Lockdown के 37वें दिन राज्य बोले- श्रमिकों को ले जाने के लिए ट्रेनें चलाएँ

lockdown train

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू करने से तीन दिन पहले जनता कर्फ्यू का आह्वान कर लोगों को मानसिक रूप से तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि देश में कोविड-19 के मामले दोगुने होने की दर कम हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय निवेश बढ़ाने के साथ साथ अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की। एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने एक बैठक की। बैठक में इस बात पर चर्चा की गयी कि देश में मौजूदा औद्योगिक भूमि, भूखंडों, परिसरों आदि में परखे हुये, तैयार बुनियादी ढांचे के काम को बढ़ावा देने के लिये एक योजना विकसित की जानी चाहिये और इन्हें जरूरी वित्तीय समर्थन भी उपलब्ध कराया जाना चाहिये। मोदी ने बैठक के दौरान सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि निवेशकों को बनाये रखने, उनकी समस्याओं को देखने तथा उन्हें समयबद्ध तरीके से सभी आवश्यक केंद्रीय और राज्य मंजूरियां प्राप्त करने में मदद करने के हर संभव कदम सक्रियता से उठाने चाहिये। बैठक में तेजी से देश में निवेश लाने और भारतीय घरेलू क्षेत्र को बढ़ावा देने की विभिन्न रणनीतियों पर भी चर्चा हुई।

जल्द मिलेगी सफलता

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत अन्य देशों की तुलना में सभी मानकों पर बेहतर काम कर रहा है और आगामी कुछ सप्ताह में इस निर्णायक युद्ध को जीतने में सफलता मिलनी चाहिए। नीति आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कोविड-19 से जुड़े मुद्दों पर नागरिक समाज के संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के साथ चर्चा में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस तरह के संगठन यह सुनिश्चित करने के लिए अथक रूप से काम कर रहे हैं कि अंतिम पायदान तक आवश्यक संसाधन पहुंचें। भारत की तैयारियों और इनके परिणामों के बारे में हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘कोविड-19 के खिलाफ इस युद्ध को जीतने की दिशा में हम काफी आगे हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश ने शेष दुनिया के मुकाबले ‘‘सभी मानकों’’ पर बेहतर काम किया है। मंत्री ने दावा किया, ‘‘और मुझे विश्वास है कि आगामी कुछ सप्ताह में हम कोविड-19 के खिलाफ निर्णायक युद्ध जीतने में सफल होंगे।’’ उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग एक हजार स्थानों पर कोरोना वायरस के उत्पत्ति संबंधी अनुक्रमण पर काम कर रहे हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पास आधा दर्जन वैक्सीन कैंडिडेट हैं, जिनमें से चार महत्वपूर्ण रूप से आगे के चरण में हैं।’’ स्वास्थ्य मंत्री ने यह जानकारी भी दी कि देश हर रोज 1.5 लाख व्यक्तिगत रक्षात्मक उपकरण (पीपीई) बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मई में, हमारे पास स्वदेश निर्मित अच्छी गुणवत्ता की एंटी-बॉडी टेस्ट किट और कोरोना वायरस का पता लगाने वाली किट भी अच्छी-खासी संख्या में होंगी।’’ फंसे प्रवासी मजदूरों के आवागमन पर प्रतिबंधों में केंद्र के ढील देने संबंधी चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि प्रवासी मजूदरों को उनके गृह नगरों में फिर से समायोजित करने के लिए गैर सरकारी संगठनों से काफी मदद की जरूरत होगी क्योंकि वापस जाने पर उन्हें समाज में कुछ विरोध का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि अब तक नौ लाख लोग सामुदायिक निगरानी में हैं। यह पिछले तीन महीनों में किया गया एक बड़ा अभियान है।

इसे भी पढ़ें: संकट के इस दौर में धर्मगुरुओं की भूमिका और बढ़ गयी है, समाज को बहकने से बचाएं

अब तक 1,075 लोगों की मौत

देश में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या बृहस्पतिवार को बढ़कर 1,075 हो गई जबकि संक्रमण के मामलों का आंकड़ा 33,610 पर पहुंच गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बुधवार शाम से बृहस्पतिवार तक संक्रमण के 1,823 नए मामले सामने आए जिससे संक्रमण के कुल 33,610 मामले हो गए। इस दौरान 67 संक्रमितों की मौत हुई जिससे मृतकों की संख्या 1,075 तक पहुंच गई। मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित 24,162 लोगों का इलाज चल रहा है जबकि 8,372 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और एक व्यक्ति देश से बाहर जा चुका है। देश में कुल संक्रमित लोगों में से 111 विदेशी नागरिक हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अब तक 24.90 फीसदी मरीज ठीक हो चुके हैं।’’ बुधवार शाम से अब तक संक्रमण के कारण 67 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 32 महाराष्ट्र में, 16 गुजरात में, 11 मध्य प्रदेश में, तीन उत्तर प्रदेश में, तमिलनाडु और दिल्ली में दो-दो जबकि कर्नाटक में एक व्यक्ति की मौत हुई। महाराष्ट्र में अब तक 432 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद गुजरात में 197, मध्य प्रदेश में 130, दिल्ली में 56, राजस्थान में 51, उत्तर प्रदेश में 39 और आंध्र प्रदेश में 31 लोगों की मौत हो चुकी है। तमिलनाडु में 27, तेलंगाना में 26, पश्चिम बंगाल में 22, कर्नाटक में 21 और पंजाब में 19 लोगों की मौत हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि केरल में चार, झारखंड और हरियाणा में तीन-तीन, बिहार में दो लोगों की मौत हुई है। मंत्रालय ने बताया कि मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक व्यक्ति की मौत संक्रमण के कारण हो चुकी है। मंत्रालय द्वारा आज सुबह बताए गए आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा संक्रमण के 9,915 मामले महाराष्ट्र में, इसके बाद 4,082 मामले गुजरात में, दिल्ली में 3,439 मामले और मध्य प्रदेश में 2,660 मामले सामने आए हैं। राजस्थान में 2,438, उत्तर प्रदेश में 2,203 मामले, तमिलनाडु में 2,162 हैं। आंध्र प्रदेश में 1,403 और तेलंगाना में 1,012 मामले सामने आए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में कुल संक्रमितों की संख्या 758, जम्मू-कश्मीर में 581, कर्नाटक में 557, केरल में 496, बिहार में 403 और पंजाब में 357 मामले हैं। हरियाणा में 310, ओडिशा में 128, झारखंड में 107 और उत्तराखंड में 55 मामले सामने आए हैं। चंडीगढ़ में 56, हिमाचल प्रदेश में 40, असम में 42 और छत्तीसगढ़ में 38 मामले हैं। इसके अलावा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 33, लद्दाख में 22, मेघालय में 12, पुडुचेरी में आठ, गोवा में सात, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो तथा मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामले हैं। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ''हमारे आंकड़ों का मिलान आईसीएमआर से किया जा रहा है।’’ मंत्रालय का कहना है कि राज्यगत आंकड़ों की पुष्टि होना बाकी है। उसने बताया, ‘‘राज्यों से 280 मामलों के संपर्कों का पता लगाने को कहा गया है।’’

अलग से पास की जरूरत नहीं

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को साफ किया कि सामान की आपूर्ति में लगे ट्रकों की अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए अलग से किसी पास (अनुमति पत्र) की कोई आवश्यकता नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे ट्रक चालकों का लाइसेंस ही काफी है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ट्रकों की बिना रूकावट आवाजाही सुनिश्चित करने की बात कहते हुए केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि इस तरह की सूचनाएं हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों में राज्य की सीमाओं पर ट्रकों को आवाजाही में परेशानी आ रही है और स्थानीय अधिकारी अलग से पास की मांग कर रहे हैं। भल्ला ने राज्यों से कहा कि सभी ट्रकों और अन्य सामान ले जाने वाले वाहनों के साथ ही वैध लाइसेंसधारी दो चालकों और एक सहायक को बिना रूकावट आवाजाही की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, खाली अथवा भरे ट्रकों समेत और सामान ले जाने वाले वाहनों को अलग से किसी पास की जरूरत नहीं है। भल्ला ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान देशभर में जरूरी सामान और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह बेहद जरूरी है।

दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन हो

सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को लॉकडाउन (बंद) के कारण फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों और तीर्थयात्रियों की देश के अंदर आवाजाही के लिये गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नवीनतम दिशानिर्देश का “सख्ती से पालन” करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। केंद्र सरकार ने बुधवार को नए दिशानिर्देश जारी कर राज्यों को फंसे हुए छात्रों, प्रवासी कामगारों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को उनके गृह प्रदेश या गंतव्यों तक दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए ले जाने की इजाजत दे दी थी। ये दिशानिर्देश फंसे हुए लोगों की आवाजाही के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के उद्देश्य से तैयार किये गए हैं। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह पूछे जाने पर कि कुछ राज्यों और अन्य लोगों द्वारा की गई मांग के अनुरूप क्या विशेष ट्रेनों और निजी वाहनों की इजाजत भी इन लोगों के परिवहन के लिये दी जाएगी, केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्या सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि अभी जारी किये गए आदेश “बसों के इस्तेमाल और लोगों के समूह” के लिये हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या तीन मई के बाद ई-वाणिज्य गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा, श्रीवास्तव ने कहा, “हमें नए आदेशों के आने का इंतजार करना चाहिए।” तीन मई को व्यापक बंद की अवधि खत्म हो रही है। श्रीवास्तव ने गृह मंत्रालय की तरफ से आयोजित नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “आवाजाही की व्यवस्था करते समय राज्य सरकारों को कुछ निश्चित बातों का ध्यान रखना होगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को नोडल अधिकारी तैनात करना होगा जो ऐसे फंसे हुए लोगों के लिये मानक व्यवस्था तैयार करेगा।” उन्होंने कहा, “उन्हें ऐसे लोगों को पंजीकृत करना होगा और संबंधित राज्यों को सड़क मार्ग से इनका आवागमन सुनिश्चित करने के लिये आपस में चर्चा करनी होगी।” उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की जांच की जाएगी और जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रा के लिये बसों का इंतजाम किया जाएगा और इन गाड़ियों को सैनिटाइज किया जाएगा तथा बसों में यात्रियों के बैठने की व्यवस्था करते समय सामाजिक दूरी पर सख्ती से अमल किया जाएगा। अधिकारी ने गृह मंत्रालय के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि पारगमन मार्ग में आने वाले सभी राज्य ऐसे आवागमन की इजाजत देंगे और गंतव्य पर पहुंचने के बाद स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी यात्रियों की जांच करेंगे और अगर उन्हें संस्थागत पृथक-वास केंद्रों में रखने की जरूरत नहीं होगी तो उन्हें 14 दिनों तक घर पर पृथक-वास की इजाजत दी जाएगी। यात्रियों की नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाएगी और उनकी निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रियों को ‘आरोग्य सेतु’ ऐप के इस्तेमाल के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। श्रीवास्तव ने कहा, “सभी राज्यों को सख्ती से इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।” अधिकारियों ने हैदराबाद (तेलंगाना की राजधानी) और चेन्नई (तमिलनाडु की राजधानी) गए केंद्र के अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) से मिली जानकारी से भी मीडिया को अवगत कराया। इन दलों की अध्यक्षता केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी कर रहे थे और इनमें स्वास्थ्य देखभाल, आपदा प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इस दल को देश में कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में इस बीमारी की रोकथाम के लिये उठाए गए कदमों की समीक्षा करने को कहा गया है। श्रीवास्तव ने कहा कि हैदराबाद में आईएमसीटी ने अस्पतालों, केंद्रीय औषधि भंडारों, आश्रय गृहों और मंडियों का दौरा किया। यह पाया गया कि राज्यों के पास पर्याप्त संख्या में जांच किट और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) हैं और मरीजों की जांच से लेकर उनकी अस्पताल से छुट्टी तक उन पर नजर रखने के लिये सूचना-प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। दल ने प्रदेश में कोविड-19 के लिये नोडल-सेंटर बने अस्पताल का दौरा किया और पाया कि यहां सभी मानकों का पालन किया जा रहा है। उसमें एक प्रयोगशाला है जहां रोजाना 300 जांच की जा सकती हैं और प्रदेश के 97 फीसदी मामलों का यहां इलाज हो रहा है। दल ने किंग कोटी में जिला अस्पताल का दौरा किया और पाया कि वहां सभी मानकों का पालन किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि यह सुझाव दिया गया है कि अस्पताल में पीपीई किट पहनने और उतारने का काम अलग होना चाहिए। कर्मचारियों और मरीजों के लिये अलग गलियारा होना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि आईएमसीटी ने हुमायूं नगर निषिद्ध क्षेत्र का भी दौरा किया जिसे बैरीकेड कर दिया गया है और यहां घर-घर नजर रखी जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि आईएमसीटी ने चेन्नई में दौरा करने के बाद सुझाव दिया कि सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और मछुआरों के गांवों में कोरोना वायरस के खिलाफ जागरुकता “बेहद जरूरी” है। उन्होंने आईएमसीटी का हवाला देते हुए कहा कि दल ने पाया कि लोगों के ठीक होने की दर काफी अच्छी है क्योंकि 2058 लोगों में से 1,168 लोगों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई जिसका मतलब 57 प्रतिशत लोग ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह सुझाव दिया गया कि भीड़-भाड़ वाली जगहों, झुग्गियों, बैंकों आदि में सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन करवाने के लिये कदम उठाए जाएं।

विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करने का आग्रह किया

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे लॉकडाउन के कारण राज्य में फंसे प्रवासी मजदूरों का डेटा तैयार करें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मजदूरों के परिवहन के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करने का आग्रह किया। ऐसा ही आग्रह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि प्रवासी मजदूरों की वापसी से जुड़ी प्रक्रिया के समन्वय के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। राज्य के डीसी और एसएसपी के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान, मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों के परिवहन के संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि अकेले लुधियाना में सात लाख से अधिक प्रवासी मजदूर हैं, जबकि पूरे पंजाब में दस लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी डेटा जुटाया जा रहा है, हालाँकि, पंजाब में लगभग 70 प्रतिशत मजदूर बिहार से हैं। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी तादाद में मजदूरों की आवाजाही केवल ट्रेनों के माध्यम से ही संभव है। उनके प्रस्थान के समय सबकी उचित जांच की जानी चाहिए। सिंह ने उपायुक्तों को प्रवासी मजदूरों का डेटाबेस तैयार करने के लिए कहा ताकि उनकी वापसी सुनिश्चित हो सके। लॉकडाउन के दौरान कुछ जिलों में खाने के पैकेटों की कमी से जुड़ी चिंताओं के समाधान के लिए उन्होंने खाद्य विभाग को प्रवासी मजदूरों और गैर-स्मार्ट कार्ड धारकों को वितरित किए जाने वाले राशन का कोटा बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘कोई भी भूखा नहीं रहना चाहिए।''

इसे भी पढ़ें: क्या है प्लाज्मा थेरेपी और क्यों जगी है इससे उम्मीद?

60 हजार विदेशी नागरिकों को वापस भेजा गया

विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान 72 देशों के करीब 60 हजार विदेशी नागरिकों को भारत से वापस भेजा गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने के मुद्दे पर भी चर्चा की जा रही है और सभी भारतीय मिशन विदेशों में भारतीय समुदाय के लोगों को हर संभव मदद पहुंचा रहे हैं। उन्होंने आनलाइन प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि भारतीय मिशन दूसरे देशों में फंसे भारतीयों को मदद पहुंचाने के लिये अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैं। समझा जाता है कि सरकार लॉकडाउन समाप्त होने के बाद खाड़ी एवं अन्य क्षेत्रों में फंसे हजारों की संख्या में भारतीयों को निकालने के लिये नौसेना के जहाजों के अलावा सैन्य एवं वाणिज्यिक हवाई जहाजों को लगाने की एक वृहद योजना पर काम कर रही है। बहरहाल, चीन की दो कंपनियों द्वारा कोविड-19 की जांच के लिये आपूर्ति की गई रैपिड टेस्टिंग किट के उपयोग पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रोक की चीन द्वारा आलोचना किये जाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले को शीर्ष चिकित्सा निकाय देख रही है। गौरतलब है कि आईसीएमआर ने सोमवार को राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से चीन की दो कंपनी ग्वानझू वान्डफो बायोटेक एवं झूहाए लिवजॉन डायग्नास्टिक से खरीदी गई टेस्टिंग किट का उपयोग करने से मना कर दिया था क्योंकि इसके प्रदर्शन में काफी विभिन्नता आ रही थी। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने 20 से अधिक देशों को सहायता के तौर पर 28 लाख हाइड्रोक्सिक्लोरोक्विन की टैबलेट और 19 लाख पैरासिटामॉल की टैबलेट मुहैया करायी । इसके अलावा अनेक देशों को वाणिज्यिक आधार पर बड़ी संख्या में हाइड्रोक्सिक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल प्रदान की। 

वेतन में कटौती, श्रमबल में कमी कर रहा है होटल उद्योग

कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से पैदा हुए संकट से निकलने के लिए होटल उद्योग कई कदम उठा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि इन कदमों के तहत जहां होटल उद्योग ने वेतन में कटौती की है, वहीं वह कम श्रमबल का इस्तेमाल कर आंशिक परिचालन कर रहा है। उद्योग प्रतिनिधियों ने कहा कि जहां कुछ होटल नये मेहमानों को कमरे नहीं दे रहे हैं, वहीं कुछ अन्य ने स्वास्थ्य और साफ-सफाई को लेकर कदम उठाये हैं। इसके अलावा मेहमानों का स्वागत ‘हाथ मिलाकर’ करने के बजाय कुछ नये तरीकों से किया जा रहा है। रेजिडेंसी ग्रुप आफ होटल्स के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) गोपीनाथ ने कहा कि हम मेहमानों का स्वागत हाथ मिलाकर करने के बजाय दायें हाथ को बाईं तरफ छाती के पास ऊपर ले जाकर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्वागत का नया तरीका है। इसके जरिये हम हाथ मिलाने से बच सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमने ‘हाइजीन बटलर’ नियुक्त करने की भी तैयारी की है। यह पूछे जाने पर कि क्या कंपनी वेतन कटौती पर भी विचार कर रही है, गोपीनाथ ने इसका जवाब ‘हां’ में दिया। उन्होंने कहा कि हम कम श्रमबल का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी हम दस के बजाय सिर्फ दो मंजिलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिर्फ इन दो मंजिलों पर ही एयर कंडीशनिंग की जा रही है। हमने कुछ कर्मचारियों को अवकाश पर भी भेजा है। आतिथ्य क्षेत्र की एक अन्य कंपनी एस्कॉट लि. भी इस महामारी के मद्देजनर स्वास्थ्य, साफ-सफाई को लेकर जागरूकता पर ध्यान दे रही है। कंपनी दो संपत्तियों समरसेट ग्रीनवेज चेन्नई और सिटाडाइंस ओएमआर का परिचालन करती है। एस्कॉट लि. की क्षेत्रीय महाप्रबंधक सुप्रिया मल्होत्रा ने कहा कि हम चेन्नई के दो होटलों में 200 मेहमानों को सेवाएं दे रहे हैं। ‘‘इस चुनौतीपूर्ण समय में हमारी टीम होटलों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने अपने मेहमानों को खुद खाना पकाने का विकल्प उपलब्ध कराया है। इसके अलावा एक व्यक्ति की नियुक्ति की है, जो मेहमानों के लिये किराना आदि की खरीद करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में मेहमानों को खुद खरीदारी के लिये बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मेहमानों को मोबाइल एटीएम की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। वे किसी भी चीज के लिये भुगतान परिसर के अंदर रहकर कर सकेंगे।

बच्चों की कहानी रस्किन बांड की जुबानी

लॉकडाउन के दौरान अपने श्रोताओं को व्यस्त रखने और उनका मनोरंजन करने के लक्ष्य से आकाशवाणी कल, एक मई से लेखक रस्किन बांड की कहानियां उन्हीं की जुबानी सुनवाएगी। आकाशवाणी की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘बॉंडिंग ओवर द रेडियो’ नामक यह सीरिज कल से शुरू हो रही है और आकाशवाणी के सभी मंचों (चैनलों, एफएम, यू्ट्यूब आदि) पर उपलब्ध होगी। शुरुआत में यह सीरिज 15 दिन के लिए प्रसारित होगी। लेखक रोज सुबह-शाम अपने श्रोताओं को कहानियां सुनाएंगे जिनमें आत्मकथा, भूतों और परियों की कहानी, आवासीय स्कूलों, जानवरों और परिवार से जुड़ी तमाम कहानियां होंगी जिन्हें लेखक स्वयं आकाशवाणी पर प्रसारण के लिए चुनेंगे। इन कहानियों को वह मसूरी स्थित अपने कॉटेज से टेलीफोन पर रिकॉर्ड करेंगे। इन कहानियों का प्रसारण रोक सुबह सात बजकर 10 मिनट और रात 10 बजकर 10 मिनट पर प्रसार भारती के मोबाइल ऐप न्यूजऑनएयर (NewsOnAir) तथा एफएम गोल्ड, इन्द्रप्रस्थ और एआईआर लाइव न्यूज 24*7 पर उपलब्ध होगा।

इसे भी पढ़ें: 'पैसे पेड़ पर नहीं उगते', कहने वाले मनमोहन किसको खुश करने के लिए मोदी को घेर रहे हैं ?

छोटे महात्मा आगे आए, बड़े संत नदारद

प्रयागराज की महिमा यहां हर साल लगने वाले माघ मेले और हर छह साल में लगने वाले कुम्भ से है जिसमें बड़े बड़े पंडालों में साधु संत भंडारे का आयोजन करते हैं। लेकिन इस लॉकडाउन के दौर में आज जब सही मायनों में ‘अन्न क्षेत्र’ (लंगर) चलाने की जरूरत है तो ज्यादातर ‘बड़े’ संत महात्मा गायब हैं और ‘छोटे’ संत बढ़-चढ़कर भूखों को भोजन करा रहे हैं। संगम क्षेत्र में बांध पर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के सेवक बलराम दास त्यागी बाबा खुले आसमान के नीचे ही 23 मार्च से लंगर चला रखा है। जबकि "भैया जी का दाल भात" शाम को लोगों की भूख शांत करता है। मेला प्रशासन कार्यालय में स्टोर इंचार्ज देवराज मिश्रा ने कहा, “कुम्भ मेला में बड़े संत महात्मा सरकारी सुविधा लेने के लिए बड़े बड़े भंडारे का आयोजन करते हैं, लेकिन आज जब वास्तव में ‘अन्न क्षेत्र’ चलाने की जरूरत है तो प्रयागराज में स्थित बड़े संत महात्मा गायब हैं। हालांकि समाज से दारागंज के भोला वैश्य जैसे लोग आगे आ रहे हैं जो नियमित भोजन वितरित करा रहे हैं।” त्यागी बाबा ने बताया, “लॉकडाउन की वजह से इस क्षेत्र में कंठी माला, भगवान की फोटो, श्रृंगार का सामान बेचने वाले दुकानदार और उनका परिवार संकट में आ गया। आसपास की झुग्गियों में करीब 10,000 लोग रहते हैं।ये लोग भूखे न रहें, इसलिए हमने 23 मार्च से ही ’अन्न क्षेत्र’ शुरू कर दिया। यहां प्रतिदिन 400 लोगों को भोजन कराया जाता है जिसमें कभी कढ़ी चावल, कभी तहरी, किसी दिन पूरी सब्जी और किसी दिन दाल-चावल दिया जाता है।” इसी तरह, लेटे हनुमान मंदिर के सामने शहर के कई व्यवसायी “भैया जी का दाल भात” नाम से ‘अन्न क्षेत्र’ चला रहे हैं जिसमें संगम क्षेत्र में प्रतिदिन शाम को 600-800 लोगों को भोजन वितरित किया जाता है। त्यागी बाबा ने कहा, ‘‘संगम क्षेत्र की इतनी बड़ी आबादी और घुमंतू लोगों के लिए उनके प्रयास पर्याप्त नहीं हैं और यदि अन्य बड़े संत महात्मा भी आगे आंए तो सभी का पेट भर सकेगा।’’ ‘भैया जी का दाल भात’ चलाने वाली टीम के सदस्य अन्नू सिंह ने बताया, “वास्तव में अन्न क्षेत्र चलाने का यह सिलसिला 23 नवंबर, 2018 को शुरू हुआ जो इस लॉकडाउन में भी जारी है। दिन मे तो कई लोग भोजन चला रहे हैं, लेकिन रात में गिने चुने लोग ही आगे आते हैं, इसलिए हमने सोचा कि कोई रात में भूखा न रहे, इसलिए शाम को भोजन वितरित करने का निर्णय हमने किया।” टीम के एक अन्य सदस्य वीरू सोनकर ने बताया कि संगम क्षेत्र के अलावा “भैया जी का दाल भात” झलवा और कीटगंज के मौजगिरि आश्रम के सामने भी चलाया जा रहा है। सोनकर के अनुसार, झलवा में 500 लोगों के लिए और कीटगंज में 700-800 लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था है। संगम क्षेत्र में समाज सेवा कर रहे जय कुमार निषाद ने बताया कि ‘‘इस लॉकडाउन में भूखों को भोजन कराने के मामले में बड़े संत नदारद हैं। लेटे हनुमान जी मंदिर के महंत और 13 अखाड़ों के मुखिया नरेंद्र गिरि महाराज की ओर से केवल एक दिन 35 पैकेट राशन बंटवाया गया और पिछले 6-7 दिनों से उनके मठ से मट्ठा आ रहा है।’’ उन्होंने बताया कि इसी तरह टीकरमाफी आश्रम के हरि चैतन्य ब्रह्मचारी की ओर से 1,000 लोगों को राशन बंटवाया गया है। मेला प्रशासन कार्यालय में कार्यरत अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि बांध पर स्थित शंकर विमान मंडपम का बड़ा नाम है, लेकिन उनकी ओर से कोई अन्न क्षेत्र नहीं चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हालांकि दंडी बाड़ा से एक संत यहां संगम क्षेत्र में सत्संग पंडाल में लोगों को भोजन कराने के लिए प्रतिदिन एक पिकअप वैन में तैयार भोजन लेकर आते हैं।

मुफ्त भोजन के 30 लाख से अधिक पैकेट बांटे

रेलवे ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों और जरूरतमंद लोगों को अब तक भोजन के 30 लाख से अधिक पैकेट बांटे हैं। भारतीय रेल ने एक बयान में यह कहा है। बयान में कहा गया है कि 20 अप्रैल को रेलवे ने भोजन के 20 लाख पैकेट के आंकड़े को पार कर लिया था और पिछले 10 दिनों में और 10 लाख लोगों को मुफ्त भोजन बांटा गया। बयान में कहा गया है, ‘‘वैश्विक महामारी ने जो अभूतपूर्व स्थिति पैदा की है उसने बड़ी संख्या में लोगों को भूखे रहने की कगार पर पहुंचा दिया है। इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुए लोगों में विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए लोग, दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी कामगार, बच्चे, कुली, बेघर लोग, गरीब और कई अन्य तबका शामिल है।’’ इसमें कहा गया है कि रेलवे आईआरसीटीसी की रसोई, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के संसाधनों और गैर सरकारी संगठनों के योगदान के जरिये पेपर प्लेट के साथ दोपहर का भोजन और रात के खाने के लिये भोजन के पैकेट उपलब्ध करा रहा है। जरूरतमंद लोगों को भोजन बांटने के समय उनके बीच दूरी और स्वच्छता का भी ध्यान रखा गया। भोजन के 17.7 लाख पैकेट भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) द्वारा मुहैया किये गये, करीब 5.18 लाख पैकेट आरपीएफ ने अपने संसाधनों से उपलब्ध कराये, लगभग 2.53 लाख पैकेट रेलवे के वाणिज्यिक एवं अन्य विभागों ने दिये तथा करीब 5.60 लाख पैकेट रेल संगठनों के साथ काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों ने दान किये।

इसे भी पढ़ें: चीन के खिलाफ वैश्विक नाराजगी से उपजे अवसरों को हाथ से जाने ना दे भारत

बड़ी रणनीतिक उपलब्धि

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को चीन की एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि करार दिया है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि बुधवार को देश में कोरोना वायरस के केवल चार नए मामले सामने आए जिसके बाद महामारी के रोगियों की कुल संख्या 82,862 हो गई है। मौत का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। कोरोना वायरस चीन में 4,633 लोगों की जान ले चुका है। चिनफिंग ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की उच्चाधिकार प्राप्त केंद्रीय समिति की बैठक में कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के चीन के अभूतपूर्व प्रयासों के चलते हुबेई प्रांत और इसकी राजधानी वुहान की रक्षा करने की लड़ाई के निर्णायक परिणाम आए। सरकार संचालित शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने चिनफिंग के हवाले से कहा कि महामारी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी लड़ाई से बड़ी रणनीतिक उपलब्धि हासिल हुई है। चिनफिंग ने कहा कि वुहान सहित हुबेई को सामुदायिक स्तर के महामारी नियंत्रण कदमों को मजबूत करने का काम जारी रखना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे रूस की सीमा से लगते हीलोंगजियांग प्रांत में कोरोना वायरस के मामलों को रोकने के लिए प्रयास करें जहां रूसी शहरों से लौट रहे चीनी लोग बड़ी संख्या में संक्रमित पाए गए हैं। खबर में कहा गया कि बैठक में काम और कारोबार, खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को फिर से शुरू करने तथा ऑटो विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक सूचना और जैव औषधि क्षेत्र को मजबूती देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। चिनफिंग ने कहा कि कोविड-19 महामारी का विदेशों में कहर जारी है और वहां से संक्रमण आने तथा देश में बीमारी के फिर से उभार को रोकने पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। खबर में कहा गया कि चिनफिंग ने कड़े प्रयासों से अर्जित उपलब्धियों को बरकरार रखने के लिए महामारी नियंत्रण कदमों में कोई ढिलाई न बरतने की आवश्यकता पर बल दिया। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, बुधवार को सामने आए कोविड-19 के चार नए मामले विदेशों से आए लोगों से जुड़े हैं। इसने कहा कि विदेशों से आए लोगों से जुड़े महामारी के मामलों की संख्या बढ़कर 1,664 हो गई है। इनमें से 13 लोगों की हालत गंभीर है। सीपीसी की केंद्रीय समिति की बैठक ऐसे समय हुई है जब कोरोना वायरस की उत्पत्ति के स्रोत का पता लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय जांच का दबाव बढ़ रहा है और ये आरोप भी लग रहे हैं कि नया कोरोना वायरस वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान से फैला है। उधर, चीन के विदेश मंत्रालय ने आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस आरोप को खारिज किया कि बीजिंग चाहता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में वह हार जाएं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका की सरकार दूसरों पर दोष मढ़ने और कोविड-19 से निपटने में अपने खराब प्रदर्शन से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़