकी खिलाड़ियों से काफी आगे निकल जायेगी।’’ सिंधु की तारीफों के पुल बांधते हुए गोपीचंद ने कहा, ‘‘सच यही है कि इस बड़े मंच पर जब सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसने अच्छा प्रदर्शन किया, यह काफी बड़ी चीज है। कई एथलीटों में आत्मविश्वास तो होता है लेकिन वे अंतिम क्षण में टूट जाते हैं।’’ गोपीचंद ने कहा, ‘‘हमने काफी अच्छी प्रगति की और रियो में भी हमारी ओलंपिक के लिये तैयारी काफी शानदार रही क्योंकि हम एक ही फ्लैट में रह रहे थे। इसलिये हम अच्छी तरह से हर चीज की योजना बना सके। अच्छी चीज यह रही कि जब मायने रखता था, वह अपना काम पूरा करने में हिचकिचायी नहीं।''
सिंधु रियो में रजत पदक जीतकर काफी खुश हैं, उसने कहा, ‘‘ओलंपिक पदक जीतकर मेरा सपना सच हो गया। प्रत्येक टूर्नामेंट अलग होता है। ओलंपिक बहुत बड़ा होता है। मैं अपने माता पिता की शुक्रगुजार हूं।’’ सिंधु ने कहा, ‘‘गोपी सर हमेशा प्रेरित करते रहते हैं। वह भले ही दूसरों को गुस्से में लगते हो लेकिन मेरे लिये यह उनकी प्रेरणा थी जिससे मुझे मदद मिली। पिछले दो महीने हमने काफी कड़ी मेहनत की और काफी बलिदान दिये जिसका हमें फल मिला। हमने पदक के बारे में नहीं सोचा था। हमने सिर्फ एक मैच पर ही ध्यान लगाया और मैं खुश हूं कि मैंने पदक जीता।’’ यह पूछने पर कि क्या भारत 2020 तोक्यो में स्वर्ण पदक जीत सकता है तो गोपीचंद ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि यह कठिन काम है। काफी मजबूत खिलाड़ी हैं, जिनके खिलाफ हम खेलेंगे। हमारा पदक हमें निशाने पर ले आयेगा लेकिन एक बात है कि उम्र हमारे साथ है। हमारे पास काफी खिलाड़ी हैं जो कह रहे थे कि 2020 हमारे लिये है। इसलिये उम्मीद करते हैं कि हम प्रेरित रहेंगे और एक दूसरे को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करेंगे तथा तोक्यो की दौड़ में बरकरार रहेंगे।''
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