मैच दर मैच गुजरते रहे और दक्षिण अफ्रीका यूं ही मुकाबला देखती रही

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भारत को इस जीत से 40 अंक मिले और उसने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के अपने सभी पांचों मैच जीतकर 240 अंक के साथ शीर्ष पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका को क्लीनस्वीप किया हो।

भारत ने रांची टेस्ट में शानदार आलराउंड प्रदर्शन के दम पर दक्षिण अफ्रीका को तीसरे और अंतिम टेस्ट में पारी और 202 रन से हराकर सीरीज को 3-0 से जीत लिया है। भारत को इस जीत से 40 अंक मिले और उसने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के अपने  सभी पांचों मैच जीतकर 240 अंक के साथ शीर्ष पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका  को क्लीनस्वीप किया हो। 

अब जानते हैं क्या कुछ हुआ इस सीरीज में

सीरीज का पहला मुकाबला विशाखापट्टनम में खेला गया। जहां पर रोहित शर्मा ने ओपनर के तौर पर पदार्पण किया और शतकीय पारी खेलते हुए यह बता दिया कि टेस्ट सीरीज में उनकी जगह आखिर क्यों पक्की होनी चाहिए। इस मुकाबले में भारत ने फाक डु प्लेसिस की कप्तानी वाली टीम दक्षिण अफ्रीका को 203 रनों से हराया था। यह केवल ऐसा मुकाबला था जहां पर लगा कि टीम इंडिया किसी दमदार टीम के साथ खेल रही हो। लेकिन जब भारतीय बल्लेबाजों का बल्ला बोलता है तो अच्छे से अच्छा गेंदबाज चुप्पी साध लेता है और ठीक यही देखने को भी मिला।

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इस मुकाबले में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कुल 502 रन बनाए और पारी घोषित कर दी। इस मुकाबले से भारतीय बल्लेबाज द्वारा दोहरा शतक जड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई और वह तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच तक में देखने को मिली। खिलाड़ी बदलता गया लेकिन टीम इंडिया को हर टेस्ट मैच में एक दोहरा शतक मिलता गया।

विशाखापट्टनम टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका ने अपना पूरा दम लगा दिया और पहली पार्टी में उन लोगों ने 431 रन बनाए। इसके बाद भारतीय बल्लेबाज दोबारा क्रीज पर आए और 323 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और इस पारी में भी रोहित शर्मा ने शतक जड़ा। अब इस मुकाबले को जीतने के लिए दक्षिण अफ्रीकाई बल्लेबाजों को 395 रनों की दरकार थी लेकिन पूरी टीम महज 191 रनों पर ही सिमट गई। इसी के साथ टीम इंडिया ने 203 रनों से इस मुकाबले को जीत लिया और इसके हीरो बने रोहित शर्मा।

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अब बात पुणे टेस्ट मैच की

विशाखापट्टनम में जीत हासिल करने के बाद टीम इंडिया पुणे पहुंची। जहां पर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को पस्त कर दिया। भारत ने इस मुकाबले में पहले बल्लबाजी करते हुए पहली पारी में 601 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया और इस मुकाबले में खुद कप्तान ने दोहरा शतक जड़ते हुए 254 रन बना डाले। हालांकि पहले मुकाबले में दोहरा शतक जड़ने वाले मयंक अग्रवाल का भी बल्ला खूब बोला और उन्होंने शतकीय पारी खेलते हुए 108 रन बनाए। जबकि टीम इंडिया को जवाब देने मैदान में उतरी दक्षिण अफ्रीका टीम महज 275 रनों पर ही समिट गई और भारत ने फॉलोऑन दे दिया। जहां पर महज 189 रन बनाकर सभी दक्षिण अफ्रीकाई खिलाड़ी पवेलियन लौट गए। इस मुकाबले में टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीकाई टीम को एक पारी और 137 रनों से हरा दिया और इस मैच के हीरो बने कप्तान विराट कोहली।

धोनी की जमीं पर खेला गया तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच

यह मुकाबला टीम इंडिया की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि टीम यहां पर अपना दूसरा मुकाबला खेलने उतर रही थी। जबकि पहला मुकाबला श्रीलंका के खिलाफ खेला था। जहां पर सिर्फ चेतेश्वर पुजारा और ऋद्धिमान साहा का बल्ला चला था। इस मुकाबले में टीम इंडिया को शुरुआती झटके लगे। लेकिन उपकप्तान अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा की सधी पारी ने टीम में आत्मविश्वास भर दिया और भारत ने पहली पारी में 497 रन बना दिए। जिसके जवाब में अफ्रीकाई टीम 162 रन ही बना पाई और टीम इंडिया ने फॉलोऑन खिला दिया। इस बार भी दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज कुछ कमाल नहीं कर पाए और 133 रन बनाकर सभी के सभी पवेलियन लौट गए। इस रांची टेस्ट को टीम इंडिया ने पारी और 202 रन से जीत लिया और इस मैच के हीरो भी रोहित शर्मा ही बने।

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मैच के बाद मुख्य कोच ने रोहित की जमकर की तारीफ

भारतीय कोच रवि शास्त्री ने मैच के बाद रोहित शर्मा की जमकर तारीफ की। इसी के साथ रवि शास्त्री ने कहा कि मध्यक्रम में अजिंक्य रहाणे मौजूद है, उसे सिर्फ अपनी फार्म दोबारा हासिल करनी थी। रोहित अलग स्तर का खिलाड़ी है। एक सलामी बल्लेबाज के रूप में उसकी मानसिकता अलग होने की जरूरत थी, उसने सामंजस्य बैठाया। यह पारी की शुरुआत करने के लिए मुश्किल पिच थी लेकिन उसने झेला। इसी के साथ रवि शास्त्री ने कह दिया कि रोहित शर्मा को मुश्किल परिस्थितियों से फर्क नहीं पड़ता। इस श्रृंखला में उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका को टेस्ट सीरीज में बुरी तरह से हराया हो और इस सीरीज के असल हीरो रोहित शर्मा बने। हालांकि मैन ऑफ द मैच भी उन्हीं को चुना गया। लेकिन जब स्थिति बिल्कुल विपरीत हो उस वक्त भी टीम के भीतर आत्मविश्वास भरने का काम वही खिलाड़ी कर सकता है जिसके भीतर धैर्य कूट-कूट कर भरा हो।

मौके को भुनाना जानते हैं शर्माजी

टेस्ट क्रिकेट में अपने कारनामा दिखाने के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे रोहित शर्मा मौके को भुनान बखूबी जानते हैं। क्योंकि छठे नंबर का यह खिलाड़ी अगर 15 सदस्यीय टीम में रहता तो महज रह ही जाता। यह इसलिए कह रहे हैं कि छठे नंबर पर खेलने वाले हनुमा बिहारी फिलहाल बेंच पर ही बैठे हुए थे। रोहित शर्मा को मौका उस वक्त मिला जब केएल राहुल का बल्ला वेस्ट इंडीज सीरीज में नहीं चला ऐसे में टीम ने ओपन करने की जिम्मेदारी रोहित शर्मा को सौंपने पर विचार किया। 

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दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का चयन हुआ और रोहित शर्मा उस टीम में शामिल थे। जिसके बाद मानो रोहितियन्स को फॉलो करने वाले लोग सोशल मीडिया पर होली मनाते हुए देखे गए। क्योंकि एक लंबे इंतजार के बाद रोहित को टेस्ट खेलने का मौका मिला था।

मैन ऑफ द सीरीज चुने गए रोहित शर्मा ने सबसे पहले ओपन करने का मौका देने के लिए मुख्य कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को शुक्रिया कहा। फिर उन्होंने बताया कि यह एक तरह की चुनौती थी जिससे पार पाना था। रोहित ने कहा कि फॉर्मेट कोई भी हो, बतौर ओपनर आपको ज्यादा अनुशासित रहना पड़ता है। 2013 में मैंने एकदिवसीय में ओपन किया था। उसी वक्त मैंने अनुशासन का मंत्र अपना लिया था। मेरी सफलता में इसका बड़ा योगदान है।

मैं अपनी गलती से ही आउट हो सकता हूं

अपनी सफलता का राज खोलते हुए रोहित शर्मा ने कहा कि अगर मैं शुरुआती एक घंटा निकाल लेता हूं तो फिर उसके बाद मैं खुद की ही गलती से आउट हो सकता हूं। नई गेंद का सामना करना आसान नहीं होता। रोहित शर्मा की मानो इस बात को हर खिलाड़ी को अपनाना चाहिए। क्योंकि आप शुरुआती वक्त अगर निकाल लें तो आप फिर गियर बदलकर बड़े-बड़े शॉट्स आसानी से खेल सकते हैं और रोहित के अंदर भी यह प्रतिभा है। अगर आप उनके स्ट्राइक रेट पर नजर डालेंगे तो शुरुआती 50 रन उन्होंने 50 से भी कम के स्ट्राइक रेट से बनाए और फिर उनका स्ट्राइक रेट बदल गया जो करीब 95 के आस-पास था।

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