Lockdown के 29वें दिन तक कोरोना से 652 मरे, 3,959 को मिली अस्पताल से छुट्टी

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राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस से प्रतिदिन होने वाली मौतों का लेखा जोखा रखने के लिए दिल्ली सरकार ने तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्व महानिदेशक डॉ. अशोक कुमार समिति की अध्यक्षता करेंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बुधवार को कोविड-19 के कारण देश में मरने वाले लोगों की संख्या 652 हो गई और संक्रमण के मामले 20,471 पर पहुंच गए। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना से मौत के 49 और संक्रमण के 1486 नये मामले सामने आये हैं। देश में कोविड-19 के 15,859 मरीजों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, 3,959 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और एक मरीज दूसरे देश चला गया। मंत्रालय का दावा है कि अब तक संक्रमित हुये मरीजों में 19 प्रतिशत से अधिक मरीज इलाज के बाद स्वस्थ हो गये हैं। संक्रमण के कुल मामलों में से 77 लोग विदेशी हैं। पिछले 24 घंटों में कुल 49 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 19 लोगों की मौत महाराष्ट्र में, 18 की गुजरात में, चार की मध्य प्रदेश में, तीन की पश्चिम बंगाल में, दो की आंध्र प्रदेश में तथा तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और झारखंड में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। संक्रमण के कारण देश में कुल 652 लोगों की मौत हुई है जिनमें सर्वाधिक 251 लोगों की मौत महाराष्ट्र में, 95 लोगों की मौत गुजरात में, 80 लोगों की मौत मध्य प्रदेश में, 47 की मौत दिल्ली में, 25 की मौत राजस्थान में, 24 की मौत आंध्र प्रदेश में, 23 लोगों की मौत तेलंगाना में और उत्तर प्रदेश में 21 लोगों की मौत हुई है। वहीं, तमिलनाडु में 18, कर्नाटक में 17, पंजाब में 16, पश्चिम बंगाल में 15, जम्मू कश्मीर में पांच, केरल, झारखंड और हरियाणा में तीन-तीन, बिहार में दो, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक मरीज की मौत हुयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में संक्रमण के सर्वाधिक 5,221 मामले महाराष्ट्र में, 2,272 मामले गुजरात में, 2,156 मामले दिल्ली में, 1,801 मामले राजस्थान में, 1,596 मामले तमिलनाडु में और 1,592 मामले मध्य प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश में संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 1,412 हो गयी है, जबकि तेलंगाना में 945, आंध्र प्रदेश में 813, केरल में 427, कर्नाटक में 425, पध्श्चिम बंगाल में 423, जम्मू कश्मीर में 380, हरियाणा में 254, पंजाब में 251, बिहार में 126, ओडिशा में 82, उत्तराखंड में 46, झारखंड में 45, हिमाचल प्रदेश में 39, छत्तीसगढ़ में 36, असम में 35, चंडीगढ़ में 27, लद्दाख 18, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 17, मेघालय में 12 और गोवा और पुदुचेरी में सात-सात, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो तथा मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश में एक-एक हो गयी है।

मोदी 27 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों से करेंगे संवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अप्रैल को सुबह में राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग पर संवाद करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। समझा जाता है कि इसमें कोरोना वायरस के खिलाफ आगे की लड़ाई के बारे में चर्चा हो सकती है। कोविड-19 के प्रसार के बाद राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग पर प्रधानमंत्री मोदी की यह तीसरी बैठक होगी। मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री का पिछला संवाद 11 अप्रैल को हुआ था जिसमें अधिकांश मुख्यमंत्रियों ने 21 दिनों के लॉकडाउन को बढाने की मांग की थी। इसके बाद ही प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल को राष्ट्र के नाम संबोधन में लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी। इससे पहले प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 20 मार्च को चर्चा की थी।

स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की इसी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में जुटे और ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को परेशान करने और उन पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान किया गया है। मोदी ने कहा कि यह अध्यादेश हमारे पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उनकी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा।’’ उन्होंने कहा कि महामारी संशोधन अध्यादेश 2020 कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर तैनात प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

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नोडल अधिकारियों की नियुक्ति को कहा

केंद्र सरकार ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को डॉक्टरों और अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने को कहा। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में लोगों के अनुचित व्यवहार की कुछ गंभीर घटनाओं का भी जिक्र किया है, जहां संभवत: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण चिकित्सा पेशेवरों की मौत पर उनके परिवारों और रिश्तेदारों को मृतक का अंतिम संस्कार करने से रोका गया। पत्र में कहा गया, ‘‘ऐसे मामलों में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए और कोरोना वायरस से लड़ने में दुर्भाग्यवश अपनी जान गंवाने वाले चिकित्सा पेशेवरों या अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्य कर्मियों के अंतिम संस्कार में अड़चन डालने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।’’ भल्ला ने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासनों से राज्य या केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का भी अनुरोध किया जाता है। ये अधिकारी चिकित्सा पेशेवरों के कामकाज पर सुरक्षा संबंधी किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को हिंसा की किसी भी घटना की स्थिति में तुरंत और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। महामारी के लक्षण का पता लगाने के लिए लोगों की जांच करने जाने वाले डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों को भी जरूरी पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए। गृह सचिव के इस पत्र के कुछ घंटे पहले डॉक्टरों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के साथ बातचीत की, जिन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा का उन्हें आश्वासन दिया। केंद्र सरकार ने भी एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान होगा। अपने पत्र में भल्ला ने पूर्व में भेजे गए तीन पत्रों का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने मुख्य सचिवों और डीजीपी से स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों, चिकित्साकर्मी और अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे लोगों के लिए समुचित सुरक्षा सुनश्चित करने को कहा था। उन्होंने कहा, ‘‘इन पत्रों के बावजूद देश के विभिन्न हिस्से से स्वास्थ्य पेशेवरों और अग्रिम मोर्चे के कामगारों के खिलाफ हिंसा की कुछ घटनाएं सामने आयी हैं।’’ भल्ला ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों या अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों या संबंधित लोगों के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़े दंड के लिए आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के प्रावधानों या किसी अन्य कानून को अमल में लाने को कहा है।

कैबिनेट ने दी अध्यादेश को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जिसमें कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा और उनके उत्पीड़न को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। अध्यादेश में इस जुर्म के लिये अधिकतम सात साल कैद और 5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे स्वास्थ्यकर्मियों की एक महत्वपूर्ण मांग पूरी हो गई है जिन्हें हाल के दिनों में हमलों का सामना करना पड़ा है। डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के प्रति सरकार की ‘बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति होने की बात करते हुए बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने संवाददाताओं को बताया कि नये प्रावधानों के तहत ऐसा अपराध करने पर किसी व्यक्ति को तीन महीने से लेकर पांच वर्ष तक कैद की सजा दी जा सकती है और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कैद और जुर्माना 1 से 5 लाख रूपये तक हो सकता है। जावडेकर ने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्य कर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जायेगा। इस कानून को तब भी लागू किया जाएगा जब स्वास्थ्यकर्मियों को अपने मकान मालिकों या पड़ोसियों से महज इस संदेह की वजह से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा कि उनके काम की प्रकृति की वजह से कोविड-19 का संक्रमण हो सकता है। उन्होंने बताया कि संशोधित कानून के तहत ऐसे अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती बनाया गया है। संज्ञेय और गैर जमानती अपराध का मतलब यह है कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और उसे अदालत से ही जमानत मिल सकती है। जावडेकर ने कहा, ''डाक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मी, आशा कर्मियों को परेशान करने और उनके खिलाफ हिंसा को हमारी सरकार बर्दाश्त नहीं करती, खासकर ऐसे समय में जब वे ऐसी महामारी के खिलाफ लड़ाई में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं।’’ सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि जो लोग भी हिंसा के लिये जिम्मेदार होंगे, उनसे नुकसान की भरपायी की जायेगी और यह तोड़फोड़ की गई सम्पत्ति के बाजार मूल्य का दोगुना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि स्वास्थ्य कर्मी बिना किसी तनाव के काम कर सकें। गौरतलब है कि हाल के दिनों में देश के कई क्षेत्रों से स्वास्थ्यर्मियों पर हमले एवं उन्हें परेशान किये जाने की घटनाएं सामने आई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर ऐसे हमलों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को परेशान किये जाने की घटनाओं की निंदा करते रहे हैं।प्रधानमंत्री इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका की सराहना करते रहे हैं। यह पूछे जाने पर क्या कोविड-19 के बाद भी नये बदलाव लागू रहेंगे, जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि अध्यादेश को महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन के लिये मंजूरी दी गई है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा, ''लेकिन यह अच्छी शुरूआत है।’’ बहरहाल, जावडेकर ने बताया कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डॉक्टरों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। गृह मंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टरों की भूमिका की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि सभी डॉक्टर इस लड़ाई में समर्पित रूप से काम करना जारी रखेंगे, जैसा कि वे अब तक कर रहे हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में उनकी सभी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि मोदी सरकार उनकी भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिये कानून बनाने की मांग कर रहे आईएमए ने इस बैठक के बाद क्रमश: 22 अप्रैल और 23 अप्रैल को प्रस्तावित 'व्हाइट अलर्ट' और 'काला दिवस' विरोध को वापस ले लिया। बहरहाल, राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने और सरकार के इसे अधिसूचित करने के बाद संशोधित कानून लागू होगा।

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15000 करोड़ रुपये मंजूर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को “भारत कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज” के लिए 15,000 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसका उद्देश्य भविष्य में किसी बीमारी के फैलने से निपटने, रोकथाम एवं तैयारी के लिये राष्ट्रीय एवं राज्य स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना है। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस स्वीकृत धनराशि का 3 चरणों में उपयोग किया जाएगा। अभी के लिए तत्काल कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया के वास्ते 7,774 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। बाकी धनराशि मध्यावधि सहयोग (1-4 वर्ष) के तौर पर मिशन मोड में उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें कहा गया है कि पैकेज के मुख्य उद्देश्यों में जांच एवं निदान (डायग्नोस्टिक्स) और कोविड समर्पित उपचार सुविधाओं के विकास, संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरण और दवाओं की केन्द्रीय खरीद, भविष्य में महामारियों से बचाव और तैयारियों में सहयोग के लिए राष्ट्रीय तथा राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूती देना एवं विकसित करना है। इसके अलावा प्रयोगशालाओं की स्थापना और निगरानी गतिविधियां बढ़ाना, जैव सुरक्षा तैयारियां, महामारी अनुसंधान और समुदायों को सक्रिय रूप से जोड़ना तथा जोखिम संचार गतिविधियों के माध्यम से भारत में कोविड-19 के प्रसार को धीमा और सीमित करने के लिए आपात प्रतिक्रिया बढ़ाना शामिल है। इन उपायों और पहलों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत ही लागू किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को परिस्थितियों में बदलाव के आधार पर विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, केन्द्रीय खरीद, रेलवे, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग/ आईसीएमआर, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र) के बीच पैकेज से संबंधित संसाधनों के वितरण के लिए अधिकृत किया गया है।

अब आप किस्तों में दे सकते हैं स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों को ‘उपयुक्त उत्पादों’ पर स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम मासिक, तिमाही या छमाही आधार पर किस्तों में लेने की अनुमति दी है। कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहे असर के बीच नियामक ने यह कदम उठाया है। बीमा कंपनी उन उत्पादों के लिये किस्तों में प्रीमियम ले सकती हैं जो उन्हें उपयुक्त जान पड़ता है। पिछले साल सितंबर में इरडा ने बीमा कंपनियों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के मामले में प्रमाणन के आधार पर प्रीमियम भुगतान विकल्प (कई किस्तों में प्रीमियम का भुगतान) प्रस्तुत करने की अनुमति दी थी। इसके लिए उन्हें प्रमाण पत्र लेना होता था। इरडा ने एक परिपत्र में कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के कारण मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा बीमा प्रीमियम भुगतान को आसान बनाने की जरूरत पर विचार किया गया। इसके तहत सभी बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम किस्तों में लेने की अनुमति दी जाती है...वे इसके लिये अपने हिसाब से उत्पादों का चयन कर सकते हैं।’’ इरडा ने साफ किया है कि इससे मूल प्रीमियम और शुल्क ढांचे में कोई बदलाव नहीं होगा। प्रीमियम भुगतान मासिक, तिमाही या छमाही हो सकता है। बीमा नियामक ने यह भी कहा है कि किस्तों में प्रीमियम भुगतान की सुविधा एक स्थायी व्यवस्था के तौर पर दी जा सकती है या फिर अस्थायी तौर पर 12 महीने के लिये। यानी 31 मार्च 2021 तक नवीनीकरण वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिये यह सुविधा दी जा सकती है। नियामक ने बीमा कंपनियों से अपनी वेबसाइट पर उन उत्पादों के नाम बताने को कहा है जिनपर किस्तों में प्रीमियम भुगतान की सुविधा की पेशकश की जा रही है।

मध्य प्रदेश के छात्रों की घरों के लिए रवानगी शुरू

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये लागू लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे मध्य प्रदेश के छात्रों की बुधवार को घरों के लिए रवानगी शुरू हो गई। मध्य प्रदेश की सरकार ने छात्रों को वापस लाने के लिए मंगलवार रात को 143 बसें भेजी थीं। एडीएम (प्रशासन) नरेंद्र गुप्ता ने बताया कि शाम चार बजे तक कम से कम 90 बसें मध्य प्रदेश के लिए रवाना हो गईं। उन्होंने कहा कि राज्य के चार हजार से अधिक छात्र कोटा में फंसे हैं। उन्होंने बताया कि सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए एक बस में 30 से कम छात्रों को ही चढ़ने दिया जा रहा है। रवानगी से पहले बसों को अच्छी तरह से सैनिटाइज किया जा रहा है और हर छात्र की ठीक से जांच की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक गुजरात के करीब 450 छात्र और दीव के करीब सौ छात्र बुधवार रात तक रवाना होंगे। गुजरात सरकार ने कम से कम 15 बसें भेजीं, जो मंगलवार रात को यहां पहुंचीं और दीव प्रशासन ने भी तीन बसें भेजी हैं।

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कर्नाटक में 23 अप्रैल से लॉकडाउन में आंशिक ढील

कर्नाटक सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण पर रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन में 23 अप्रैल से आंशिक ढील देने की बुधवार को घोषणा की। इसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), निर्माण संबंधी कार्यों, पैकेजिंग सामग्री के विनर्माण तथा कुरियर आदि को छूट मिलेगी। सरकार ने कहा कि लॉकडाउन से यह ढील सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में दी जाएगी जो कोराना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए खतरे वाले क्षेत्र घोषित नहीं हैं। देश भर में कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण पर रोकथाम के लिये तीन मई तक लॉकडाउन (बंद) लागू है। पहले बंद की समयसीमा 14 अप्रैल को समाप्त हो रही थी, लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने इसे आगे बढ़ा दिया है। राज्य सरकार ने कहा, ‘‘आईटी तथा आईटी आधारित सेवाओं को सिर्फ न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम करने की इजाजत होगी। शेष कर्मचारियों को घर से काम करना होगा।’’ राज्य के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ आईटी कंपनियों को 20 अप्रैल से परिचालन शुरू करने की घोषणा करने के कुछ ही देर बाद आम लोगों की भावना का हवाला देते हुए फैसले को 18 अप्रैल को वापस ले लिया था। नये आदेश के अनुसार, स्थानीय इलाकों में इलेक्ट्रिशियन, आईटी मरम्मत, नलसाज (प्लंबर), वाहन मिस्त्री और बढ़ई जैसे स्वरोजगार संबंधी सेवाओं को भी ढील का लाभ दिया जाएगा। इनके अलावा चाय, कॉफी तथा रबर के बागानों को 50 प्रतिशत कामगारों के साथ खुलने की इजाजत दी गयी है। इन उत्पादों के प्रसंस्करण, पैकेजिंग, बिक्री तथा विपणन से जुड़ी इकाइयां भी 50 प्रतिशत कार्यबल के साथ परिचालन शुरू कर सकती हैं। राज्य के मुख्य सचिव टी. एम. विजय भाष्कर ने आदेश में कहा, ‘‘लोगों के सामने आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिये कुछ अतिरिक्त सेवाओं को छूट दी जा रही है। यह 23 अप्रैल से प्रभावी है।’’ हालांकि इन सेवाओं का परिचालन शुरू करने से पहले जिला प्रशासन और बेंगलुरू शहर के मामले में बीबीएमपी यह सुनिश्चित करेगा कि कार्यालय, कार्य स्थल व प्रतिष्ठान में कमागारों के बीच आपसी दूरी समेत सुरक्षा के अन्य उपाय किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की राज्य सरकार लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक संकटों से जूझ रही है। इस कारण राज्य सरकार आर्थिक गतिविधियों को शुरू करना चाह रही है। आदेश में कहा गया कि आतिथ्य सत्कार (होटल, रेस्तरां) संबंधी सेवाएं, बार, मॉल, सिनेमा घर, शॉपिंग परिसर, धार्मिक स्थल आदि बंद रहेंगे। सार्वजनिक परिवहन भी तीन मई तक निलंबित रहेगा। आपातकालीन सेवाओं के लिये निजी वाहन निर्गत पास के आधार पर ही आवागमन कर सकेंगे। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, बुनियादी संरचना तथा कृषि जैसी जरूरी सेवाओं को मिल रही छूट बरकरार रहेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण, सिंचाई की परियोजनाओं, भवन निर्माण तथा एमएसएमई समेत सभी औद्योगिक परियोजनाओं के निर्माण कार्यों को भी छूट के लाभ मिलेंगे। औद्योगिक एस्टेट के संदर्भ में छूट के लाभ सिर्फ तभी मिलेंगे, जब उन्हें कामगारों को बाहर से लाने के जरूरत नहीं होगी।

रेलवे ने ढाई लाख भोजन के पैकेट देने की पेशकश की

रेलवे ने अपनी विभिन्न रसोइयों से प्रतिदिन ढाई लाख भोजन के पैकेट उन सभी जिलों में देने की पेशकश की है जहां का प्रशासन लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों में वितरित करने के लिए बना बनाया भोजन लेने को तैयार हों। रेल मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इस संबंध में देशभर के जिलों के अधिकारियों को सूचना दे दी गई है। मंत्रालय की ओर से कहा गया, “मंडल के अनुसार रसोइयों का ब्यौरा राज्यों को दे दिया गया है। प्रतिदिन 2.6 लाख भोजन के पैकेट की पेशकश निर्दिष्ट स्थानों की रसोई की क्षमता को देखते हुए की गई है। आवश्यकता पड़ने पर आपूर्ति बढ़ाने के लिए और रसोइयों का उपयोग किया जाएगा। भोजन के पैकेट 15 रुपये प्रति पैकेट की दर से उपलब्ध होंगे। भुगतान की बात राज्य सरकारों से बाद में की जाएगी।” रेलवे अधिकारियों ने कहा कि भोजन की अतिरिक्त मांग का भुगतान भी राज्यों को करना होगा।

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प्रधानमंत्री ने की 106 साल के पूर्व जनसंघ विधायक से बात

जीवन के 106 वसंत देख चुके जनसंघ के पूर्व विधायक श्रीनारायण उर्फ भुलई भाई के लिये बुधवार का सूरज एक नयी खुशी लेकर आया, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद उन्हें फोनकर उनका हालचाल पूछा और कोरोना संक्रमण के इस मुश्किल वक्त में उनसे आशीर्वाद भी मांगा। कुशीनगर के रामकोला ब्लॉक स्थित पगर गांव के मूल निवासी भुलई भाई 1974 और 1980 में जिले की नौरंगिया सीट (अब खड्डा) से विधायक चुने गये थे। प्रधानमंत्री का फोन भुलई भाई के प्रपौत्र कन्हैया ने उठाया। कन्हैया ने बताया 'बाबा उस वक्त घर में चाय पी रहे थे, तभी फोन की घंटी बजी। मैंने फोन उठाया। उधर से आवाज आयी कि प्रधानमंत्री जी आपके बाबा से बात करना चाहते हैं। उसके बाद फोन होल्ड हो गया। कुछ पलों के बाद प्रधानमंत्री ने बाबा को नमस्कार कहा।' भुलई भाई ने बताया 'प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझे नमस्कार किया और मेरी और मेरे परिवार की खैरियत पूछी। उन्होंने मजाकिया लहजे में यह भी पूछा कि अब तो आप 100 साल पूरे कर चुके होंगे। मैंने उन्हें बताया कि मैं 106 साल का हो चुका हूं।' उन्होंने बताया 'प्रधानमंत्री जी ने मुझसे पूछा कि मैंने अब तक चार पीढ़ियां देख ली होंगे। मैंने कहा, हां।' पूर्व विधायक ने कहा 'उसके बाद प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न कठिन समय में आशीर्वाद मांगा और कहा कि आपको देखे बहुत दिन हो गये हैं।' भुलई भाई ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को लम्बे और स्वस्थ जीवन तथा देश की यूं ही सेवा करने का आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि कई साल पहले वह नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में मोदी से मिले थे। उस वक्त भी वह बेहद सक्रिय कार्यकर्ता थे।

बिना लक्षण वाले मरीजों को 28 दिन तक पृथक वास में रहना होगा

तेलंगाना सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के संपर्क में आये ऐसे लोगों की जांच नहीं करने के निर्देश दिए हैं जिनमें इसके लक्षण नहीं (एसिम्टोमेटिक) दिखे हैं। साथ ही कहा है कि उन्हें 14 के बजाय 28 दिनों तक पृथक वास में रहना होगा। सरकार ने कहा, ‘‘बिना लक्षण वाले मरीजों की जांच नहीं कराई जायेगी।’’ मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘हालांकि उनकी पहचान की जायेगी और उन्हें 28 दिन तक घर में पृथक रहना होगा और स्थानीय क्षेत्र निगरानी दलों द्वारा उनकी प्रतिदिन निगरानी की जायेगी।’’ एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार तेलंगाना में कोरोना वायरस से संक्रमित 711 मरीजों का इलाज चल रहा है। राज्य में इससे संक्रमित 194 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है जबकि इस महामारी से 23 लोगों की मौत हो चुकी है।

प्रमाण पत्र लाना होगा

केरल सरकार ने कहा है कि केंद्र की अनुमति मिलने के बाद विभिन्न देशों खासकर खाड़ी क्षेत्र में रह रहे राज्य के लोगों को वापस आने के लिए कोरोना वायरस संक्रमण नहीं होने का आवश्यक प्रमाणपत्र भी लाना होगा। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में कामयाबी के बाद विदेशों से आने वाले संक्रमण के मामले के प्रति एहतियात बरतते हुए सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है जिन लोगों के पास संक्रमण नहीं होने का प्रमाणपत्र होगा, वो नोरका (अनिवासी केरल मामले) विभाग में पंजीकरण करा सकते हैं। राज्य के गृह सचिव डॉ. विश्वास मेहता ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम ऐसे लोगों को (राज्य में) आने की अनुमति देंगे जिनके पास संक्रमण नहीं होने का प्रमाण पत्र होगा। इसके बाद ही वे ‘नोरका’ में पंजीकरण करा पाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि केरल के प्रवासियों द्वारा पंजीकरण कराए जाने के बाद सरकार एक सूची बनाएगी कि किनको प्राथमिकता के साथ लाना चाहिए। विदेश में रहने वाले केरल के प्रवासियों की वापसी के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयार दिशा-निर्देश के तहत जिस देश से वह केरल वापस आना चाहते हैं, पहले वहां जांच करानी होगी और उनके पास कोविड-19 संक्रमित नहीं होने का प्रमाणपत्र भी होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी रणनीति है कि विदेश में रहने वाले केरल के लोगों को खुद जांच करानी चाहिए और उन्हें संक्रमण नहीं होने के प्रमाणपत्र के साथ राज्य आना चाहिए। राज्य पहुंचने पर हवाई अड्डे पर उनकी जांच की जाएगी। अगर उनमें कोई लक्षण मिला तो उन्हें कोरोना वायरस देखभाल केंद्र में भेज दिया जाएगा । जिन लोगों में किसी तरह के लक्षण नहीं होंगे उन्हें घर भेज दिया जाएगा लेकिन उन्हें 14 दिन के लिए निगरानी में रहना होगा।’’ आधिकारिक आकलन के मुताबिक, विभिन्न देशों में केरल के 33 लाख लोग रह रहे हैं। इनमें से 22 लाख लोग खाड़ी क्षेत्र में हैं और सरकार को उम्मीद है कि उड़ान सेवा बहाल होने पर 30 दिन के भीतर तीन से 5.5 लाख लोग वापस आ सकते हैं।

चौकीदार से उठक-बैठक कराने के मामले में एएसआई निलंबित

बिहार के अररिया में जिला कृषि अधिकारी के वाहन को रोककर उनसे पास मांगने पर एक चौकीदार से उठक—बैठक कराए जाने के मामले में एक सहायक अवर निरीक्षक (एएसआई) को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि अररिया जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार द्वारा एक चौकीदार से उठक-बैठक कराना "मानव गरिमा के खिलाफ" था, और इस मामले में एएसआई गोविंद सिंह को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने बताया, "मैंने चौकीदार को फोन भी किया और गलत सुलूक किए जाने के लिए माफी मांगी, क्योंकि यह जरूरी है कि हम अपने किसी भी जवान का मनोबल नहीं गिरने दें।" अररिया जिले के जोकीहाट थाना क्षेत्र के तहत अररिया-जोकीहाट मार्ग पर सूरजपुर पुल के पास सोमवार को चौकीदार गणेश लाल ने लॉकडाउन के मद्देनजर जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार के वाहन को रोका और पास की मांग की। इस पर कृषि पदाधिकारी नाराज हो गए और उन्होंने चौकीदार से उठक-बैठक करायी। इस बीच कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार और उनके साथ घटनास्थल पर मौजूद एक कृषि समन्वयक के खिलाफ कार्रवाई के लिए गृह विभाग को अनुशंसा भेज दी गयी है। अररिया जिला से भी इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गयी है जिसमें घटना को लेकर मनोज कुमार को कारण बताओ नोटिस का जवाब देना था। कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा “हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। निष्कर्षों के आधार पर जिला कृषि पदाधिकारी निलंबन या अन्य प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर सकते हैं।''

महाराष्ट्र सरकार का स्पष्टीकरण

महाराष्ट्र सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही एक खबर को खारिज कर दिया कि अगर कर्मचारियों को कोरोना वायरस संक्रमण हुआ तो नियोक्ता या संगठनों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने एक बयान में कहा है कि यह खबर सच नहीं है। बयान में कहा गया कि व्हाट्सएप पर एक संदेश को प्रसारित किया गया जिसमें दावा किया गया है कि कामगार/कर्मचारी को संक्रमण होने पर नियोक्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। बयान में कहा गया, ‘‘इस तरह का निर्णय लेने के लिए कोई बैठक नहीं हुई है। सरकार ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही। पहली नजर में ऐसा लगता है कि प्रसारित संदेश किसी दूसरे राज्य में औद्योगिक प्रतिष्ठानों की बैठक का है।’’ बयान में कहा गया कि अगर किसी को कोरोना वायरस संक्रमण हुआ तो सरकार सुनिश्चित करेगी कि व्यक्ति का उपचार हो। बयान के मुताबिक, सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि उद्योगों को इस शर्त पर काम शुरू करने की अनुमति दी गयी है कि सामाजिक दूरी और अन्य नियमों का पालन करना होगा।

ममता बनर्जी का आरोप

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य की तैयारियों का जायजा लेने के लिये टीमें भेजने पर बुधवार को केंद्र सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि राज्य को खराब जांच किट भेजी गयीं। एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल और केंद्र के बीच राज्य में दो केंद्रीय दलों के पहुंचने के विषय पर गतिरोध सामने आया था। बनर्जी ने कहा, ‘‘रोजाना यह अफवाह फैलाई जा रही है कि बंगाल में कोविड-19 के लिए केवल कुछ नमूने ही जांचे जा रहे हैं। यह पूरी तरह झूठ है। बंगाल को खराब किट भेजी गयीं जिन्हें अब वापस ले लिया गया है। हमें पर्याप्त जांच किट भी नहीं मिलीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे (केंद्र) हमें रोजाना बता रहे हैं कि क्या करना है और क्या नहीं करना। कानून व्यवस्था की स्थिति देखने के लिए और कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी तैयारी का जायजा लेने के लिए लोगों को भेज रहे हैं। वे कड़े शब्दों में पत्र लिखकर हमें भेज रहे हैं। हम भी उन्हें पत्र भेज सकते हैं। लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं है।’’ बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए वो सब कर रही है जो वह कर सकती है।

राजस्थान में दो हजार नए डाक्टर भर्ती होंगे

कोरोना वायरस महामारी के बीच राजस्थान सरकार दो हजार नये चिकित्सक भर्ती करेगी तथा नौ हजार से अधिक नर्सिंगकर्मियों को भी जल्द ही नियुक्ति देगी। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ाई में श्रमबल की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों 735 नए चिकित्सकों को जिलों में नियुक्ति दे दी गई है और अब 2000 नए चिकित्सकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसी तरह न्यायालय में अटकी 12 हजार 500 हजार जीएनएम और एएनएम की भर्ती का रास्ता साफ करते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर नौ हजार नर्सिंगकर्मियों की भी जल्द ही नियुक्ति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने और चिकित्सा संस्थानों को सभी सुविधाएं से युक्त करने के लिए भी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं। प्रदेश में जांच सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। चिकित्सा संस्थानों की क्षमता इस समय 4700 जांच प्रतिदिन करने की है और आने वाले दिनों में इसकी संख्या 10 हजार होगी। सभी जिला मुख्यालयों पर भी जांच की सुविधाएं विकसित करने पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ अभियान में जुटे कर्मियों व अन्य लोगों के साथ किसी भी सूरत में बदतमीजी या अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

लोगों के घर में रहने से दुनिया की आबोहवा साफ हुई

कोरोना वायरस की महामारी की वजह से पूरी दुनिया में लोग घरों में बंद हैं। इसका धरती यह सकारात्मक असर पड़ा है कि अस्थायी रूप से ही सही हवा साफ हो गई। दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में से एक दिल्ली जहां पर प्रदूषण की वजह से धुंध छाया रहता है, आसमान साफ दिख रहा है। उत्तर-पूर्वी अमेरिका (इसी इलाके में न्यूयॉर्क, बोस्टन जैसे शहर हैं) में भी वातावरण में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के प्रदूषण में 30 प्रतिशत की कमी आई है। इटली की राजधानी रोम में पिछले साल मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के मुकाबले इस साल इस अवधि में प्रदूषण के स्तर में 49 प्रतिशत तक की गिरावट आई है और आसमान में तारे और साफ दिखाई दे रहे हैं। लोग उन स्थानों पर भी जंगली जानवरों को देख रहे हैं जहां पर आमतौर पर ऐसा नहीं देखा जाता है। अमेरिका के शिकागो शहर के मिशिगन एवेन्यू और सैन फ्रांसिस्कों के गोल्डन गेट ब्रिज के पास काइयोट (उत्तरी अमरीका में पाया जाने वाला छोटा भेड़िया) देखा गया है। इसी प्रकार चिली की राजधानी सेंटियागो की सड़कों पर तेंदुआ घूमता हुआ नजर आया। वेल्स में बकरियों ने शहर पर कब्जा कर लिया। भारत में भूखे बंदर लोगों के घरों में घुसकर फ्रीज से खाना निकाल पर खाते हुए देखे गए हैं। ड्यूक विश्वविद्यालय के संरक्षणवादी वैज्ञानिक स्टुअर्ट पिम्म ने कहा, ‘‘यह हमें असाधारण तरीके से यह विचार करने का मौका दे रहा है कि हम इंसानों ने कैसे इस ग्रह को तहस-नहस कर दिया है। यह हमें मौका देता है कि जादू की तरह हम देखें कि दुनिया कैसे बेहतर हो सकती है।’’ स्टैनफोर्ड वुड्स पर्यावरण संस्थान के निदेशक क्रिस फिल्ड ने इनसानों के घर में रहने की वजह से पारिस्थितिकी में आने वाले बदलाव का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों को एकत्र किया है। उन्होंने कहा, ''बाकी लोगों की तरह वैज्ञानिक भी घरों में बंद हैं लेकिन वे किट पतंगों, मौसम की परिपाटी, शोर और प्रकाश प्रदूषण में होने वाले अप्रत्याशित बदलाव का पता लगाने के लिए उत्सुक हैं। इटली सरकार समुद्री खोज पर काम कर रही है ताकि लोगों के नहीं होने पर समुद्र में होने वाले बदलाव का अध्ययन किया जा सके।’’ फिल्ड ने कहा, ‘‘कई तरीकों से एक तरह से हमने धरती की प्रणाली को तबाह कर दिया है और हम देख रहे हैं कि धरती कैसी प्रतिक्रिया करती है।’’ हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डैन ग्रीनबाउम ने बताया कि शोधकर्ता पारंपरिक वायु प्रदूषक जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइट, धुंध और छोटे कण में आई नाटकीय कमी का आकलन कर रहे हैं। इस तरह के प्रदूषकों से दुनिया भर में करीब 70 लाख लोगों की मौत होती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वायुमंडल वैज्ञानिक बैरी लेफर ने बताया कि 2005 से उपग्रह के जरिये वातावरण में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के स्तर को मापा जा रहा है और पहली बार बोस्टन से वाशिंगटन तक की हवा सबसे अधिक साफ है। इसकी बड़ी वजह ईंधन की खपत में कमी आना है क्योंकि ये प्रदूषक कम समय तक रहते हैं और इसलिए हवा साफ भी जल्दी हो गई। उन्होंने बताया कि पिछले पांच के आंकड़ों की तुलना में इस साल मार्च में पेरिस में 46 प्रतिशत, बेंगलुरु में 35, सिडनी में 38 प्रतिशत, लॉस एंजिलिस में 26 प्रतिशत, रियो डी जेनिरियो में 26 प्रतिशत और डर्बन में नौ प्रतिशत तक प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई। लेफर ने बताया, ‘‘यह हमें झलक दिखाता है कि अगर हमने प्रदूषण फैलाने वाली कारों पर रोक लगा दी तो क्या हो सकता है।’’ उन्होंने बताया कि भारत और चीन में वायु प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आई है। तीन अप्रैल को जालंधर के लोग जब उठे तो उन्होंने ऐसा दिन दशकों में नहीं देखा था क्योंकि करीब 160 किलोमीटर दूर स्थित बर्फ से ढंकी हिमालय की पहाड़ियां साफ दिखाई दे रही थी। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से सबद्ध चिकित्सा विद्यालय में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य शोध की निदेशक डॉ. मैरी प्रूनिकी ने बताया कि साफ हवा का मतलब है कि अस्थमा के मरीजों के लिए मजबूत फेफड़े खासतौर पर बच्चों के लिए। इससे पहले उन्होंने रेखांकित किया था कि कोरोना वायरस का उन लोगों के फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ता है जो प्रदूषण वाले इलाके में रहते हैं। ब्रेकथ्रू इंस्टीट्यूट के जलवायु वैज्ञानिक जेक हाउसफादर ने कहा कि गत 100 साल या इससे भी अधिक साल से ग्रीनहाउस गैस ऊष्मा को अवशोषित कर रही हैं जिससे जलवायु गर्म हो रहा है, ऐसे में लॉकडाउन का जलवायु परिवर्तन पर असर होने की कम ही संभावना है।

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कई देशों ने पांबदियों में कुछ ढील दी

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में बुधवार को छोटी दुकानें दोबारा खुल गई। इसी प्रकार कुछ देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए, लॉकडाउन में छूट देने की शुरुआत की है जो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू किया गया था। हालांकि, घबराए हुए कुछ कामगारों और ग्राहकों ने आशंका जताई है कि सामान्य हालात होने में लंबा समय लग सकता है। यूरोपीय देश डेनमार्क और ऑस्ट्रिया में भी पाबंदियों में ढील दी गई है। फ्रांस में मैक्डोनल्ड की सेवाएं दोबारा बहाल होने के बाद कुछ दुकानों के सामने लंबी कतारें देखने को मिलीं। अमेरिका के कुछ राज्य भी लोगों द्वारा लॉकडाउन का विरोध करने और काम पर लौटने की मांग के बाद पाबंदियों में ढील दे रहे हैं। कोविड-19 के संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इटली, स्पेन, चीन और न्यूयॉर्क में इस वायरस के कारण रोजाना होने वाली मौत में कमी आई और अस्पताल आने वाले नये संक्रमितों की संख्या में भी गिरावट आई जबकि कुछ अन्य इलाकों में दोबारा मामले बढ़ रहे हैं। सिंगापुर कोरोना वायरस संक्रमितों का पता लगाने और फैलने से रोकने के मामले में आदर्श के रूप में स्थापित हुआ था लेकिन अब वहां नये मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है जिसकी वजह से सरकार को बुधवार को घोषणा करनी पड़ी कि देश में लॉकडाउन जून तक रहेगा। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को लेकर लोगों की व्यग्रता बढ़ती जा रही है क्योंकि लाखों लोगों को उनकी नौकरी जाने का डर है जबकि जिन इलाकों में कारोबार खोलने की अनुमित दी गई है, वहां भी झिझक देखी जा रही है। जॉर्जिया के सावनाह में गर्वनर ब्रायन केम्प ने इस हफ्ते जिम और सैलून दोबारा खोलने की अनुमति देने घोषणा की थी लेकिन जिम मालिक मार्क लेबोस का कहना है कि इस समय काम करना पेशेवर लापरवाही होगी। जॉर्जिया के समयरना में सैलून चलाने वाली रोनिक हॉलोवे ने कहा कि वह दोबारा काम करने के लिए एक मई तक इंजतार करेंगी। जॉन हॉप्किंस विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 महामारी से दुनिया भर में करीब 25 लाख लोग संक्रमित हुए हैं जिनमें से 1,77,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इनमें 45,000 से अधिक मौतें अकेले अमेरिका में हुई हैं। स्वास्थ्य एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि संकट अभी खत्म नहीं हुआ है और घर में रहने के दिए आदेश में छूट देने से कोविड-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि हो सकती है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है जिसकी बानगी कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट और मंगलवार को अमेरिकी शेयर वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट के रूप में देखने को मिली। एशियाई शेयर बाजारों में भी बुधवार को गिरावट का दौर जारी रहा। अमेरिका में कांग्रेस (संसद) के उच्च सदन सीनेट ने संसद और व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति जो कार्यपालिका के शीर्ष पदाधिकारी हैं) के बीच समझौता होने पर कोरोना वायरस मदद के तहत कारोबार, अस्पतलों और जांच के लिए 500 अरब डॉलर की मदद मंजूर की। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कांग्रेस सदस्यों से इससे संबंधित विधियेक को यथाशीघ्र पारित करने का आह्वान किया था। स्पेन, जो कोविड-19 से दुनिया के सबसे प्रभावित देशों में शामिल है, ने छह हफ्तों में पहली बार बच्चों को अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति दी। यहां बुधवार को 435 लोगों की मौत के साथ कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 21,717 तक पहुंच गई है जो अमेरिका के बाद सबसे अधिक है। स्पेन में करीब 2,08,000 लोगों के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। स्पेन में संक्रमितों और मृतकों के आंकड़े रेखांकित करते हैं कि देश ने महामारी से कितनी बड़ी तबाही का सामना किया और जिसकी वजह से लोगों को घर में ही रहने का नियम बनाना पड़ा। अभिभावकों के दबाव के चलते प्रधानमंत्री पेड्रो सान्चेज़ ने सोमवार से दोबारा बच्चों को बाहर जाने की अनुमति दी। स्पेन में स्वास्थ्य संकट में सुधार होने का संकेत मैड्रिड के आइस स्केटिंग में बने अस्थायी मुर्दाघर का बंद होना है जहां तीन हफ्ते पहले 950 दैनिक मौतों का आंकड़ा घटकर 500 से नीचे आ गया है। सिंगापुर, जिसकी महामारी के प्राथमिक चरण में त्वरित कार्रवाई और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की शुरुआत में ही दक्षतापूर्वक पहचान करने के लिए प्रशंसा की जा रही थी , में विदेशी कामगारों के अस्थायी आश्रय गृहों में बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले आए हैं जिनकी अबतक अनदेखी की गई थी। छोटे से द्वीपीय देश सिंगापुर में कुल संक्रमितों की संख्या 10,141 तक पहुंच गई है जिनमें 1,016 नये मामले अकेले बुधवार को सामने आए। पाकिस्तान में डॉक्टरों ने पत्र जारी कर देश के धार्मिक नेताओं और प्रधानमंत्री से उस फैसले को पलटने का आह्वान किया है जिसमें उन्होंने मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान में मस्जिदों को नमाज के लिए खोलने की अनुमति दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे कोविड-19 मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। भारत ने दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन प्रावधानों में इस हफ्ते आंशिक ढील दी लेकिन जन स्वास्थ्य अधिकारियों को मामलों में वृद्धि का भय है। देश, संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों का पता लगाने वाले ऐप ‘‘आरोग्य सेतु’’ के साथ कलाई पर बांधे जाने वाले उपकरण (रिस्टबैंड) के उपयोग की योजना बना रहा है जिससे लोगों को संक्रमण के खतरे का पता लगाने में मदद मिलेगी। अधिकारियों ने बताया कि रिस्टबैंड की परिकल्पना 130 करोड़ की आबादी में लोगों के संपर्क का पता लगाने में इस्तेमाल श्रमबल से बचने के लिए की गई है और इसके मई तक आने की उम्मीद है। अमेरिका में टेनेसी, पश्चिमी वर्जिनिया और कोलोरोडो सहित कुछ राज्यों ने आने वाले दिनों में कारोबार को दोबारा खोलने की योजना की घोषणा की है। वहीं साउथ कैरोलिना में गर्वनर की सहमति के बाद धूप सेंकने के लिए लोग समुद्र तटों पर पहुंच गए। हालांकि, यहां कोरोना वायरस के चलते पाबंदी लगाने पर राजनीतिक तनाव में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है। वाशिंगटन राज्य, मिशीगन और विस्कोंसिन के कई प्रशासनिक इकाइयों ने कहा कि वे घर पर ही रहने के आदेश का अनुपालन नहीं करेंगे। अलाबामा, उत्तरी कैरोलिना और मिसौरी में कोध्रित लोगों ने पाबंदियों को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। उनके हाथें में तख्तियां थी ‘‘ अब बहुत हुआ’’। विस्कोंसिन में रिपब्लिकन नेताओं ने राज्य के उच्च न्यायालय से मांग की है कि वह घर में रहने के आदेश की अवधि को बढ़ाने पर रोक लगाए। कोविड-19 प्रभावित न्यूयॉर्क को मास्क, वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सा उत्पादों को दान करने के लिए आयोजित ऑनलाइन समारोह में चीन के महावणिज्यदूत हुआंग पिंग ने परोक्ष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से अपील की कि वह उनके देश के खिलाफ अपनाए रुख में नरमी लाए। उन्होंने कहा, ‘‘यह समय एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं है। यह समय एकजुटता, समन्वय, सहयोग और आपसी समर्थन का है।’’

प्रश्न सत्र तकनीक के सहारे आयोजित किया गया

ब्रिटेन के संसदीय इतिहास में बुधवार को पहली बार निम्न सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’’ का साप्ताहिक प्रधानमंत्री प्रश्न सत्र उच्च तकनीक की माध्यम से आयोजित किया। इसमें दर्जनों सांसद अपने-अपने कक्ष में थे और अन्य कुछ एक बड़े स्क्रीन के माध्यम से जुड़े थे ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन किया जा सके। प्रधानमंत्री प्रश्न सत्र निम्न सदन में विपक्षी सदस्यों और अन्य सांसदों के लिए होता है जिसमें वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से सवाल से पूछते हैं। बुधवार के सत्र में प्रधानमंत्री का कार्यभार देख रहे विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने जवाब दिया क्योंकि कोविड-19 का इलाज कराने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इस सत्र में लेबर पार्टी से हाल में चुने गए सर कियेर स्टारमर ने पहला सवाल किया जिन्होंने सोमवार को कोरोना वायरस की वजह से प्राण गंवाने वाले ब्रिटिश सिख आपात सलाहकार मंजीत सिंह रियात को श्रद्धांजलि दी और पूछा कि रियात की तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के कितने लोग कोविड-19 से लड़ते हुए शिकार हुए हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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