Iron Lung में रहने वाले अंतिम व्यक्ति Paul Alexander की कोरोना संक्रमण से हुई मौत, जीने को मजबूर थे दर्दनाक जिंदगी, जानें पूरी कहानी

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रितिका कमठान । Mar 14 2024 12:29PM

पॉल अलेक्जेंडर को कुछ समय पहले ही कोरोना संक्रमण हुआ था। इसके बाद उनकी सेहत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालांकि अब तक ये सामने नहीं आया है कि पॉल की मौत के कारण क्या था। वैसे जानते हैं कि पॉल के निधन की खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, जो सुर्खियों में बनी हुई है।

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती... कोशिश करने वालों की हार नहीं होती... इन पंक्तियों को अपने जीवनकाल में सच साबित किया है अमेरिका के डलास में रहने वाले पॉल अलेक्जेंडर ने। पॉल अलेक्जेंडर का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है, जो पोलियो पॉल के नाम से भी जाने जाते थे। पॉल अलेक्जेंडर के निधन की सूचना उनके दोस्त डैनियल स्पिंक्स ने दी है। उन्होंने बताया कि पॉल का निधन डलास के एक अस्पताल में हुआ है।

बता दें कि पॉल अलेक्जेंडर को कुछ समय पहले ही कोरोना संक्रमण हुआ था। इसके बाद उनकी सेहत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालांकि अब तक ये सामने नहीं आया है कि पॉल की मौत के कारण क्या था। वैसे जानते हैं कि पॉल के निधन की खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, जो सुर्खियों में बनी हुई है।

बता दें कि पॉल वो व्यक्ति हैं जो कि कई वर्षों से एक लोहे 600 पाउंड की मशीन में बंद थे, जिसे आयरन लंग के नाम से जाना जाता है। वो बीते 70 वर्षों से इस मशीन में बंद थे। आयरन लंग को वैसे कैबिनेट रेस्पिरेटर, टैंक रेस्पिरेटर, नेगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर के नाम से भी जाना जाता है। इस मशीन का निर्माण एक सदी पहले हुआ था, जिसके कारण पॉल इतने वर्षों तक जीवित रह सके। ये मशीन जीवनरक्षक के तौर पर काम करती थी। बता दें कि जन्म के बाद अमेरिका के निवासी पॉल पोलियो से ग्रसित हो गए थे और उनके शरीर को लकवा मार गया था। इसके बाद उन्हें जीवित रखने के लिए आयरन लंग मशीन में रखा गया था। मगर ये आयरन मशीन 1980 के दशक में बननी बंद हो गई थी। इस समय तक दुनिया भर में तकनीक का शानदार विकास हो चुका था। इसके बाद भी पॉल ने इस मशीन में रहने का ही फैसला किया था क्योंकि इस मशीन के वो आदि हो चुके थे। 

पॉल ने वर्ष 2020 में न्यूजपेपर द गार्जियन से कहा था कि उस जमाने में जबतक नई मशीनों का आविष्कार हुआ था तबतक उन्हें वो इस पुरानी मशीन में रहने के आदि हो चुके थे। मशीन के बाहर सांस लेने की आदत भी बना चुके थे। इस तकनीक को फ्रॉग ब्रीदिंग के तौर पर जाना जाता है। इसके बाद पॉल ने थेरेपी की मदद से अपने सांस और मसल्स को कंट्रोल करना सीखा। इसके साथ ही वो इस मशीन में रहते हुए ही पढ़ते भी गए। उन्होंने इतनी मुश्किलों के बावजूद भी अपनी पढ़ाई को पूरा किया और एक किताब भी लिखी। यहां तक की पॉल मुंह की मदद से पेंटिंग करने में भी सक्षम है।

बता दें कि पॉल ने मशीन में रहकर ही अपने सपनों को भी पूरा किया था। उन्होंने इस दौरान हाई स्कूल को पास किया। इसके बाद कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। कई वर्षों तक उन्होंने वकालत भी की है। यहां तक को वो एक बायोग्राफी भी लिख चुके है। उन्होंने वर्ष 2021 में एक वीडियो इंटरव्यू में कहा था कि मैंने कभी हार नहीं मानी। मैं अब भी हार नहीं मानूंगा। बता दें उम्र के इस पड़ाव पर आने के कारण उन्हें हमेशा एक केयरटेकर की आवश्यकता होती है।

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