ऐसा अनोखा देवी मंदिर जहाँ नहीं है माता की कोई मूर्ति, आँखों पर पट्टी बाँधकर की जाती है पूजा

ambaji temple

अम्बाजी मंदिर के गृभग्रह में माता की कोई प्रतिमा नहीं है। इस मंदिर में पवित्र श्रीचक्र की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। खास बात यह है कि यह श्रीयंत्र सामान्य आंखों से दिखाई नहीं देता और न ही इसकी फोटो ली जा सकती है। इसकी पूजा केवल आंखों पर पट्टी बांधकर ही की जाती है।

गुजरात के बनासकांठा में स्थित अम्बाजी मंदिर देश के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अम्बा देवी को समर्पित है और इस मंदिर को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ है। माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था इसलिए यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है। आपको यह जानकर हैरानी होगी इस मंदिर के गृभग्रह में माता की कोई प्रतिमा नहीं है। इस मंदिर में पवित्र श्रीचक्र की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। खास बात यह है कि यह श्रीयंत्र सामान्य आंखों से दिखाई नहीं देता और न ही इसकी फोटो ली जा सकती है। इसकी पूजा केवल आंखों पर पट्टी बांधकर ही की जाती है। अंबाजी की असली सीट गब्बर पहाड़ी के ऊपर है। गब्बर पर्वत के टॉप पर देवी का एक छोटा सा मंदिर है जहां 999 सीढिय़ां चढ़कर ऊपर तक पहुंचा जा सकता है।

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अंबाजी माता मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले के दांता तालुका में स्थित गब्बर पहाड़ियों की पहाड़ी पर है। हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए अंबाजी आते हैं। खासतौर पर भद्रवी पूर्णिमा, नवरात्रि और दिवाली के दौरान यहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है। यह स्थान अरावली पर्वतमाला के घने जंगलों से घिरा हुआ है। यह पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का सही मिश्रण प्रदान करता है। अंबाजी माता मंदिर के आस-पास कई पर्यटन स्थल हैं, जहाँ पर्यटक घूमने जाते हैं। आज के इस लेख में हम आपको अंबाजी माता मंदिर और इसके आस-पास स्थित प्रमुख पर्टयन स्थलों के बारे में जानकारी देंगे -

मंदिर के आसपास घूमने के स्थल -

गब्बर हिल 

गब्बर हिल, अरासुर की पहाड़ियों पर, वैदिक नदी सरस्वती की उत्पत्ति के निकट है, जो अरावली की प्राचीन पहाड़ियों के दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 1,600 फीट है। गब्बर हिल की खड़ी पहाड़ी पर चढ़ना बहुत मुश्किल है। तीर्थयात्रियों को पैदल पहाड़ियों से 300 पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो एक संकीर्ण खतरनाक ट्रैक की ओर ले जाती हैं। मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए इस ट्रैक पर चढ़ना पड़ता है। अंबाजी के दर्शन के बाद श्रद्धालु गब्बर पहाड़ पर जरूर जाते हैं।

कैलाश टेकरी 

कैलाश टेकरी के ऊपर स्थित, कैलाश हिल सूर्यास्त, अम्बाजी माता मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित है। एक महान सूर्यास्त के दृष्टिकोण के अलावा, यह पहाड़ी एक पूजा स्थल भी है। पहाड़ी पर महादेव के मंदिर में एक शानदार कलात्मक पत्थर का गेट भी है। यहाँ पास में ही मंगलिया वन नामक एक उद्यान भी है, जो पहाड़ी से लगभग 2 किमी दूर है। 

कुंभारिया 

कुंभारिया अंबाजी मंदिर टाउन से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित है। कुम्भारिया, बनासकांठा जिले में सांस्कृतिक विरासत के साथ ऐतिहासिक, पुरातत्व और धार्मिक महत्व का एक गाँव है। यह जैन मंदिर से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थान है। इसमें श्री नेमिनाथ भगवान का ऐतिहासिक जैन मंदिर है जो 13वीं शताब्दी का है।

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मानसरोवर 

मानसरोवर मुख्य मंदिर के पीछे स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस सरोवर का निर्माण अहमदाबाद के अम्बाजी के एक नागर भक्त श्री तपिशंकर ने 1584 से 1594 तक किया था। इस पवित्र सरोवर के दो किनारों पर दो मंदिर हैं, जिसमें से एक मंदिर महादेव का है और दूसरा अजय देवी का मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि अजय देवी, अंबाजी की बहन हैं। पर्यटक और भक्त इस मानसरोवर में पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं।


कामाक्षी मंदिर 

चिकला में स्थित, कामाक्षी मंदिर अंबाजी से लगभग एक किलोमीटर दूर है। दक्षिण भारतीय मंदिर की स्थापत्य शैली का सम्मान करते हुए, इस मंदिर के मैदान में कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं जो मुख्य मंदिर को समेटते हैं। आदित्य शक्तिमाता की विभिन्न अभिव्यक्तियों के आवास, इस मंदिर में भारत के कुछ सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठ हैं।

कैसे पहुंचें

एयरपोर्ट

अंबाजी आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यह अंबाजी मंदिर से करीब 186 किलोमीटर दूर है।

रेल

आबू रोड रेलवे स्टेशन, यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह मुख्य स्थल से 20 किलोमीटर दूर है। यह स्टेशन दिल्ली समेत अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क

अहमदाबाद से सड़क मार्ग से अंबाजी आसानी से पहुंचा जा सकता है। अहमदाबाद यहां से 185 किलोमीटर दूर है।

- प्रिया मिश्रा

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