मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों की उपचार पद्धति पर कराएगी शोध
यही वजह है कि जंगलों में रह रहे वनवासी और आदिवासियों तक ही यह सीमित रह गई। जिसको लेकर आदिवासीयों की इस उपचार पद्धति पर अब राज्य सरकार शोध कराने जा रही है।
आदिवासी बहुल्य मध्यप्रदेश में राज्य सरकार आदिवासीयों की उपचार पद्धति पर शोध करवाने जा रही है। इसका प्रमुख कारण आदिवासी समुदाय में बीमार पड़ने या गंभीर चोट लगने पर जंगली औषधियों से उपचार करने की पद्धति है। आदिवासी समुदाय की यह उपचार पद्धति विश्व भर में कोतुहल का विषय भी रही है। जंगलों में मिलने वाली दुर्लभ प्रजाति की औषधियों और पेड़ पौधों से वनवासी अपने लोगों का उपचार करते है। यही नहीं कैंसर जैसे असाध्य रोग दूर करने का दवा भी यह आदिवासी करते है। लेकिन जंगलों से बाहर यह उपचार पद्धति लोगों के लिए अंजान है। यही वजह है कि जंगलों में रह रहे वनवासी और आदिवासियों तक ही यह सीमित रह गई। जिसको लेकर आदिवासीयों की इस उपचार पद्धति पर अब राज्य सरकार शोध कराने जा रही है।
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मध्यप्रदेश सरकार में आयुष विभाग की अपर मुख्य सचिव शिखा दुबे का कहना है कि यह एक अच्छी पहल है। भारत सरकार के ट्रायवल मिनिस्ट्री से इस पर बजट स्वीकृत हुआ है। चार जिलों में आदिवासियों के ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट पर रिसर्च कर डाक्युमेन्टेशन किया जाएगा। उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए बता कि पंडित खुशीलाल शर्मा स्वशासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय को शोध कार्य कराना है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि इस प्रस्ताव को हरी झंडी देते हुए आदिम जाति कल्याण विभाग ने 6 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिये हैं जिस पर जल्द काम शुरू हो जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के दो संभागों के चार जिलों का चयन किया गया है। इसमें जबलपुर संभाग का मंडला और डिण्डोरी जिला और शहडोल संभाग का शहडोल और अनूपपुर जिला चयनित किया गया है।
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इन चार जिलों में आयुष के बीएएमएस और एमडी रिसर्चर द्वारा शोध किया जाएगा। पंडित खुशीलाल शर्मा महाविद्यालय अयुर्वेद डॉक्टर्स इन चार जिलों में आदिवासियों के बीच रहकर उनकी उपचार पद्धति पर शोध करेंगे। राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट पर तीन साल में कुल 6 करोड़ रुपये खर्च करेगा। हालांकि पंडित खुशीलाल आयुर्वेद महाविद्यालय द्वारा भेजे गये प्रस्ताव में कुल 13 करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन विभाग ने तीन साल के इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल 6 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। मध्यप्रदेश के चार जिले मंडला, डिण्डोरी, शहडोल और अनूपपुर जिलों में कुल आठ शोधकर्ताओं द्वारा शोध कार्य किया जाएगा। प्रत्येक जिले में दो शोधकर्ता होंगे। हालांकि समय-समय पर इनकी देखरेख में महाविद्यालय के बीएएसएस स्टूडेंस्ट भी शोध कार्य में मदद करेंगे।
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