International Tea Day Special: भारत में मिलती हैं इतने प्रकार की चाय, क्या जानते हैं आप?

International Tea Day
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रितिका कमठान । Dec 15 2022 2:51PM

चाय पीने के बाद शरीर में फुर्ती सी आ जाती है। सुबह उठने के बाद अगर सबसे अधिक जरूरत किसी चीज की जरुरत होती है तो वो है चाय। चाय पीने वाले लोगों को इसे पीते ही कई परेशानियों से राहत मिल जाती है। चाय तनाव दूर कर तरोताजा करने में काफी फायदेमंद होती है।

चाय ऐसा पेय है जो घर में मेहमानों के लिए या फिर ऑफिस में कर्मचारियों के लिए, दोस्तों के साथ मजे करने के लिए हर पल के लिए परफेक्ट पेय है। चाय पर कहीं चर्चा होती है तो कहीं चाय पीकर नए रिश्तों की शुरुआत की जाती है। दुनिया भर में चाय का काफी चलन है। वहीं आज यानी 15 दिसंबर को भारत में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस का आयोजन किया जाता है। 

जानकारी के मुताबिक चाय को संयोगवश चीन में खोजा गया था। चाय की पत्ती उबलते हुए पानी में डल गई थी, जिसके बाद शाही शासक को सम्मानित करने के लिए इसे भेंट स्वरूप परोसा गया था। आज के समय में चार मुख्य तौर पर चार तरह की होती है। इसमें पूरी पत्ती, टूटी हुई पत्तियां, फैनिंग और धूल शामिल होती है। काली चाय को छोटे ठोस टुकड़ों में संसाधित करने की विधि है।

बता दें कि चाय की पत्तियों को विविधता और क्षेत्र के आधार पर उगाया जाता है। इसका स्वाद और सुगंध अलग होता है। चाय बनाने के तरीके से भी इसका स्वाद काफी प्रभावित होता है। चाय विशेषज्ञों का मानना है कि काली चाय सबसे अच्छी तरह से गर्म होती है जिससे अच्छा स्वाद आता है। अगर भारत की बात करें तो यहां अलग अलग तरह की चाय मिलती है, जो राज्यों में भिन्न तरीकों से तैयार की जाती है।

असम की चाय

चाय का नाम लेते ही असम की चाय का जिक्र सबसे पहले आता है। असम में चाय के ढ़ेरों बागान है जहां खास किस्म की चाय, जिसे रोंगा साह कहा जाता है मिलती है। असम में मिलने वाली ये चाय हल्के लाल या भूरे रंग की होती है जिसका स्वाद राज्य में काफी पसंद किया जाता है। ये चाय ताजा पत्तियों से बनती है जो शरीर के पाचन के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।

बंगाल की चाय

बंगाल की लेंबू चा टी काफी पसंद की जाती है और ये काफी प्रचलित भी है। दरअसल ये बंगाली स्टाइल की चाय होती है। इस चाय की खासियत है कि ये बिना दूध के बनाई जाती है। इस चाय में पानी और चायपत्ती के अलावा कई मसालों का उपयोग किया जाता है। इस चाय में अंत में नींबू निचोड़ा जाता है। नींबू के कारण इस चाय में खटास आती है जिससे इसका स्वाद काफी अलग होता है।

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हैदराबाद की चाय

हैदराबाद की ईरानी चाय काफी फेमस है। 19वीं शताब्दी में ईरानी चाय भारत में फारसियों द्वारा लाई गई थी। ये चाय आमतौर पर घरों में बनने वाली चाय से काफी अलग है। इस चाय में मावा या खोया मिलाया जाता है। इस चाय में अनोखा स्वाद लाने के लिए दालचीनी और हरी इलायची का उपयोग भी किया जा सकता है।


केरल की चाय

केयर के मालाबार क्षेत्र की ये चाय दूध के बिना बनाई जाती है। इसे सुलेमानी चाय के नाम से जाना जाता है। इसमें लौंग, इलायची, दालचीनी, पुदीने की पत्तियों को डाला जाता है। अलग स्वाद के लिए चाय में नींबू और शहद मिलाया जाता है। इसके अनोखे स्वाद के कारण ये चाय काफी पसंद की जाती है।

हिमाचल प्रदेश की चाय

उत्तर भारत के कांगड़ा में ब्लैक और ग्रीन टी उगाई जाती है। हिमाचल प्रदेश के इस क्षेत्र में चाय हरी होती है जिसमें वनस्पति की खास सुगंध होती है। अगर स्वाद की बात करें तो इसका स्वाद हल्का तीखा होता है।

पश्चिम बंगाल की चाय

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में उगने वाली चाय में हल्की महक होती है। इसका स्वाद हिमाचल की चाय की अपेक्षा थोड़ा मीठा होता है। काले रंग की ये चाय दुनिया भर में बहुत मशहूर है। दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर उगने वाली चाय में इसे शामिल किया जाता है।

तमिलनाडु की चाय

तमिलनाडु में डस्क ऑर्किड और वुडी प्लम के स्वाद वाली चाय मिलती है, जिसे नीलगिरी की पहाड़ियों पर उगाया जाता है। हल्के फ्रूटी स्वाद के साथ इस चाय को काफी पसंद किया जाता है। ये चाय पीने से शरीर में ताजगी बनी रहती है।

कश्मीरी चाय

कश्मीर में चाय का अलग ही क्रेज है। यहां चाय में चाय पत्ती, नमक, बेकिंग सोडा डाल कर बनाया जाता है। इस चाय में कई लोग गुलाब की सूखी पत्तियां और ड्राई फ्रूट्स भी डालकर पीते है। इसे कश्मीर में नून चाय के नाम से जाना जाता है।

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