प्रभासाक्षी की 18वीं वर्षगाँठ पर विशेष आलेख

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[email protected] । Nov 7 2019 3:55PM

नए साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिए नए लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके।

वर्षगाँठ या स्थापना दिवस हर व्यक्ति/संस्था के लिए बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है। यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिए योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिए नये लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है।

नए साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिए नए लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके। प्रभासाक्षी ने बीते वर्षों में अनेक उपलव्धियाँ हांसिल की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएं भी पायी हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में प्रभासाक्षी और उससे जुड़े हुए लोगों को कुछ नया करने के लिए तत्पर रहना होगा। जिससे कि नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सके और लोगों पर अपनी लेखनी और ख़बरों के ज़रिए छाप छोड़ी जा सके। बीते वर्षों में प्रभासाक्षी ने पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किये हैं और अपने लाखों पाठकों का दिल जीता है।

प्रभासाक्षी एक ऐसा न्यूज़ पोर्टल है जो पिछले 18 सालों से देश-विदेश के जन-सरोकार से जुड़े हुए मुद्दों को प्रखर तरीके से उठा रहा है। विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्‍तंभ माना जाता है। लेकिन पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होता है। जब विधायिका, कार्यपालिका और न्‍यायपालिका अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं करते हैं तो उनको सही राह दिखाने का दायित्व लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता पर होता है। किसी भी लोकतंत्र की सफलता और स्थायिता के लिए लोकतंत्र के चारों स्तम्भों (विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका और पत्रकारिता) का सशक्त होना ज़रूरी होता है। प्रभासाक्षी लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की भूमिका को पिछले 18 सालों से पूरी सशक्तता और ईमानदारी से निभा रहा है। प्रभासाक्षी के लेख और खबरें पूरी निष्पक्षता के साथ लिखी जा रही हैं। प्रभासाक्षी के लेख और खबरें देश के युवा वर्ग को काफी प्रभावित कर रही हैं।

प्रभासाक्षी हमेशा से नवोदित लेखकों के लिए एक मंच उपलब्ध कराता रहा है जिससे कि नए लेखक युवा सोच को ध्यान में रखकर लोगों तक अपने विचार पहुंचा रहे हैं। प्रभासाक्षी हमेशा से नए युवा लेखकों को प्रोत्साहन देता रहा है। प्रभासाक्षी का हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में एक अहम् योगदान है। और प्रभासाक्षी लगातार कई सालों से हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। यह बहुत बड़ी बात है। प्रभासाक्षी हर क्षेत्र से सम्बंधित लेख प्रकाशित कर पाठकों को हर क्षेत्र से जुडी हुई ताजा जानकारियों से अवगत कराता रहता है, यह चीज ही प्रभासाक्षी को युवाओं से जोड़ने में अहम् भूमिका निभा रही है। प्रभासाक्षी युवाओं को ध्यान में रखकर लोगों को जानकारियां दे रहा है। प्रभासाक्षी की सामग्री में कहीं से भी कोई अश्लीलता या साम्प्रदायिक सोच नहीं झलकती है। प्रभासाक्षी चाहे राष्ट्रीय खबर हो चाहें अंतर्राष्ट्रीय खबर हो या उधोग जगत, खेल जगत या मनोरंजन जगत हो या अन्य क्षेत्रों की ख़बरों को बहुत ही अच्छे ढंग से व्यवस्थित रूप से लोगों तक पहुंचा रहा है। इसके साथ ही प्रभासाक्षी राष्ट्रभक्ति से जुड़े हुए मुद्दों को भी बड़ी प्रखरता से लोगों के सामने पेश करता है, यह बहुत बड़ी बात है। आज के समय में मीडिया जगत में पूँजीवाद का बहुत बोलबाला है लेकिन पूँजीवाद के इस दौर में भी प्रभासाक्षी पूँजीवाद से कोसों कोस दूर है और पत्रकारिता के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ रहा है। आज प्रभासाक्षी महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण से जुड़े हुए मुद्दे भी प्रखरता के साथ उठा रहा है। प्रभासाक्षी के लेखकों क़ी बहुआयामी सोच और नवोन्मेष दृष्टिकोण सकारात्मक रूप से हिंदी और भारतीय संस्कृति के संरक्षण में अपना प्रमुख योगदान दे रहा है। 

प्रभासाक्षी की 18वीं वर्षगाँठ पर प्रभासाक्षी परिवार और पाठकों को हार्दिक बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि प्रभासाक्षी आने वाले समय में भी लोगों के दिलों में एक ख़ास जगह बनाएगा और पत्रकारिता के नए आयाम छूयेगा।    

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