Lockdown के 58वें दिन सरकार ने कहा- सिर्फ 6.39% मामलों में ही अस्पताल की जरूरत

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महाराष्ट्र में कोविड-19 के 2,250 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमण के मामले बढ़कर बुधवार को 39,297 हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि वायरस से 65 और लोगों की जान जाने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,390 हो गई है। इनमें से 41 लोग मुम्बई के थे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि देश में कोविड-19 के वर्तमान में जितने मामले हैं उनमें 6.39 प्रतिशत मरीज को अस्पताल में उपचार कराने की जरूरत है। कोविड-19 के बारे में संवाददाता सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि करीब 2.94 प्रतिशत मामलों में ऑक्सीजन सहायता देने की जरूरत है, तीन प्रतिशत को आईसीयू (सघन चिकित्सा कक्ष) की और 0.45 प्रतिशत मामलों में जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर सपोर्ट) की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के मामलों में केवल 6.39 प्रतिशत में आक्सीजन सहायता या आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत है। जल्द पहचान हो जाने से कई लोग ठीक हो रहे हैं। हम स्वास्थ्य ढांचे को भी उन्नत बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान हमने ऑक्सीजन सहायता वाले बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर सहित अस्पतालों की आधारभूत संरचना को उन्नत बनाया है। हमारी कोशिशों ने विश्वास बढ़ाया है कि हम राज्यों के साथ मिलकर कोविड-19 के मामलों से निपटने के लिए तैयार हैं और साधन भी हैं।’’ अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी स्थिति रिपोर्ट से आंकड़ों का विश्लेषण किया है और पाया है कि दुनिया में प्रति लाख आबादी पर 62 लोग प्रभावित हुए हैं जबकि भारत में प्रति लाख आबादी पर 7.9 लोग प्रभावित हुए हैं। संयुक्त सचिव ने कहा, ‘‘इतनी ही आबादी के बावजूद शीर्ष 15 देशों में कोविड-19 के कुल मामले भारत की तुलना में 34 गुणा अधिक है तथा इतनी ही आबादी की तुलना में कुल मृत्यु भारत की तुलना में शीर्ष 15 देशों में 83 गुणा ज्यादा है।’’ उन्होंने कहा कि अब तक भारत में प्रति लाख आबादी पर 0.2 मौत हुई है जबकि दुनिया का आंकड़ा 4.1 का है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘मौत होना दुख की बात है लेकिन हमने पाया है कि छह देशों में कोविड-19 से 10,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं। तुलनात्मक रूप से हमने हालात को राज्यों और जनता की मदद से अच्छे से संभाला है, इसके बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं।’’ अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल ठीक होने की दर 39.62 प्रतिशत है जबकि लॉकडाउन के आरंभ में यह दर 7.1 प्रतिशत थी। क्या सरकार कोविड-19 के उपचार की योजना से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को हटाने पर विचार कर रही है, इस सवाल पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि इसके असर के बारे में समीक्षा के बाद इस पर कोई फैसला होगा। आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख रमण आर गंगाखेडकर ने कहा कि मंगलवार को दोपहर साढ़े 12 बजे तक कोविड-19 की 25.36 लाख जांच हुई है। दूसरी बार, 24 घंटे के भीतर एक लाख से ज्यादा जांच हुई।

मौतों को रोकने में मदद मिली

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को कहा कि सूक्ष्म स्तर पर संक्रमण के मामलों की पहचान करने, व्यापक रूप से लोगों को पृथक करने और त्वरित उपचार की भारत की नीति की वजह से देश में कोविड-19 को बड़े स्तर पर फैलने और अधिक लोगों को हताहत होने से रोकने में मदद मिली। हर्षवर्धन ने कहा कि 1.35 अरब देशवासियों ने देशव्यापी लॉकडाउन के फैसले का सम्मान किया जिससे अब तक मृत्युदर को कम रखने और कोविड-19 को फैलने से रोकने में मदद मिली। गुट-निरपेक्ष आंदोलन (नैम) के सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करते हुए हर्षवर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि समस्त आर्थिक वृद्धि का आधार मानव कल्याण होना चाहिए। केद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस बैठक की अध्यक्षता अजरबैजान के स्वास्थ्य मंत्री ओग्ताय शिरालीयेव ने की। हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 महामारी का मौजूदा संकट लोगों को इस बात की याद दिलाता है कि शासन के वैश्विक संस्थानों को और अधिक लोकतांत्रिक, पारदर्शी तथा प्रतिनिधित्व वाला होना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से बयान में कहा गया, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संकट से निपटने में गति, स्तर और दृढ़निश्चय सुनिश्चित किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस घातक वायरस को पराजित करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ 135 करोड़ भारतवासियों ने मिलकर देशभर में लॉकडाउन के फैसले का सम्मान किया और मृत्युदर को कम रखा एवं महामारी को फैलने से रोकने की दिशा में काम किया।’’ हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘सूक्ष्म स्तर पर मामलों की पहचान, व्यापक स्तर पर लोगों को पृथक करने तथा त्वरित उपचार की हमारी नीति ने कोविड-19 को बड़े स्तर पर फैलने तथा इससे अधिक संख्या में मौतों को रोकने में अच्छा परिणाम दिया।’’ नैम की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय महामारी का सामना कर रहा है जिसने दुनियाभर में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। बयान में कहा गया कि नैम ने कोविड-19 से दुनिया के सामने पैदा हुई चुनौती पर चिंता व्यक्त की तथा उचित तैयारी, रोकथाम के साथ वृहद राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के साथ इससे लड़ने का संकल्प लिया। घातक वायरस से अपने प्रियजनों को गंवाने वाले परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘कोविड-19 ने हमें एहसास कराया है कि हम पहले से कहीं अधिक ज्यादा आपस में जुड़े हुए और एक-दूसरे पर निर्भर हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें एहसास हुआ है कि इस धरती पर आज मौजूद जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदाओं जैसी मानव जनित चुनौतियों का सामना केवल मिलकर किया जा सकता है, बंटकर नहीं। इसके लिए सहयोग चाहिए, दबाव नहीं।’’ स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में सरकार इस मामले में तुरत फुरत सक्रिय हुई और उसने बुनियादी ढांचे तथा श्रमशक्ति की क्षमता का विस्तार किया।

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एक मई से 1,813 ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं

रेलवे ने बुधवार को बताया कि एक मई से 1,813 'श्रमिक विशेष' ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं, जिनके जरिये 22 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है। रेलवे ने कहा कि 1,813 ट्रेनों में से 301 ट्रेन रास्तों में हैं और 1,512 ट्रेन अपने गंतव्यों तक पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा 143 से अधिक ट्रेन चलने के लिये तैयार हैं। सबसे अधिक 912 ट्रेन उत्तर प्रदेश गई हैं। इसके बाद बिहार (398) का नंबर आता है। लगभग 583 ट्रेन गुजरात से और 320 ट्रेन महाराष्ट्र से चली हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया कि 19 मई यानी मंगलवार को 204 ट्रेन चली हैं। गोयल ने ट्वीट किया, 'रेलवे ने कल कामगारों के लिये 200 विशेष ट्रेन चलाने का वादा किया था। उसने इससे भी बढ़कर रिकॉर्ड 204 ट्रेन चलाईं।'

घरेलू यात्री उड़ानों का परिचालन 25 मई से

नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि घरेलू यात्री उड़ानों को 25 मई से क्रमिक तरीके से बहाल किया जाएगा। हालांकि, पुरी ने यह नहीं बताया कि अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें कब बहाल होंगी। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच देश में 25 मार्च से सभी व्यावसायिक यात्री उड़ानें निलंबित हैं। पुरी ने ट्वीट किया, ‘‘घरेलू उड़ानों का परिचालन 25 मई, 2020 से क्रमिक तरीके से फिर शुरू किया जाएगा। सभी हवाई अड्डों और विमानन कंपनियों को 25 मई से परिचालन के लिए तैयार रहने को सूचित किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नागर विमानन मंत्रालय यात्री परिवहन के लिए मानक परिचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) अलग से जारी कर रहा है।’’ पुरी ने मंगलवार को कहा था कि यात्री उड़ानें फिर से शुरू करने पर केंद्र सरकार अकेले फैसला नहीं कर सकती और राज्य सरकारों को सहयोगात्मक संघवाद की भावना के तहत इन सेवाओं की अनुमति के लिए तैयार रहना चाहिए। स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने यात्री सेवाएं बहाल करने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम 25 मई से घरेलू उड़ान सेवाओं का परिचालन फिर शुरू करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। यह फैसला देश में समग्र आर्थिक माहौल को मजबूत करने में दूरगामी साबित होगा। परिचालन की बहाली के लिए एसओपी और उड़ानों के ब्योरे का अब भी इंतजार है, वहीं हमें विश्वास है कि यह बहुप्रतीक्षित कदम बड़ी संख्या में यात्रियों को सबसे सुरक्षित और त्वरित परिवहन प्रदान करेगा।’’ महामारी की वजह से विमानन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है और भारत समेत अनेक देशों ने व्यावसायिक उड़ानों को पूरी तरह निलंबित करने का फैसला किया था। हालांकि, मालवाहक विमान, चिकित्सा आपात उड़ानें तथा डीजीसीए द्वारा मंजूर अन्य विशेष उड़ानों को इस अवधि में अनुमति दी गयी।

लॉकडाउन की निगरानी

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए गृह मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ समन्वय से चौथे चरण के लॉकडाउन को लागू किए जाने की निगरानी कर रहा है। लॉकडाउन के तहत कुछ सार्वजनिक गतिविधियों पर 31 मई तक पाबंदी है। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जनहित में लॉकडाउन को 31 मई तक के लिए बढ़ाया गया है। कुछ गतिविधियों पर रोक लगाने को लेकर इसके लिए निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निषिद्ध क्षेत्रों में केवल जरूरी सेवाओं को अनुमति दी जाएगी । राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों ने मौजूदा स्थिति के मुताबिक निर्देश जारी किए हैं।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देश के मुताबिक रेड, ग्रीन, ऑरेंज, बफर और कंटेनमेंट जोन के तौर पर इलाकों को चिन्हित कर रही हैं। अधिकारी ने कहा कि सरकारें अपने संबंधित राज्यों में अनुमति वाली गतिविधियों के बारे में निर्देश जारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ तालमेल से लॉकडाउन के कदमों की निगरानी कर रहा है।

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दिल्ली सरकार ने चलाया अभियान

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में इलाकों का रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में वर्गीकरण करने के लिए एक नई प्रक्रिया अपनाने का निर्णय लिया है। अभी दिल्ली के सभी 11 जिले रेड जोन में हैं। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने इलाके में कोविड-19 के आधार पर ‘रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन’ के बंटवारे का काम शुरू कर दिया है। सूत्रों ने कहा, ''सरकार ने तीनों जोन बांटने के लिए एक प्रक्रिया जारी की है। यह काम जल्द पूरा हो जाएगा।’’ दिल्ली सरकार ने मांग की थी कि पूरे शहर को 'रेड' जोन घोषित नहीं किया जा सकता है। जिलों की बजाय वर्गीकरण नगरपालिका वार्डों के आधार पर किया जाना चाहिए। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया वर्गीकरण मापदंडों के अनुसार, शहर के सभी 11 जिले रेड जोन में हैं, जिसके तहत ऑरेंज और ग्रीन जोन की तुलना में गतिविधियों पर अधिक प्रतिबंध के कारण दिल्लीवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों ने कहा, ''यह प्रक्रिया या तो वार्ड के आधार या निषिद्ध इलाकों के आधार पर पूरी की जाएगी।’’ दिल्ली में बुधवार को कोरोना वायरस के 534 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के मामले 11,000 के पार पहुंच गए। वहीं मृतक संख्या बढ़कर 176 हो गई।

ई-कॉमर्स की छूट को वापस लिया

झारखंड सरकार ने लॉकडाउन-4 में राज्य में दी गयी विभिन्न छूटों में से आवश्यक एवं गैर आवश्यक वस्तुओं के ई-कॉमर्स की छूट को वापस ले लिया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कोरोना वायरस पर राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में इस आशय का संशोधन बुधवार को किया गया। नया संशोधित आदेश जारी करते हुए सचिवालय ने बताया कि समिति के फैसले के अनुसार अब आवश्यक एवं गैर आवश्यक वस्तुओं के ई-कामर्स की राज्य में लॉकडाउन में अनुमति नहीं होगी। हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि पहले की तरह राज्य के भीतर की ई-कॉमर्स की अन्य गतिविधियां यथावत चलती रहेंगी। इससे पूर्व सोमवार को राज्य सरकार ने औद्योगिक गतिविधियों, निर्माण कार्यों, टैक्सी, शराब की दुकानों, किताबों और स्टेशनरी की दुकानों, मोबाइल, टीवी, एयरकंडीशनर आदि आवश्यक सेवाओं के सर्विस सेंटर, ई-कामर्स, निजी कार्यालयों और किसानों की सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से चालू करने की अनुमति दे दी थी।

जीना है, लड़ना है

गुजरात में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने संक्रमण से लड़ने में लोगों की भागीदारी का अनुरोध किया और इसके लिए एक सप्ताह का ऑनलाइन अभियान आरंभ करने की घोषणा की। रूपाणी ने कहा कि 21 मई से 27 मई के बीच चलने वाले अभियान का मकसद लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने के तीन बुनियादी नियमों के बारे में अवगत कराना है। बच्चे और बजुर्ग घर के भीतर रहें, बिना मास्क के बाहर ना निकलें और सामाजिक दूरी का हमेशा पालन करें। सप्ताह भर चलने वाले अभियान का नाम ‘हू पन कोरोना वारियर’ है यानि ‘मैं भी कोरोना योद्धा हूं।' उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘अब कोरोना वायरस के खिलाफ सीधी लड़ाई है। हमें कोरोना वायरस के साथ जीना है और इससे लड़ना भी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोगों से हमेशा चौकस रहने का अनुरोध करता हूं। तीन सामान्य नियमों के पालन के लिए बृहस्पतिवार से एक सप्ताह का अभियान शुरू हो रहा है। महामारी से लड़ने के लिए हर किसी को इसका पालन करना है।’’ रूपाणी ने कहा कि इस एक सप्ताह के दौरान नामी गिरामी हस्तियां, विशिष्ट नागरिक लोगों को संबोधित करेंगे और महामारी से लड़ने के बारे में अपना दृष्टिकोण साझा करेंगे। गुजरात में 19 मई तक कोविड-19 के 12,141 मामले आ चुके हैं और 719 लोगों की मौत हुई है।

सियासत की क्या जरूरत

कांग्रेस की बागी नेता एवं विधायक अदिति सिंह ने प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 बसें चलाने की प्रियंका गांधी की पेशकश पर अपनी पार्टी पर हमला बोलते हुए बुधवार को कहा कि आपदा के समय ऐसी 'निम्न' सियासत की जरूरत नहीं है। अदिति ने राजस्थान के कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के बच्चों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही सराहना की। रायबरेली से विधायक अदिति ने टवीट कर कहा, 'आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाईं।' उन्होंने एक अन्य टवीट में कहा कि जब उत्तर प्रदेश के हजारों बच्चे कोटा में फंसे हुए थे, तब ये तथाकथित बसें कहां थीं... कांग्रेस की सरकार उन्हें उत्तर प्रदेश की सीमा तक भी नहीं छोड़ पायी थी, तब योगी आदित्यनाथ इन बच्चों को रातोंरात लेकर आये और राजस्थान के मुख्यमंत्री ने स्वयं इसकी सराहना की थी। अदिति सिंह दिवंगत अखिलेश प्रताप सिंह की बेटी हैं, जो विधायक थे और एक बार उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। बाद में वह कांग्रेस में वापस लौट आये थे। पिछले साल अदिति ने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए दो अक्टूबर को विधानसभा के विशेष सत्र में हिस्सा लिया था। महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार ने यह विशेष सत्र बुलाया था। अदिति को इसके लिए कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था। अदिति ने जब नोटिस का जवाब नहीं दिया तो पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में याचिका देकर उन्हें अयोग्य करार देने की मांग की थी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि याचिका अभी भी विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में लंबित है।

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जम्मू संभाग में पटरी पर लौट रहा जीवन

जम्मू संभाग में लगभग दो महीने बाद बुधवार को कुछ पाबंदियों के बीच विभिन्न ग्रीन और ऑरेंज जोन में ज्यादातर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुलने के बाद जन-जीवन पटरी पर लौटता नजर आया। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने ग्रीन और ऑरेंज जोन में बैंक, निजी अस्पताल, शराब की दुकानों और रेस्तरां के अलावा बाजार, निजी कार्यालय खोलने और सीमित मात्रा में वाहनों की आवाजाही को अनुमति दी है। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद 20 जिलों का पुनः वर्गीकरण किया गया। कश्मीर में श्रीनगर समेत आठ जिलों और जम्मू में कठुआ, सांबा और रामबन जिले को रेड जोन घोषित किया गया है। जम्मू संभाग के चार जिलों- डोडा, किश्तवाड़, पुंछ और राजौरी को ग्रीन जोन घोषित किया गया है। कश्मीर के बांदीपोरा और गांदरबल और जम्मू के रियासी, उधमपुर और जम्मू जिले को ऑरेंज जोन घोषित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि ग्रीन और ऑरेंज जोन वाले जिलों में ज्यादातर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुल गए हैं और लोग सामाजिक दूरी का ध्यान रखते दिखाई पड़ रहे हैं। मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम द्वारा जारी अलग-अलग आदेशों में प्रशासन ने ग्रीन और ऑरेंज जोन में अतिरिक्त ढील दिए जाने की घोषणा की और कहा कि रेड जोन घोषित किए गए जिलों में प्रतिबंध लागू रहेंगे। आदेश में कहा गया कि जम्मू कश्मीर में हवाई सेवा (आपात स्थिति को छोड़कर), ट्रेन, अंतर-राज्यीय और अंतर-जिला बस सेवाएं प्रतिबंधित रहेंगी।

खिलाड़ियों के संपर्क में नहीं था कोविड-19 पॉजिटिव रसोइया

हॉकी इंडिया ने बेंगलुरू के भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) केंद्र में काम करने वाले कोरोना वायरस से संक्रमित रसोइये की मौत के बावजूद बुधवार को ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी पुरुष और महिला हॉकी टीमों को स्थानांतरित करने की संभावना से इनकार कर दिया क्योंकि वह खिलाड़ियों के संपर्क में नहीं था। शीर्ष अधिकारी के अनुसार रसोइये का दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ और बाद में वह कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाया गया। अधिकारी ने हालांकि कहा कि डरने की कोई बात नहीं है क्योंकि मृतक को खिलाड़ियों के रहने के स्थान पर जाने की स्वीकृति नहीं थी। हॉकी इंडिया की सीईओ एलिना नोर्मन ने पीटीआई को बताया, ‘‘टीमों को बेंगलुरू से हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि वहां देश में सर्वश्रेष्ठ सुविधा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम ऐसा करने के बारे में सोचते भी हैं तो भी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण यह व्यावहारिक रूप से असंभव होगा।’’ साइ के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रसोइया 10 मार्च से गेट के आसपास के क्षेत्र से आगे नहीं गया था। अधिकारी ने कहा, ‘‘एक रसोइया, जो लगभग 60 कर्मचारियों का हिस्सा था जिन्हें अधिक उम्र के कारण 10 मार्च से घर पर रहने को कहा गया था, उसका अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।’’ उन्होंने बताया, ‘‘वह अपने एक रिश्तेदार के बच्चे के जन्म के लिए अस्पताल गया था और वहां उसे दिल का दौरा पड़ा और उसका निधन हो गया। नियमों के तहत उसका कोविड-19 परीक्षण किया गया जो पॉजिटिव आया।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘परिसर को तीन भागों को बांटा गया है- गेट के आसपास का क्षेत्र, सेक्टर-ए और सेक्टर-बी। खिलाड़ी आखिरी हिस्से सेक्टर-बी में रहते हैं इसलिए वे पूरी तरह सुरक्षित हैं और पिछले दो महीने से पृथकवास में हैं।’’ साइ अधिकारी ने इन खबरों को भी खारिज कर दिया कि मृतक रसोइये ने पिछले शुक्रवार को साइ परिसर के अंदर बैठक में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘वह पिछले 65 दिन से परिसर से बाहर था। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले ही 10 मार्च को हमारे परिसर में लॉकडाउन हो गया था। रसोइया आखिरी बार 15 मार्च को परिसर में आया था लेकिन गेट के आसपास ही रुका था और उसे अंदर नहीं आने दिया गया था।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर हमने चार-पांच लोगों जैसे गार्ड, जो उससे करीब से संपर्क में आये होंगे, उन्हें पृथकवास में रख दिया है।’’ बाद में बुधवार को साइ ने आधिकारिक बयान जारी किया और रसोइये के 15 मार्च को साइ केंद्र दौरे की बात स्वीकार की। इसमें कहा गया, ‘‘इस व्यक्ति ने थर्मल स्क्रीनिंग सहित सभी जरूरी स्क्रीनिंग के बाद ही साइ केंद्र में प्रवेश किया और वह तब बिलकुल फिट पाया गया था। वह मास्क पहने था और गेट पर उसे हैंड सैनीटाइजर दिया गया था।’’ इसके अनुसार, ‘‘बैठक में उस व्यक्ति सहित 16 सदस्यों ने शिरकत की थी जो केंद्र के प्रशासनिक ब्लॉक के करीब ऑडिटोरियम (300 लोगों के बैठने की क्षमता) में हुई थी। सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार बैठक के दौरान सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया गया था।’’ इसके मुताबिक, ‘‘वह बैठक के तुरंत बाद चला गया था और उसने किसी खिलाड़ी या अन्य स्टाफ सदस्य से कोई बातचीत नहीं की थी।’’ साइ ने पुष्टि की कि उन्होंने बैठक में मौजूद चार अधिकारियों को पृथकवास में भेजा है। बयान के अनुसार, ‘‘केंद्र के बाद रहने वाले अन्य को घर में पृथक रखा गया है। केंद्र के वरिष्ठ प्रभारी निदेशक को भी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के अनुसार सभी जरूरी एहतियात बरतने का निर्देश दिया गया है ताकि परिसर में रहने वाले सभी खिलाड़ियों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।’’ इस मामले पर प्रतिक्रिया करते हुए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने कहा कि वह इस घटना के बाद की गयी सभी एहतियाती उपायों से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाकी इंडिया से संपर्क में हूं और जिस तरह से साइ बेंगलुरू केंद्र को स्वच्छ और सुरक्षित रखा गया है उससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं। साइ प्रशासन मामले से अच्छी तरह निपट रहा है, घबराने का कोई कारण नहीं है।’’ बत्रा ने कहा, ''हमने साइ बेंगलुरू में रह रहे अधिकारियों और खिलाड़ियों से बात की है, पता चल गया है कि इनमें से किसी ने भी कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्ति से बात नहीं की थी।’’ 

लॉकडाउन को दो और हफ्ते तक बढ़ाने का प्रस्ताव

स्पेन के प्रधानमंत्री ने बुधवार को संसद को बताया कि सरकार देश में लगे आपातकाल का विस्तार करना चाहती है, क्योंकि लॉकडाउन का इस्तेमाल करके उनकी सरकार ने देश में कोरोना वायरस प्रकोप पर लगाम लगाई है। स्पेन में कम से कम 27,000 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसा पांचवीं बार होगा जब आपातकाल की अवधि को दो सप्ताह के लिए बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में लगा आपातकाल रविवार को समाप्त होने वाला है। सरकार इसे 7 जून तक बढ़ाना चाहती है। प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने सदन को बताया, ‘‘हम जिस रास्ते पर हैं, वही एकमात्र रास्ता है, जिसके सहारे हम वायरस को संभवतः हरा सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन सभी सांसदों को धन्यवाद जिन्होंने आपातकाल लगाने का समर्थन किया है क्योंकि अपने समर्थन से उन्होंने हजारों लोगों की जान बचाई है।’’ सांचेज ने कहा कि स्पेन को अभी भी स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर सख्त, केंद्रीकृत नियंत्रण रखने की आवश्यकता है क्योंकि सरकार ने प्रतिबंधों में ढील और अन्य गतिविधियों की शुरूआत की है। देश के अधिकांश हिस्सों में छोटी दुकानें फिर से खुल गई हैं, लेकिन संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित मैड्रिड और बार्सिलोना में इस तरह की छूट नहीं दी गई है। स्पेन में 14 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगा हुआ है। स्पेन में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 2,30,000 से अधिक मामलों की पुष्टि की गई है।

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नेपाल की बयानबाजी

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि भारत से आने वाला कोरोना वायरस संक्रमण चीन और इटली से आने वाले संक्रमण से ‘‘अधिक घातक’’ है। उन्होंने साथ ही देश में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के लिए भारत से अवैध तरीके से प्रवेश करने वालों को जिम्मेदार ठहराया। नेपाल में कोरोना वायरस के मामले बुधवार को बढ़कर 427 हो गए। ओली ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी के बारे में संसद में कहा कि बाहर से लोगों के आने के चलते नेपाल के लिए इस वायरस का संक्रमण रोकना बहुत मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के कई मरीज नेपाल में प्रवेश कर गए हैं। यह वायरस बाहर से आया, हमारे यहां यह नहीं था। हम सीमापार से लोगों की घुसपैठ नहीं रोक पाये।’’ उन्होंने कहा कि देश के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस के बढ़ते मामले हैं। उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के लिए देशव्यापी लॉकडाउन तोड़ने वाले व्यक्तियों और विशेष तौर पर उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया, जो भारत से नेपाल में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा,‘‘भारत से आने वाला कोरोना वायरस संक्रमण चीन और इटली से अधिक घातक है।’’ काठमांडू पोस्ट ने ओली के हवाले से कहा, ‘‘भारत से जो अवैध तरीके से आ रहे हैं वे देश में इस वायरस को फैला रहे हैं। कुछ स्थानीय प्रतिनिधि और पार्टी नेता भारत से लोगों को बिना उचित जांच के लाने के लिए जिम्मेदार हैं।’’ ओली की यह टिप्पणी भारत द्वारा लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचुला से जोड़ने वाली एक प्रमुख सड़क के निर्माण के बाद नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद होने के बीच आयी है। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बहुत समय पहले से ही एहतियाती कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘देश को कोरोना वायरस से मुक्त करना सरकार की मुख्य प्राथमिकता है।’’ देश में लॉकडाउन के बीच लोगों की सीमापार आवाजाही रोकने के लिए नेपाल-भारत सीमा पर स्थित सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बावजूद विभिन्न सीमा बिंदुओं से रोजाना सैकड़ों लोगों के देश में प्रवेश करने की खबरें हैं। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोना वायरस के 25 नये मामले सामने आने के साथ ही बुधवार को कुल मामले बढ़कर 427 हो गए। देश में अभी तक इससे दो व्यक्तियों की मौत हुई है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं। उन्होंने इस क्षेत्रों को भारत से राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों से ‘‘वापस लेने’’ की प्रतिबद्धता जतायी थी। वहीं, उनकी अध्यक्षता में उनके मंत्रिमंडल ने एक नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूर किया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने संसद में कहा कि ये क्षेत्र नेपाल के हैं ‘‘लेकिन भारत ने वहां अपनी सेना रखकर उन्हें एक विवादित क्षेत्र बना दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत द्वारा सेना तैनात करने के बाद नेपालियों को वहां जाने से रोक दिया गया।’’ लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है। भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं। भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है और नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है।

अमेरिकी कंपनी निकली आगे

दुनिया भर के वैज्ञानिक कोविड-19 का टीका विकसित करने में शिद्दत से जुटे हैं। ऐसे में सबकी निगाहें अमेरिका स्थित कंपनी 'मॉडर्ना' द्वारा स्वस्थ लोगों के एक छोटे से समूह पर किये गए परीक्षण के नतीजों पर टिकी हैं। विशेषज्ञों ने हालांकि कहा है कि टीका बनने में महीनों या फिर एक साल तक लग सकता है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका स्थित बायो-टेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना के नतीजों ने उसे टीका विकसित करने के दौड़ में शामिल 118 उम्मीदवारों में आगे कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम जानकारी के अनुसार, आठ ‘कोविड-19 टीकों’ का नैदानिक परीक्षण किया जा रहा है जबकि 110 उम्मीदवार अभी खोज ही कर रहे हैं। मॉडर्ना ने कहा कि उसके टीके 'एमआरएनए-1273' के शुरुआती आंकड़े दर्शाते हैं कि इसने आठ स्वस्थ लोगों के भीतर प्रतिरोधक एंटीबॉडी पैदा कर दी है। इसके अलावा जिन कोविड-19 टीकों पर निगाहें टिकी हुई हैं, उनमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया जा रहा टीका भी शामिल है। इस टीके का छह बंदरों के एक समूह पर परीक्षण किया गया, जो कारगर साबित हुआ है। इसके विश्वसनीय नतीजे सामने आए हैं और पिछले महीने के अंत में इसका मानव शरीर पर भी परीक्षण शुरू कर दिया गया। ब्रिटेन स्थित आंकड़ा विश्लेषक एवं परामर्श कंपनी 'ग्लोबल डाटा' में संक्रामक रोग से जुड़े विभाग के एसोसिएट निदेशक माइकल ब्रीन ने कहा, 'चूंकि मॉडर्ना के पास एकमात्र टीका है, जिसने कोविड-19 रोग के खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया है, लिहाजा हमारे ख्याल से यह कंपनी टीका विकसित करने की दौड़ में काफी आगे है।' ब्रीन ने कहा, 'मानव शरीर पर जिन टीकों का परीक्षण किया गया है उनमें से केवल दो टीके ही कारगर साबित हुए हैं।' उन्होंने कहा कि मॉडर्ना के अध्ययन से साबित होता है कि इस टीके के इस्तेमाल से मानव शरीर में वायरस के खिलाफ एक एंडीबॉडी विकसित की जा सकती है।

-नीरज कुमार दुबे

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