Lockdown के 36वें दिन मिली प्रवासी श्रमिकों, छात्रों को सशर्त घर जाने की इजाजत

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केंद्रीय महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि आपातकालीन हेल्पलाइन ‘चाइल्डलाइन 1098’ के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान 898 बाल विवाह रोके गए। उन्होंने यह भी बताया कि ‘चाइल्डलाइन 1098’ ने 18,200 फोन कॉल के जवाब में जरूरी दखल दिया।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले मरीजों की संख्या एक हजार से अधिक हो गयी। मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 1008 हो गयी है और संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 31,332 हो गयी। मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमण के 1897 नये मामले सामने आये हैं। इसके अनुसार कोविड-19 से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 7,695 हो गयी है। यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या का 24.5 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटों के दौरान 827 मरीजों को स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दी गयी है। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने देश में संक्रमण फैलने की गति में निरंतर गिरावट आने और संक्रमण से स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुये कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक अभियान में भारत की कामयाबी के प्रति विश्वास व्यक्त किया। बयान के अनुसार डॉ. हर्षवर्धन ने सामाजिक संगठन ‘लायंस क्लब इंटरनेशनल’ के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक में कहा कि देश में कोरोना के सिर्फ 0.33 प्रतिशत मरीजों को ही गंभीर हालत में होने के कारण वेंटिलेटर पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि देश में अधिकांश संक्रमित मरीजों की स्थिति खतरे से बाहर है और 1.5 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है, जबकि संक्रमण के लक्षणों की अधिकता वाले 2.34 प्रतिशत मरीजों का सघन चिकित्सा केन्द्र (आईसीयू) में इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ अभियान में वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये बहुस्तरीय रणनीति को अपनाया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी के बलबूते, भारत इस महामारी से उबरने में कामयाब होगा। मंत्रालय की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने बुधवार को राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक कर कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिये किये जा रहे उपायों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने स्थानीय प्रशासन को संक्रमण पर निगरानी के लिये आरोग्य सेतु एप को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया।

लोगों को शर्तों के साथ आवाजाही की अनुमति

देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों को बुधवार को कुछ शर्तों के साथ उनके गंतव्यों तक जाने की अनुमति दे दी गयी जिससे एक बड़े वर्ग को राहत मिल सकती है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने एक आदेश में कहा कि ऐसे फंसे हुए लोगों के समूहों को ले जाने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जाएगा और इन वाहनों को सैनेटाइज किया जाएगा तथा सीटों पर बैठते समय सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा। गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या किसी व्यक्ति या परिवार को निजी वाहन में जाने की इजाजत मिल सकती है और यदि अनुमति मिल सकती है तो उसके लिए क्या शर्तें होंगी। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे आदेश में भल्ला ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर, तीर्थयात्री, सैलानी, छात्र और अन्य लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी।’’ मंत्रालय ने शर्तें गिनाते हुए कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस बाबत नोडल अधिकारी बनाने होंगे और ऐसे लोगों को रवाना करने तथा इनकी अगवानी करने के लिए मानक प्रोटोकॉल बनाने होंगे। आदेश में कहा गया है कि नोडल अधिकारी अपने राज्यों में फंसे हुए लोगों का पंजीकरण भी करेंगे। इसके अनुसार यदि फंसे हुए लोगों का समूह किसी एक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से दूसरे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के बीच यात्रा करना चाहता है तो दोनों राज्य एक दूसरे से सलाह-मशिवरा कर सकते हैं और सड़क से यात्रा के लिए आपसी सहमति जता सकते हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार सफर करने वालों की स्क्रीनिंग की जाएगी। जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देता उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी। आदेश के अनुसार बस के मार्ग में पड़ने वाले राज्य ऐसे लोगों को उनके राज्यों के लिए अपने यहां से गुजरने देंगे। इसमें कहा गया कि गंतव्य स्थल पर पहुंचने पर स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी उन पर नजर रखेंगे और उन्हें घर में पृथक-वास में रहने को कहा जाएगा। अगर जरूरत लगती है तो संस्थागत पृथक-वास में भी रखा जा सकता है। गृह मंत्रालय के अनुसार इन लोगों पर लगातार नजर रखी जाएगी और समय समय पर इनकी स्वास्थ्य जांच होगी। इस अवसर का लाभ उठाने वाले लोगों को ‘आरोग्य सेतु’ ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जिसके माध्यम से वे अपनी सेहत के स्तर पर नजर रख सकते हैं। केंद्रीय गृह सचिव ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष के नाते यह आदेश जारी किया है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारी घरों में पृथक रहने के संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। केंद्र सरकार का यह फैसला कई लाख प्रवासी मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों और अन्य ऐसे लोगों के लिए बड़ी राहत वाला हो सकता है जो देश के विभिन्न भागों में फंस गए हैं।

यूजीसी ने दिशा-निर्देश जारी किया

कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बुधवार को विश्वविद्यालयों से कहा कि नए छात्रों के लिए सितंबर से तथा पहले से पंजीकृत छात्रों के लिए अगस्त से शैक्षिक सत्र शुरू किया जा सकता है। आयोग ने परीक्षाओं और शैक्षिक कार्यक्रम के लिए दिशा-निर्देश में कहा है कि अंतिम सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षा जुलाई में आयोजित की जा सकती है। यूजीसी ने कहा है, ‘‘बीच के सत्र के छात्रों को पूर्व और मौजूदा सेमेस्टर के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर ग्रेड दिए जाएंगे। जिन राज्यों में कोरोना वायरस की स्थिति सामान्य हो चुकी है वहां जुलाई के महीने में परीक्षाएं होंगी।’’ आयोग ने कहा है, ‘‘एमफिल, पीएचडी छात्रों को छह महीने का और समय मिलेगा और साक्षात्कार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगा।’’ आयोग ने स्पष्ट किया है कि दिशा-निर्देश एक परामर्श की तरह है और विश्वविद्यालय कोविड-19 महामारी से जुड़े मुद्दों पर विचार करते हुए अपनी योजनाएं तैयार कर सकते हैं।

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पंजाब में 17 मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रदेश में लॉकडाउन की अवधि तीन मई के बाद दो हफ्ते और बढ़ाने की घोषणा की। हालांकि निषिद्ध क्षेत्र व रेड जोन को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में इसमें कुछ छूट देने का भी ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने पंजाब की जनता को संबोधित करते हुये कहा कि निषिद्ध क्षेत्र में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये संपूर्ण एवं सख्त लॉकडाउन जारी रहेगा। राज्य में जारी लॉकडाउन को खत्म करने की रणनीति पर गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और समाज के विभिन्न वर्गों की ओर से प्राप्त सूचना के आधार पर, मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन को कुछ और समय तक जारी रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब लॉकडाउन 17 मई तक जारी रहेगा। सिंह ने कहा कि इस दौरान गुरूवार से हर रोज सुबह सात बजे से 11 बजे तक कुछ सीमित छूट दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशिष्ट क्षेत्रों में कुछ दुकानों को हर सुबह चार घंटे तक खोलने की अनुमति दी जायेगी जिनमें केवल 50 फीसदी कर्मचारी ही उपस्थित होंगे। उन्होंने बताया कि जिलों के उपायुक्तों को दुकानें खोले जाने को लेकर उपाय करने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दो हफ्ते बाद स्थिति की समीक्षा की जायेगी और उसके बाद अगर महामारी नियंत्रित रहती है तो कुछ और छूट की घोषणा की जायेगी। अमरिंदर ने कहा कि लॉकडाउन को लागू कराने के लिये जारी कर्फ्यू सामान्य तौर पर 11 बजे के बाद जारी रहेगा। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वह सामाजिक मेलजोल से दूरी का पालन करने के लिये समय पर घरों को लौट आयें। पंजाब सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के दृष्टिगत प्रदेश में 23 मार्च को कर्फ्यू लगाने की घोषणा की थी। कांग्रेस नेता ने कहा, 'छूट की अवधि के दौरान जो भी लोग घर से निकलेंगे उन्हें मास्क लगाना आवश्यक होगा और एक दूसरे से दो मीटर की दूरी के नियम का पालन करना होगा। यह छूट लोगों की सुविधा के लिये दी गयी है ओर इसका प्रयोग मेलजोल के लिय नहीं किया जाना चाहिये।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'दो हफ्ते के बाद जब स्थिति सुधरेगी, तो हम और भी कदम उठायेंगे।' यह समिति छूट गुरुवार से चार घंटे के लिये दी गयी है इसमें सभी पंजीकृत दुकानों को खोले जाने की अनुमति भी है। इस दैरान मॉलों को खेलने की अनुमति नहीं होगी। सुबह सात बजे से पूर्वाह्न 11 बजे के बीच खोले जाने वाली इन दुकानों में 50 फीसद कर्मचारी ही होंगे। लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में बड़ी संख्या में प्रदेश के लोगों के फंसे होने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें वापस लाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन घर वापसी के बाद 21 दिन तक पृथक-वास में रहना होगा।

पैकेज पर विचार कर रही सरकार

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि संकट झेल रहे क्षेत्रों को समर्थन देने के लिये जितना संभव हो सकेगा सरकारी पूरी गंभीरता के साथ राहत पैकेज जारी करने पर विचार कर रही है। इस बारे में प्रधानमंत्री के स्तर पर निर्णय लिया जायेगा। वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये जमीन जायदाद क्षेत्र की संस्था नारेडको के साथ चर्चा करते हुये सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी ने यह बात कही।

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पाबंदियां मई अंत तक जारी रहें

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि विशेषज्ञों और डॉक्टरों का मानना है कि कोविड-19 का प्रसार रोकने के लक्ष्य से लागू पाबंदियां राज्य में मई के अंत तक लागू रहनी चाहिए। केन्द्र सरकार के आदेशानुसार बनर्जी ने कुछ छूट, जैसे... ग्रीन जोन में स्थित किसी वस्तु की एकमात्र दुकान को खोलने की अनुमति दी है। हालांकि वहां भी तमाम एहतियात और एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना है। बनर्जी ने कहा, ‘‘कोई नहीं कह सकता है कि संकट कब समाप्त होगा। ज्यादातर देशों ने मई के अंत तक या जून के पहले हफ्तेतक लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। हमारे विशेषज्ञों और डॉक्टरों का भी मानना है कि कोविड-19 संबंधी पाबंदियां मई अंत तक जारी रहनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में भले ही कमी आ रही हो, लेकिन बरसात के मौसम में जुलाई, अगस्त में यह फिर से ऊपर जा सकता है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि संकट के इस वक्त में भाजपा राजनीति कर रही है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘भाजपा हावड़ा में पुलिसकर्मियों पर हमले को लेकर होहल्ला मचा रही है, भाजपा शासित राज्यों में पुलिसकर्मियों पर हुए हमलों का क्या? ''

गुजरात में कोविड-19 के मामले 4,000 से पार

गुजरात में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 308 नए मामले आने के साथ ही राज्य में अभी तक 4,082 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है, वहीं 16 और लोगों की मौत होने के साथ ही संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 197 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अहमदाबाद जिले में संक्रमण से आज नौ लोगों की मौत हुई है। कोविड-19 से शहर में अभी तक 137 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि जिले में आज संक्रमण के 234 नए मामले आने के साथ ही अभी तक 2,777 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। वहीं सूरत में कोरोना वायरस संक्रमण के 31 नए मामले आने के साथ ही जिले में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 601 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव जयंती रवि ने बताया कि वड़ोदरा में भी संक्रमित लोगो की संख्या 270 हो गई है।

मोदी ने शेख हसीना से चर्चा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से बातचीत की और कोविड-19 की स्थिति एवं इस महामारी से मुकाबले के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग के रास्तों पर चर्चा की। मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ''प्रधानमंत्री शेख हसीना से बात की और उन्हें एवं बांग्लादेश के लोगों को रमजान के पवित्र महीने पर शुभकामनाएं दीं।’’ उन्होंने कहा कि हमने कोविड-19 की स्थिति के साथ इस बारे में भी चर्चा की कि भारत एवं बांग्लादेश इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में किस प्रकार से सहयोग कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ''बांग्लादेश के साथ हमारे संबंध हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में बने रहेंगे।’’ गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ समय से दुनिया के विभिन्न देशों के शासनाध्यक्षों के साथ इस संकट और इससे निपटने के उपायों पर चर्चा कर रहे हैं।

सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित

कोविड-19 का संक्रमण फैलने की आशंका के चलते हरियाणा की सीमा को सील कर दिया गया जिसके चलते बुधवार को आजादपुर मंडी में सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई। दरअसल एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार आजादपुर मंडी में 11 व्यवसायी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। आजादपुर कृषि उत्पाद मार्केटिंग समिति के अध्यक्ष आदिल अहमद खान ने बताया कि सोनीपत से सब्जियों की आपूर्ति नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘‘बुधवार को मंडी में 5,000 टन फल एवं सब्जियां आईं। लॉकडाउन के बाद से प्रतिदिन यहां 7,000 से 8,000 टन फल एवं सब्जियों की आपूर्ति हो रही है।’’ हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को कहा था कि दिल्ली से लगने वाली राज्य की सीमाएं सील कर दी गई हैं। खान ने बताया कि इन व्यवसायियों के संक्रमित पाए जाने के बाद कई अन्य कारोबारियों को भी पृथकवास में जाने के लिए कहा गया।

इंदौर में 39 और मरीजों ने जीती कोरोना वायरस से जंग

देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में इलाज के बाद 39 और मरीजों ने इस महामारी को बुधवार को मात दे दी। अधिकारियों ने बताया कि निजी क्षेत्र के श्री अरबिंदो इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) से 38 लोगों और शासकीय मनोरमा राजे टीबी (एमआरटीबी) चिकित्सालय से एक व्यक्ति को छुट्टी दी गयी। उन्होंने बताया कि इलाज के बाद कोरोना वायरस के ये सभी 39 मरीज संक्रमण से मुक्त हो गये हैं। इसके बाद जिले में इस महामारी को हराने वाले लोगों की तादाद बढ़कर 216 पर पहुंच गयी है। अधिकारियों ने बताया कि जिले में अब तक इस महामारी के 1,466 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 65 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। इंदौर में कोरोना वायरस का पहला मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है, जबकि जिले के अन्य स्थानों पर सख्त लॉकडाउन लागू है।

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दो अलग-अलग निर्देशों को लेकर विवाद

कोरोना वायरस के कारण सीआरपीएफ के 55 वर्षीय कर्मी की मौत और उनकी बटालियन में करीब 50 जवानों के संक्रमित होने के बीच इस बात को लेकर बल में चिंता पैदा हो गयी है कि महामारी के प्रसार पर काबू के लिए देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल में "दो अलग-अलग’’ आदेश जारी किए गए। सीआरपीएफ के महानिदेशक एपी माहेश्वरी ने फिर से नए निर्देश जारी किए हैं कि कोरोना वायरस के सभी संदिग्ध मामलों में 14 दिनों का "अनिवार्य" पृथक-वास रखना होगा। हाल ही में यह बात सामने आयी कि अर्धसैनिक बलों के मेडिकल खंड ने अप्रैल में एक अलग आदेश जारी किया। इसमें कहा गया था कि जिस कर्मचारी में इस महामारी के लक्षण नहीं दिख रहे हैं, वे पांच दिनों के पृथक-वास के बाद काम पर लौट सकते हैं। माहेश्वरी ने कहा कि दिल्ली स्थित 31वीं बटालियन से संक्रमण के कई मामले सामने आने के बाद स्रोत का पता लगाया गया। वह एक नर्सिंग सहायक जवान है जो पांच दिनों के पृथक-वास के बाद ड्यूटी पर लौट आया था। नर्सिंग सहायक संक्रमित होने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती है। उसने पांच दिनों तक पृथक-वास में बिताने के बाद कुछ दिनों तक यूनिट अस्पताल में काम किया और संदेह है कि संक्रमण उससे 31 वीं बटालियन के अन्य जवानों तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि हमारा सामान्य आदेश है कि छुट्टी से लौटने वाले या कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले किसी भी जवान को 14 दिनों के पृथक-वास में रखा जाए। बाद में हमें पता लगा कि मेडिकल खंड द्वारा एक और आदेश दिया गया था जिसमें कहा गया था कि जो चिकित्सा कर्मचारी पांच दिनों के पृथक-वास में रह चुके हैं और उनमें कोई लक्षण नहीं दिखता, उन्हें पृथक-वास से वापस बुलाया जा सकता है। सीआरपीएफ प्रमुख ने बताया, "ये अलग अलग आदेश थे। मैंने 26 अप्रैल को बल के निदेशक (मेडिकल) से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है और मामले को एडीजी (मेडिकल) को सौंप दिया है।" इस बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस "गंभीर" घटना का संज्ञान लिया है, जहां एक जवान की मौत हो गयी और करीब 50 अन्य लोग एक ही बटालियन में संक्रमित हैं। सीआरपीएफ ने इस संबंध में पहले ही गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंप दी है। मंत्रालय ने बल से सीएपीएफ में कोविड-19 से मौत के पहले मामले से जुड़े घटनाक्रम का पूरा विवरण इस महीने के अंत तक मांगा है। अधिकारी ने कहा कि सीआरपीएफ महानिदेशक ने अब नए निर्देश जारी किए हैं कि सभी संदिग्ध मामलों में 14 दिनों का पृथक-वास अनिवार्य होगा। असम के रहने वाले सब-इंस्पेक्टर के कुछ दिन पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुयी थी और उन्होंने मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अंतिम सांस ली। सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि मृत अधिकारी का अंतिम संस्कार तय मेडिकल प्रक्रियाओं के अनुसार दिल्ली में होगा।

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कृषि वृद्धि दर पर अधिक प्रभावित नहीं होगी

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि देश का कृषि क्षेत्र, कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन के बावजूद, सुचारू रूप से काम कर रहा है तथा अन्य क्षेत्रों के विपरीत कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पर संकट का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। कृषि और इसके संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि वर्ष 2019-20 में 3.7 प्रतिशत थी। इस बीच नीति अयोग ने चालू वित्त वर्ष में अच्छे मानसून की उम्मीद में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर तीन प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। मीडिया को वीडियो लिंक से संबोधित करते हुए, तोमर ने कहा, ‘‘वर्तमान लॉकडाउन स्थिति में, कृषि क्षेत्र सुचारू रूप से काम कर रहा है। खाद्यान्न, सब्जियों और डेयरी उत्पादों की कोई कमी नहीं है। लेकिन, कई अन्य क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। हमें अपने किसानों पर गर्व है। हमारे किसानों को धन्यवाद।’’ उन्होंने कहा कि अच्छी बारिश की उम्मीद को देखते हुए, लॉकडाऊन का कुल कृषि जीडीपी पर इस साल ज्यादा असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि कार्य को लॉकडाऊन के नियमों से मुक्त कर दिया है। तोमर ने कहा, ‘‘पिछले साल के दौरान कृषि जीडीपी में वृद्धि 3.7 प्रतिशत थी। मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी यह वृद्धि दर बहुत अधिक प्रभावित नहीं होगी।’’ समान विचार व्यक्त करते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद वित्तवर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर तीन प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून के बेहतर रहने का पूर्वानुमान, जलाशयों में पर्याप्त जल स्तर, खरीफ बुवाई के रकबे में वृद्धि, उर्वरक और बीजों के उठाव में वृद्धि - ये सभी पहलु, कृषि क्षेत्र के वृद्धिदर के अनुकूल हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में कृषि क्षेत्र अपनी भूमिका निभायेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को सामान्य वृद्धि दर की राह पुन: प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का हिस्सा 15 प्रतिशत का है और यह क्षेत्र देश की 1.3 अरब से अधिक आबादी के आधे से भी अधिक आबादी की आजीविका का स्रोत है।

वर्तमान वेतन बरकरार रखना मुश्किल

परामर्श सेवा कंपनी डेलायट की एक अध्ययन रपट में कहा गया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएससी) में दर्ज शीर्ष 100 कंपनियों में से 27 के लिए वर्तमान वेतन खर्च का बोझ उठा पाना मुश्किल होगा। रपट में कहा गया है कि आवा-जाही पर देश व्यापी पाबंदी के चलते यदि इन कंपनियों की कमाई 30 प्रतिशत या उससे ज्यादा घटती है तो इनके लिये मौजूदा वेतन स्तर को बरकरार रखना मुश्किल होगा। देश में कोरोना विषाणु से फैली महामारी का संक्रमण रोकने के लिए तीन मई तम लॉकडाउन लागू है। डेलायट ने कहा है कि इस समय हर क्षेत्र में सामान्य उपभोग कम हुआ है। ऐसे में कंपनियों को वेतन भुगतान करने की अपनी क्षमता का मूल्यांकन जरूर करना चाहिए। इस अध्यन में एनएसई में सूचीबद्ध बाजार-पूंजी की दृष्टि से शीर्ष 100 कंपनियों को लिया गया है। रपट में कहा गया है कि 27 कंपनियां ऐसी हैं जो यदि उनकी आय 30 प्रतिशत या उससे ज्यादा गिरती है तो वे वेतन का वर्तमान खर्च नहीं उठा पाएंगी। रपट में कहा गया है, ‘यह असर वास्तव में इससे भी अधिक होगा। कारण यह है कि उनका पैसा इन्वेंट्री (गोदामों में पड़े माल) और दूसरों के पास पड़े बकायों में फंसा है। उपभोग में गिरावट की स्थिति में धन और अधिक फंसेगा।’ रपट में किसी कंपनी का नाम नहीं लिया गया है। इसमें कहा गया है कि इन 27 में से 11 कंपनियों पर कर्ज का बोझ उनकी शेयर पूंजी के 100 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसी स्थिति में वेतन चुकाने के लिए कर्ज लेने में भी मुश्किल होगी। अध्ययन में शामिल सभी कंपनियों के पास औसतन 5.5 माह तक के लिए अपने स्थायी परिचालन खर्चों, ब्याज और पारिश्रमिक देने भर को नकदी या नकदी समतूल्य संपत्तियां है। लेकिन 20 कंपनियां ऐसी है जिनके पास इन खर्चों के लिए तीन माह के लिए भी पर्याप्त नकदी नहीं है। लेकिन इसमें यह भी कहा गया है इसी नकदी से और भी देनदारियां चुकाई जानी है। ऐसे में यदि शेयरधारक चालू वित्त वर्ष में अपने निवेश का मूल्य बढ़ने (लाभांश) की अपेक्षा छोड़ भी दे तो भी इन कंपनियों में वेतन कटौती करना जरूरी होगा। इसमें कुछ कंपनियां बड़े आकार की हैं। डेलायट की रपट में कंपनियों को वेतन भुगतान की अपनी क्षमता का आकलन अवश्य करने और इसके लिए कंपनी के परिचालन लाभ की तुलना में पारिश्रमिक लागत के अनुपात को देखना चाहिए। वेतन बिल की तुलना में परिचालन लाभ ऊंचा होना चाहिए। देश में 25 मार्च से कोराना पाबंदी लागू है और सरकार के वर्तमान आदेश के अनुसार यह फिलहाल 3 मई तक लागू रहेगी।

दिल्ली सरकार अन्य राज्यों के संपर्क में

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार प्रवासी कर्मियों के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश को लेकर अन्य राज्यों के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि वे आगामी एक या दो दिन में एक उचित योजना लेकर आएंगे। केजरीवाल ने ट्विटर के माध्यम से प्रवासी कर्मियों से अपील की कि वे योजना को क्रियान्वित किए जाने तक घरों में रहें और बंद का पालन करें। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा प्रवासियों के संबंध में आज आदेश पारित किया गया। इस संबंध में हम अन्य राज्य सरकारों से बात कर रहे हैं। योजना बनाकर आपको एक-दो दिन में सूचित करेंगे। तब तक आप घर पर ही रहें और बंद का पालन करें।’’ गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों को बुधवार को कुछ शर्तों के साथ उनके गंतव्यों तक जाने की अनुमति दे दी गयी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने एक आदेश में कहा कि फंसे हुए लोगों के समूहों को ले जाने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जाएगा और इन वाहनों को संक्रमण मुक्त किया जाएगा तथा सीटों पर बैठते समय सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा।

महाराष्ट्र में 597 नये मामले

महाराष्ट्र में बुधवार को कोविड-19 के 597 नये मरीज सामने आने के साथ राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 9,915 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि 32 और लोगों की कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मौत हुई है। इस प्रकार राज्य में अब तक 432 लोग कोविड-19 की वजह से जान गंवा चुके हैं। राज्य सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अब तक संक्रमण के 9,915 मामले सामने आए हैं जिनमें 597 नये मामले है। वहीं 432 लोगों की मौत हुई है और 1,593 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। महाराष्ट्र में अभी 7,890 लोगों का उपचार चल रहा है और अब तक 1,37,159 लोगों की जांच की जा चुकी है।

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‘आरोग्य सेतु’ तत्काल डाउनलोड करें

केंद्र सरकार ने बुधवार को अपने 48.34 लाख कर्मचारियों को तत्काल 'आरोग्य सेतु' मोबाइल एप डाउनलोड करने और इस पर यात्रा के लिए 'सुरक्षित' स्थिति दर्शाए जाने पर ही कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कार्मिक मंत्रालय द्वारा 'सख्ती' से अमल के निर्देशों के साथ जारी आदेश में केंद्र सरकार ने अपने अधिकारियों, कर्मिचारियों और आउटसोर्स किए गए कर्मियों को तत्काल एप डाउनलोड करने को कहा है। आदेश में कहा गया, ‘'आरोग्य सेतु' एप पर अपने आसपास की स्थिति की समीक्षा करने और एप में 'सुरक्षित' या 'कम जोखिम' के संकेत मिलने पर ही कार्यालय जाएं।’’ अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाह दी गई है कि यदि एप्लिकेशन में ‘ब्लूटूथ प्रॉक्सिमिटी’’ के आधार पर, हाल ही में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने को लेकर ‘मध्यम’ या ‘उच्च जोखिम’ का संदेश मिलता है तो वे कार्यालय ना जाएं तथा 'सुरक्षित' या 'कम जोखिम' की स्थिति का संकेत मिलने तक स्वयं को 14 दिनों के लिए पृथक-वास में रखें। सरकार द्वारा विकसित आरोग्य सेतु एप्लिकेशन लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। एक वरिष्ठ अधिकारी सभी विभागों में संयुक्त सचिव (प्रशासन) निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगा। आदेश में कहा गया है ‘‘मंत्रालय अथवा विभाग सभी संबंधित स्वायत्त, वैधानिक निकायों, पीएसयू आदि को समान निर्देश जारी कर सकते हैं।’’ उप सचिव और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारी पहले ही सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने कार्यालय जा रहे हैं। केंद्र सरकार के सभी विभागों के कार्यालयों को उप सचिव स्तर से नीचे केवल एक तिहाई कर्मचारियों को क्रमबद्ध व्यवस्था के अनुसार बुलाने के लिए कहा गया है।

‘टेली-लॉ योजना’ बनी जनता की मददगार

कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान कानूनी सलाह लेने के लिये सरकार की ‘टेली लॉ’ योजना जनता के लिये वरदान बन गयी है। लॉकडाउन के दौरान राशन के लिये पंजाब में दिहाड़ी मजदूर से लेकर त्रिपुरा में फर्जी खबरें प्रसारित करने वाले समूह को चुनौती देने तक के मामलों में कानूनी सलाह के लिये लोग ‘टेली लॉ’ योजना की मदद ले रहे हैं। कानून मंत्रालय ने इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में मुकदमे की स्थिति आने से पहले ही फोन पर कानूनी सलाह के लिये वकीलों का एक पैनल बनाया था, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से सामने आ रही तमाम दूसरी परेशानियों में मदद के लिये भी लोग इसके नंबर पर फोन कर रहे हैं। देश में कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लिये लॉकडाउन लगाया गया था। इसकी अवधि बाद में तीन मई तक बढ़ा दी गयी थी। कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस समय जब लोग इस सेवा के स्थानीय केन्द्र पर फोन करते हैं तो वकीलों के पैनल से उन्हें जोड़ दिया जाता है, जो उनके सवालों के जवाब देते हैं। विभाग ने ऐसे आठ मामलों का संकलन किया है, जिनमें टेली लॉ योजना के माध्यम से लोगों की मदद की गयी है। पंजाब के मोगा जिले के रहनेवाले प्रेम कुमार ने स्थानीय केन्द्र को फोन करके कहा कि उनके पास राशन खरीदने के लिये पैसा नहीं है तो इस पैनल के वकील अक्श बसरा ने उन्हें सरकार की हेल्प लाइन का नंबर उपलब्ध कराया। न्याय विभाग के अधिकारी के अनुसार इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने इस व्यक्ति के घर पर राशन पहुंचाया। प्रेम कुमार की तरह ही आसपास रहने वाले, ऐसी ही समस्या से जूझ रहे दूसरे लोगों को भी मदद मुहैया करायी गयी है। इस अधिकारी ने बताया कि त्रिपुरा में संजय देबनाथ ने एक व्हाट्सऐप समूह की उस पोस्ट पर सवाल उठाये थे, जिसमें दावा किया गया था कि मणिपुर से भागने वाले अनेक व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित थे। इसके बाद संजय देबनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां पोस्ट की जा रही थीं। इस मामले में वकीलों के पैनल से मिली सलाह के आधार पर देबनाथ ने इस बातचीत के प्रिंट और अपनी शिकायत के साथ स्थानीय थाने से संपर्क किया था। विभाग के अनुसार, इस तरह की कथित फर्जी खबर पोस्ट करने और आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के आरोपी ने माफी मांगी। सरकार ने कॉमन सर्विसेज सेन्टर्स (सीएससी) के माध्यम से गांवों में कानूनी सलाह देने के उद्देश्य से 20 अप्रैल, 2017 को ‘टेली लॉ’ योजना शुरू की थी। 11 राज्यों में 1800 सीएससी में शुरू हुई इस पायलट परियोजना का अब 115 जिलों में विस्तार हो चुका है। अधिकारी ने कहा, ‘‘कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण वक्त में यह योजना नागरिकों के लिए वरदान साबित हुई है। पिछले कुछ महीने में इसने जोर पकड़ा है। इसका दायरा 1800 सीएससी से 29,860 केंद्रों तक बढ़ गया है।’’ कानूनी सलाह के लिए अब तक दो लाख से ज्यादा लोग इस पर पंजीकरण करा चुके हैं जिनमें से करीब 1.95 लाख लाभार्थियों को विधिक सलाह मिली है। अधिकारी ने कहा, ‘‘इन लाभार्थियों में से 65 प्रतिशत समाज के वंचित तबकों से ताल्लुक रखते हैं।''

समानीकरण शुल्क नौ माह टालने की मांग

विदेशी कंपनियों के संगठनों ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को देखते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से गैर-निवासी ई-वाणिज्य कंपनियों पर लगाये गये दो प्रतिशत इक्वलाइजेशन (समानीकरण) कर को नौ माह टालने की गुहार लगाई है। वॉलमार्ट, अमेजन, गूगल और नेटफ्लिक्स जैसी वैश्विक ई-वाणिज्य कंपनियां इन संस्थाओं की सदस्य हैं। यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग परिषद, जापान इलेक्ट्रानिक्स एण्ड इंफार्मेशन टैक्नालॉजी इंडस्ट्रीज एसोसिसन, एशिया प्रशांत एमएसएमई व्यापार गठबंधन और डिजिटल यूरोप सहित नौ व्यावसायिक संस्थाओं के समूह ने सरकार से समानीकरण शुल्क (दो प्रतिशत कर) पर विचार करने की मांग की है। यह शुल्क सरकार ने इसी वित्त वर्ष में लगाया है। अमेरिका, यूरोपीय, आस्ट्रेलियाई और एशिया क्षेत्र की कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इन व्यावसायिक संस्थाओं ने संयुक्त पत्र भेजकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित जी20 समूह के नेताओं द्वारा व्यक्त मुक्त, उचित, निष्पक्ष, पारदर्शी, विश्वसनीय और स्थिर व्यापार और निवेश परिवेश उपलब्ध कराये जाने की प्रतिबद्धता का जिक्र किया है। इन संस्थाओं का कहना है कि जी20 देशों के नेताओं ने वैश्विक बाजारों को खुला और भेदभाव रहित रखने की प्रतिबद्धता जताई है। इस संयुक्त पत्र में इन संस्थाओं ने कहा है, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्ति की गई इस प्रतिबद्धता को संज्ञान में लेते हुये पूरे सम्मान के साथ हम समानीकरण शुल्क लगाये जाने के मामले में औपचारिक स्तर पर संबंधित पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श करने और केन्द्र सरकार के वित्त विधेयक 2020 की धारा 165ए में लगाये गये शुल्क के क्रियान्वयन को कम से नौ माह टालने का आग्रह करते हैं।’’ पत्र में कहा गया है कि धारा-165ए के तहत भारत की मौजूदा समानीकरण शुल्क के तहत दो प्रतिशत का नया शुलक लगाकर इसे विस्तारित किया गया है। यह शुल्क भारत में गैर- निवासी ई-वाणिज्य परिचालन करने वाली कंपनियों द्वारा माल एवं सेवाओं की आनलाइन बिक्री पर लगाया गया है। गैर-प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालक ऐसी कंपनियां हैं जो कि भारत में रह रहे नागरिकों को आनलाइन माल एवं सेवाओं की आपूर्ति करतीं हैं। कारोबारी उद्देश्य से उनकी जानकारी जुटातीं हैं लेकिन कर के दायरे में आने के लिहाज से उनकी यहां उपस्थिति नहीं होती है। कई इंटरनेट कंपनियां ऐसी हैं जो कि भारत में विज्ञापन और उत्पादों की बिक्री एक अलग कंपनी के जरिये करती हैं। आमतौर पर ये कंपनियों ऐसी विदेशी भूमि पर पंजीकृत होती हैं जो कि कर के लिहाज से उनके लिये स्वर्ग के समान हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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