जानिए हर साल 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है वूमेंस डे, कैसे हुई थी इसकी शुरूआत

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हर साल 8 मार्च को इंटरनेशनल वूमेंस डे मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं खुलकर जश्न मनाती हैं। वहीं आज को दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कदम मिलाकर चल रही हैं। महिलाओं को उनके सम्मान, हक और अधिकार के लिए 8 मार्च को इंटरनेशनल वूमेंस डे मनाया जाता है।

एक महिला अपने आसपास के रिश्तों को एक माला में पिरोकर रखती है। वह हर रूप में अपना योगदान देती है। फिर वह चाहे मां, बहन, पत्नी या फिर दोस्त हो। किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाओं का योगदान होता है। महिलाएं जहां एक ओर घर को अच्छे से संभालना चानती हैं तो वहीं वह बाहरी जिम्मेदारियों के साथ अपने कामकाज को भी बहुत अच्छे से मैनेज करती हैं। महिलाएं देश की तरक्की में भी मुख्य भूमिका निभाती हैं। इसीलिए महिलाओं द्वारा किए गए कार्यों की सराहना के लिए हर साल आज के दिन यानि की 8 मार्च को न सिर्फ देश बल्कि पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन पूरा विश्व महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाता है।

जानिए इसका इतिहास

हर जगह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अलग -अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं को अलग तरीके से सम्मानित किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय वूमेंस डे क्यों मनाया जाता है। बता दें कि इसका इतिहास करीब 108 साल पुराना है। महिलाओं द्वारा अपने हक की आवाज उठाने के बाद 8 मार्च को वूमेंस डे मनाकर महिलाओं को सम्मानित किया गया। सबसे पहले सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने साल 1909 में इस दिन को मनाया। 

बता दें कि करीब 15000 महिलाओं ने एक साथ न्यूयॉर्क आकर लंबे काम और कम वेतन के साथ अपने मतदान के अधिकार की मांग की थी। जिसके चलते महिलाएं सड़कों पर उतरकर विरोध करने लगीं। उनकी मांग थी कि उन्हें काम के हिसाब से बेहतर वेतन और वोट डालने का अधिकार भी दिया जाए। इस घटना के 1 साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमरीका ने इस दिन को नेशनल महिला दिवस  के रूप में घोषित कर दिया। हालांकि साल 1911 में रूस ने 8 मार्च को महिला दिवस मनाना शुरू किया और साल 1913 में 8 मार्च को आधिकारिक अवकाश घोषित किया गया था।

इंटरनेशनल वूमेंस डे

महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम मिलाकर खड़ी हैं। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी महिलाएं नाम रोशन कर रही हैं। इसलिए उनके सम्मान में महिला दिवस का आयोजन किया जाने लगा। महिलाएं समाज को आगे बढ़ाने, समाज को जागरुक करने, महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक करने और उन्हें प्रेरित किए जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना आवश्यक है।

ऐसे हुई थी शुरूआत

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की बात एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान सामने रखी गयी थी। एक महिला ने ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का आइडिया दिया था। उस महिला का नाम क्लारा जेटकिन था। क्लारा ने साल 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान इंटरनेशनल वूमेंस डे मनाए जाने का सुझाव दिया। बता दें कि उस दौरान कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं। जिसके बाद सभी ने क्लारा के सुझाव का समर्थन किया। सबसे पहले साल 1911 में आस्ट्रिया, जर्मनी, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। वहीं इसके बाद सभी देशों में यह 8 मार्च को मनाया जाने लगा।

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