बेटे की फोड़ दी आंखें, सिखों के 5वें गुरु का कराया कत्ल, अकबर का वारिस जो केवल नाम का ही था 'जहांगीर'

Jahangir
Creative Common
अभिनय आकाश । Aug 31 2022 2:21PM

जहांगीर ने अपने एक नौकर का अंगूठा सिर्फ इसलिए कटवा दिया था, क्योंकि उसने नदी के किनारे लगे चंपा के कुछ पेड़ काट दिए थे। उसने नूरजहां की एक कनीज को गड्ढ़े में आधा गड़वा दिया था। उसका कसूर था कि उसे एक किन्नर का चुंबन लेते पकड़ लिया गया था।

जहांगीर नाम भारत के इतिहास का वो नाम है जिसे क्रूरता का परिचायक भी माना जाता है। इसके साथ ही जहांगीर का इंसाफ भी बहुत प्रसिद्ध है। वैसे तो जहांगीर का असली नाम सलीम है औऱ वे मुगल बादशाह अकबर के बड़े बेटे थे। सलीम से पहले अकबर की कोई भी संतान जीवित नहीं बचती थी। इससे दुखी होकर अकबर ने कई मन्नतें मांगी और फिर सलीम को पाया। अकबर ने सलीम का नाम शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा था। अकबर के बाद तख्त संभालने के उपरांत सलीम को जहांगीर की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ होता है दुनिया जीतने वाला। 

इसे भी पढ़ें: Relationship Advice: लड़कों को पसंद नहीं आती ऐसी हरकतें करने वाली लड़कियां, बिना वक्त गवाए तोड़ देते हैं रिश्ते

जहांगीर के इतिहास के बारे में जानकारी तुज़्क ए जहांगीरी ग्रंथ में मिलती है। जहांगीर का जन्म 30/31 अगस्त 1569 ई को फ़तेहपुर सीकरी में हुआ था। जहांगीर का मूल नाम सलीम तथा पूरा नाम नूर अल दीन मोहम्मद सलीम जहांगीर था। जहांगीर के पिता का नाम अकबर और माता का नाम मरियम उज जमानी था। जहांगीर की पत्नियों के नाम मानबाई/शाह बेगम, जगत गोसाई/मलिका ए जहां और मेहरुन्निसा / नूरजहां थीं। 24/29 अक्टूबर 1605 ई को सलीम ने नूर उद दीन मोहम्मद जहांगीर बादशाह गाजी की उपाधि धारण कर, आगरा में अपना राज्याभिषेक करवाया। अप्रैल 1606 ई. में खुसरो ने विद्रोह किया और भैरोवाल नामक स्थान पर पिता पुत्र के मध्य युद्ध हुआ जिसमें खुसरो पराजित हुआ और सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव की शरण में चला गया। इसी कारण जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। लेकिन चंदू शाह नामक व्यक्ति के कहने पर गुरु अर्जुन देव को फांसी की सजा सुनाई गई। 

क्रूरता के किस्से मशहूर

जहांगीर ने अपने एक नौकर का अंगूठा सिर्फ इसलिए कटवा दिया था, क्योंकि उसने नदी के किनारे लगे चंपा के कुछ पेड़ काट दिए थे। उसने नूरजहां की एक कनीज को गड्ढ़े में आधा गड़वा दिया था। उसका कसूर था कि उसे एक किन्नर का चुंबन लेते पकड़ लिया गया था। जहांगीर ने अपने बेटे खुसरो के साथ भी बर्बरता से पेश आए थे। खुसरों ने जब अपने पिता जहांगीर के ख‍िलाफ बगावत की थी तब जंग में वे हार गए। जहांगीर के कहने पर महावत खां ने खुसरो को अंधा कर दिया था।  

इसे भी पढ़ें: इस शख्स ने 700 कब्रों के साथ खिंचवाई फोटो, अपने शौक में अब तक खर्च कर चुका हैं इतने करोड़

न्याय की जंजीर 

जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए भी याद किया जाता है। ये जंजीर शाहजहां ने सोने की बनवाई थी। जो आगरे के किले शाहबुर्ज और यमुना तट पर स्थित पत्थर के खंबे में लगवाई हुई थी। जहांगीर मुगल वंश का पहला शासक माना जाता है जिसने मराठों को अपनी सेना में उच्च पद प्रदान किया और 1616 ई में अहमदनगर, बीजापुर और गोलकुंडा की संयुक्त सेनाओं को पराजित किया। 1617 ई में जहांगीर ने जैन मंदिरों को बंद करने और जैन साधुओं को साम्राज्य से बाहर निकालने का आदेश दिया किंतु लागू नहीं कर पाया। जैन साधुओं ने भविष्यवाणी की थी कि 2 वर्ष के अंदर जहांगीर का संपूर्ण साम्राज्य नष्ट हो जाएगा।

 

All the updates here:

अन्य न्यूज़