जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर मचा संग्राम, समझ लें क्या कुछ हुआ ?

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अभी तक दिल्ली सुलग रही थी जब वह शांत हुई तो शांति व्यवस्था बनाने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाने वाले जस्टिस मुरलीधर का मामला तेज हो गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर भड़की हिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर सरकार और पुलिस को फटकार लगाई थी।

अभी तक दिल्ली सुलग रही थी जब वह शांत हुई तो शांति व्यवस्था बनाने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाने वाले जस्टिस मुरलीधर का मामला तेज हो गया। शुरुआत शुरू से करते हैं... दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर भड़की हिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर सरकार और पुलिस को फटकार लगाई थी। जिसके बाद आधी रात को जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर हो गया। 

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क्या था पूरा मामला ?

कानून मंत्रालय ने बुधवार की देर रात जस्टिस मुरलीधर के तबादले का नोटिफिकेशन जारी किया। जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया है। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि तबादले पर इतनी राजनीति क्यों हो रही है।

तो सुनिए इस तबादले से पहले 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर समेत तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी। लेकिन ट्रांसफर सिर्फ जस्टिस मुरलीधर का हुआ। बाकी के दो जजों का तबादल नहीं हुआ है। साथ ही आपको एक बात और बता देते हैं कि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम से इस मामले में पुनर्विचार करने की मांग भी की थी। मगर तबादले को देखते हुए तो यही समझा जा सकता है कि कॉलेजियम ने बार एसोसिएशन की मांग पर ध्यान नहीं दिया।

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एक बात और कि जस्टिस मुरलीधर हाईकोर्ट में जजों की वरिष्ठता के मामले में तीसरे स्थान पर आते थे और बीते दिनों उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर फैली हिंसा की सुनवाई की थी।

इसे आप संयोग भी समझ सकते हैं कि सुनवाई में सरकार को फटकार लगी और फिर देर रात उनका तबादला हो गया। इसी संयोग पर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

किसने क्या कहा ?

जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने कहा- जज लोया को याद करो, जिनका ट्रांसफर नहीं हुआ था... सुरजेवाला ने कहा- काश इस मुस्तैदी से दंगाइयों को पकड़ा होता। प्रियंका ने तो तबादले पर हैरानी जताई और कहा कि सरकार न्याय का मुंह बंद करना चाहती है। अब जब सवाल खड़े हुए तो सरकार का जवाब देना तो बनता ही था और कानून मंत्री ने जवाब दिया भी। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सबकुछ तय प्रक्रिया के मुताबिक ही किया गया है।

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कौन हैं जस्टिस मुरलीधर ?

दिल्ली में भड़की हिंसा और पीड़ितों के इलाज को लेकर जस्टिस मुरलीधर ने मंगलवार की रात अपने घर में ही सुनवाई की थी। इस दौरान उनके साथ जस्टिस अनूप भंभानी भी मौजूद थे। इसके बाद बुधवार को पीड़ितों की मदद के लिए दिल्ली पुलिस की सराहना भी की थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि 1984 जैसे हालात पैदा नहीं होने दे सकते हैं।

जस्टिस मुरलीधर ने 1984 में चेन्नई से वकालत शुरू की। हालांकि 1987 में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकालत की शुरुआत करने वाले जस्टिस मुरलीधर मुफ्त में केस लड़ने के लिए जाने जाते थे। इसमें भोपाल गैस पीड़ितों का केस भी शामिल था। साल 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था। इसके अलावा वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और निर्वाचन आयोग के सलाहकार भी रह चुके हैं। जस्टिस मुरलीधर अपने कई बड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं।

उन्होंने 1984 हिंसा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था और बीते दिन सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि हम 84 जैसे हालात पैदा नहीं होने दे सकते। फिलहाल दिल्ली में शांति है। न्यायालय के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लोगों के बीच जाकर उन्हें समझाते हुए दिखाई दिए। इसके पहले प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को हिंसाग्रस्त इलाकों में भेजा था जहां का दौरा करने के बाद उन्होंने पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। हमारी आपसे सिर्फ इतनी ही अपील है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और अगर किसी उपद्रवी तत्व का पता चलता है तो उसकी जानकारी सुरक्षाकर्मियों को दें। फिलहाल सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

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