खूबसूरत ही नहीं खुशबूदार शहर भी है मैसूर, जाकर तो देखें

Mysore is not only beautiful but also aromatic city
प्रीटी । Jul 19 2017 4:35PM

मैसूर का चिड़ियाघर कई प्रकार की जातियों के पशु−पक्षियों से भरा पड़ा है। चिड़ियाघर में सुबह नौ बजे से सायं छह बजे तक भ्रमण किया जा सकता है। विश्व में अपनी तरह का अकेला सेंट फिलोमेना चर्च भी मैसूर में ही स्थित है।

भारत के दक्षिणी छोर में स्थित कर्नाटक की राजधानी बंगलौर से 140 किलोमीटर दूर मैसूर वाकई खूबसूरत शहर है। कभी वाडियार राजाओं की राजधानी रहा मैसूर समुद्रतल से 610 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खुशबूदार शहर भी है। यहां चमेली, गुलाब आदि फूलों की सुगंध के अलावा चंदन और कस्तूरी की खुशबू से वातावरण सुगंधित रहता है।

मैसूर चंदन के विशाल जंगलों, हाथियों, बगीचों और महलों के अलावा कला, संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता तथा ऐतिहासिक धरोहर से समृद्ध भारत का प्रमुख शहर है। यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। आइए, आपको सबसे पहले लिए चलते हैं चामुंडेश्वरी मंदिर। चामुंडी पहाड़ी पर बने इस मंदिर तक एक हजार सीढि़यां चढ़ कर या पैदल सड़क के रास्ते भी जाया जा सकता है। यह सतमंजिला मंदिर है। रास्ते में 5 मीटर ऊंचे ठोस चट्टानों को काट कर बनाए गए भगवान शिव के वाहन नंदी के दर्शन भी होते हैं। मंदिर तक जाने के मार्ग में हरे−भरे वृक्षों और सुरभित पवन के स्पर्श से मन आनंदित हो उठता है।

मुख्य शहर से 16 किलोमीटर दूर 'श्रीरंगपटनम' अंग्रेजों से आजीवन युद्ध करते रहने वाले महान शासक टीपू सुल्तान की राजधानी थी। यहां वह इमारत दर्शनीय है जिसमें टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सैनिकों को कैद कर रखा था। श्रीरंगपटनम की चारदीवारी के अंदर एक मस्जिद और श्री रंगनाथ स्वामी का मंदिर भी है।

मैसूर से 45 किलोमीटर पूरब में सोमनाथपुर के चाणक्वेश्वर मंदिर की दीवारें उत्कृष्ट वास्तुशिल्प के उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। प्रस्तर निर्मित इन दीवारों पर रामायण, महाभारत तथा होयसल राजाओं के जीवन की जीवनशैली को बड़ी कुशलता से अंकित किया गया है।

बांदीपुर वन्य प्राणी उद्यान बारहसिंगे, चितकबरे हिरण, हाथी, बाघ और तेंदुओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मैसूर से 80 किलोमीटर दूर मैसूरउटकमांड मार्ग पर स्थित है। इस उद्यान की सैर हाथी, जीप या ट्रक के अलावा नाव द्वारा भी की जा सकती है। जून से सितंबर तक यह पक्षी विहार अनेक प्रकार के पक्षियों के कलरव से गूंजता रहता है।

महाराजा पैलेस के नाम से मशहूर मैसूर महल हिन्दू और मुस्लिम वास्तुशिल्प का अनूठा संगम है। इस तीन मंजिले महल का निर्माण धूसर रंग के ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है। ऊपर पांच मंजिला मीनार पर निर्मित गोल गुंबद सोने के पत्र से मढ़ा हुआ है। उत्कृष्ट वास्तुशिल्प की दृष्टि से महल के सात मेहराबदार दरवाजे और खंभे दर्शनीय हैं। महल के बीच बड़े से आंगन के दक्षिण में कल्याण मंडल में शाही शादी−विवाह संपन्न होते थे। इस महल का मुख्य आकर्षण है मैसूर की आकृति का स्वर्ण सिंहासन। रात में लगभग चार लाख बल्बों की रोशनी में जगमगाते इस महल को देखकर बच्चों को परियों की कहानियां याद आ जाती हैं।

मैसूर का चिड़ियाघर कई प्रकार की जातियों के पशु−पक्षियों से भरा पड़ा है। चिड़ियाघर में सुबह नौ बजे से सायं छह बजे तक भ्रमण किया जा सकता है। विश्व में अपनी तरह का अकेला सेंट फिलोमेना चर्च भी मैसूर में ही स्थित है। गोथिक शैली में बना यह चर्च मध्ययुगीन वास्तुकला का उदाहरण है।

1979 ईसवीं में स्थापित रेल संग्रहालय में रेलवे इंजन, शाही गाड़ियों के डब्बे तथा विभिन्न प्रकार के सिग्नल आदि प्रातरू 10 बजे से सायं 5 बजे तक देखे जा सकते हैं। सोमवार को संग्रहालय बंद रहता है। मैसूर से 90 किलोमीटर दूर घने जंगलों, पहाड़ों तथा नदियों वाले नागरहोल नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के पशु−पक्षी भी देखे जा सकते हैं।

मैसूर भ्रमण के लिए सितंबर से फरवरी तक का समय ठीक रहता है। जब आप मैसूर जाएं तो वहां से अगरबत्तियां, रेशमी वस्त्र, पीतल की हस्तशिल्प की वस्तुएं और लकड़ी तथा चंदन की विभिन्न वस्तुओं को खरीदना नहीं भूलें। मैसूर देश के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा बंगलौर है, जोकि मैसूर से 140 किलोमीटर दूर है। यहां से मैसूर जाने के लिए रेल, बस और टैक्सी की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

प्रीटी

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