जब सचिन के पास घर कैब से जाने के लिये पैसे नहीं थे..

[email protected] । Apr 26 2016 5:55PM

क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने उस दौर को याद किया जब उनके पास एक अंडर 15 क्रिकेट मैच के बाद पुणे से लौटने के बाद रेलवे स्टेशन से घर जाने के लिये कैब के पैसे नहीं होते थे।

मुंबई। देश के सबसे अमीर खिलाड़ियों में से एक चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने उस दौर को याद किया जब उनके पास एक अंडर 15 क्रिकेट मैच के बाद पुणे से लौटने के बाद रेलवे स्टेशन से घर जाने के लिये कैब के पैसे नहीं होते थे। तेंदुलकर ने डीबीएस की ‘डिजिबैंक’ पहल के मौके पर कहा, ''मैं उस समय सिर्फ 12 साल का था और मेरा चयन मुंबई की अंडर 15 टीम में हुआ था। मैं रोमांचित था, मैने कुछ पैसे लिये और हम तीन मैच खेलने पुणे गए। वहां बारिश होनी शुरू हो गई।’’ उन्होंने कहा, ''जब मेरी बारी आई तो मैं चार रन पर रनआउट हो गया। मैं सिर्फ 12 साल का था और तेज भाग नहीं सकता था। मैं निराश था और रोता हुआ ड्रेसिंग रूम आया। उसके बाद मुझे फिर बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बारिश के कारण हमारे पास दिन भर करने के लिये कुछ नहीं था। हम बाहर गए, पिक्चर देखी और खाना खाया। हमें पता नहीं था कि पैसा कैसे बचाना है। जब हम ट्रेन से मुंबई आये तो हमारे पास एक पैसा भी नहीं था।’’ तेंदुलकर ने कहा, ''मेरे पास दो बड़े बैग थे। हम दादर स्टेशन पर उतरे और मुझे शिवाजी पार्क तक पैदल जाना पड़ा क्योकि कोई पैसा नहीं था।’’ उन्होंने कहा, ''आप कल्पना कीजिये कि अगर मेरे पास फोन होता तो एक एसएमएस पर मेरे पिता या मां मेरे फोन में पैसा डाल देते और मैं कैब से आ सकता था।''

तकनीक की अहम भूमिका का एक और उदाहरण देते हुए तेंदुलकर ने कहा कि वह क्रिकेट के इतिहास में पहला खिलाड़ी था जिसे तीसरे अंपायर ने आउट करार दिया था। उन्होंने कहा, ''जब तकनीक की बात आती है तो मैं 1992 में तीसरे अंपायर द्वारा आउट करार दिया पहला खिलाड़ी था। कई बार तकनीक आपके खिलाफ भी चली जाती है।’’ अपने लंबे कैरियर के दौरान आये बदलावों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ''कई बदलाव आये हैं। जब मैने खेलना शुरू किया था तक हमारे पास प्रायोजक नहीं होते थे। हमारे पहले दौरे पर हमारे पास अच्छे कपड़े लेने के लिये सीमित संसाधन थे। हमें 2002–03 में अचानक बताया गया कि ड्रेसिंग रूम में एक कम्प्यूटर होगा।’’ उन्होंने कहा, ''हमें लगा कि ड्रेसिंग रूम में कम्प्यूटर का क्या काम लेकिन बाद में समझ में आया कि यह रणनीति तैयार करने के लिये है।''

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