Unlock 1 के 11वें दिन सरकार का बड़ा दावा- भारत में सामुदायिक स्तर पर संक्रमण नहीं

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उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कोरोना वायरस से संक्रमितों की मृत्यु होने पर उनके अंतिम संस्कार में कुछ स्थानों पर हो रहे विरोध पर चिंता जाहिर करते हुए बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से इस संबंध में समाधान निकालने को कहा है।

केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत निश्चित रूप से कोविड-19 प्रसार के ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण’’ के चरण में नहीं है। वहीं, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले और इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 357 मरीजों की मौत हुई और संक्रमण के 9,996 मामले सामने आये। कोरोना वायरस संक्रमण से किसी एक दिन में होने वाली मौत का यह सर्वाधिक आंकड़ा है। इसके साथ ही, देश में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 8,102 हो गई, जबकि संक्रमण के मामले बढ़ कर 2,86,579 हो गये हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने प्रेस वार्ता में कहा कि कोविड-19 के प्रसार पर भारत के प्रथम ‘सीरो-सर्वेक्षण’ में यह पाया गया है कि लॉकडाउन और निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने के उपाय संक्रमण की तीव्र वृद्धि रोकने में सफल रहे हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर अब भी खतरा है। भार्गव ने कहा कि सीरो-सर्वेक्षण के दो हिस्से हैं, प्रथम हिस्से में ‘सार्स-कोवी-2’ से संक्रमित सामान्य आबादी के हिस्से का अनुमान लगाया गया है। वहीं, दूसरे हिस्से में आबादी के उस हिस्से को रखा गया है, जो निरुद्ध क्षेत्रों या संक्रमण के अधिक मामलों वाले शहरों में सक्रमित हुए हैं। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का पहला हिस्सा पूरा हो गया है जबकि दूसरा जारी है। यह सर्वेक्षण आईसीएमआर ने राज्य स्वास्थ्य विभागों, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ समन्वय कर मार्च में शुरू किया था। भार्गव ने कहा कि अध्ययन में कुल 83 जिलों और 26,400 लोगों को शामिल किया गया। देश में 25 अप्रैल को कोविड-19 के सामने आये मामलों के आधार पर इन जिलों का चयन किया गया। मीडिया को साझा की गई जानकारी में कहा गया है कि 65 जिलों से आंकड़ों का संकलन कर लिया गया है। भार्गव ने कहा कि सीरो-सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वेक्षण किये गये जिलों में आबादी का 0.73 प्रतिशत सार्स-सीओवी-2 की चपेट में अतीत में आ चुका है। उन्होंने सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लॉकडाउन लागू किये जाने और संक्रमण वाले स्थानों को निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने के उपाय संक्रमण को कम रखे हुए हैं और ये उपाय इसे तेजी से फैलने से रोक रहे हैं।’’ भार्गव ने कहा कि हालांकि, इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर अब भी खतरा है और ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में (1.09 गुना) और शहरी झुग्गी बस्तियों में (1.89 गुना) खतरा अधिक है। इसमें पाया गया कि संक्रमण से होने वाली मौत की दर बहुत कम 0.08 प्रतिशत है और निरुद्ध क्षेत्रों में संक्रमण अलग-अलग दर के साथ अधिक है। हालांकि, सर्वेक्षण अभी जारी है। उन्होंने कहा कि दो गज की दूरी, मास्क के उपयोग, हाथ बार-बार साबुन से धोने जैसे उपायों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। भार्गव ने कहा कि शहरी झुग्गी बस्तियों में संक्रमण फैलने का अधिक खतरा है और स्थानीय लॉकडाउन की पाबंदियों को जारी रखने की जरूरत है, जैसा कि सरकार ने पहले सलाह दी थी।यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में संक्रमण सामुदायिक स्तर पर चला गया है, उन्होंने कहा, ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण शब्द के बारे में काफी चर्चा हुई है। मुझे लगता है कि यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी परिभाषा नहीं दी है। हमने यह प्रदर्शित किया है कि भारत एक विशाल देश है, लेकिन फिर भी संक्रमण की मौजूदगी काफी कम हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘छोटे जिलों में संक्रमण की मौजूदगी एक प्रतिशत से भी कम है। शहरी और निरुद्ध क्षेत्रों में यह कुछ अधिक है। लेकिन, भारत निश्चित रूप से सामुदायिक स्तर पर संक्रमण के चरण में नहीं है। मैं यह बात जोर देते हुए कहना चाहूंगा।’’ भार्गव ने कहा, ‘‘हमें जांच करना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये लोगों का पता लगाना, उन तक पहुंचना, उन्हें पृथक रखने और निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने का कार्य जारी रखना होगा। साथ ही, हमें इस सिलसिले में असावधानी नहीं बरतनी होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सावधानी बरतनी कम नहीं कर सकते हैं और उन्हें प्रभावी निगरानी तथा स्थानों को निरुद्ध करने की रणनीतियां जारी रखने की जरूरत है।’’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में लगातार सातवें दिन 9,500 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आये, जबकि पहली बार मृतक संख्या (किसी एक दिन में) 300 के आंकड़े को पार गई है। मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक 1,37,448 थी, जबकि 1,41,028 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं तथा एक मरीज दूसरी जगह चला गया। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस तरह करीब 49.21 प्रतिशत रोगी अब तक संक्रमण मुक्त हो चुके हैं।’’ एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘‘कोविड-19 के लक्षण वाले व्यक्ति या संदिग्ध रोगी को राज्य के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क में रहना चाहिए और परामर्श के अनुसार अस्पताल पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा, हमने राज्यों को हेल्पलाइन व्यवस्था कारगर करने और दिशा-निर्देश मुहैया करने का अनुरोध किया है।’’

साहसिक फैसलों और निवेश का समय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के लिए कोविड-19 संकट को अवसर में बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह साहसिक निर्णय लेने और निवेश का समय है। मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोलकाता में इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के 95वें सालाना पूर्ण अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विदेश से आयात किए जाने वाले सामानों का देश में ही उत्पादन करने और फिर उनका उनका निर्यात सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ''पिछले पांच-छह साल में देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य देश की नीति और व्यवहार में सर्वोपरि रहा है। कोविड-19 संकट ने हमें यह समझने का मौका दिया कि कैसे इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की गति को बढ़ाया जाए।’’ उन्होंने कहा कि यह साहसिक फैसले और साहसिक निवेश का समय है। अब हम संकुचित रुख नहीं अपना सकते। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था को निर्देशन और और नियंत्रण से मुक्त कर ‘खेलने’ का समय है, जिससे हम एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बना सकें। मोदी ने कहा कि हर किसी को भारत को सभी उत्पादों का निर्यातक बनाने के लिए काम करना चाहिए, जिनका अभी हमें मजबूरन आयात करना पड़ रहा है। छोटे कारोबारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम स्थानीय उत्पादों की खरीद करते हैं तो न केवल हम उनको वस्तुओं और सेवाओं, बल्कि उनके योगदान के लिए भी भुगतान करते हैं। मोदी ने कहा कि जन केंद्रित, जन आधारित और जलवायु अनुकूल विकास भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कामकाज का हिस्सा है। हाल में किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए किए गए निर्णयों ने देश की कृषि अर्थव्यवस्था को बरसों की गुलामी से मुक्त किया है। अब किसानों के पास देशभर में कहीं भी अपना उत्पाद बेचने की आजादी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ''भारत कोविड-19 संकट के साथ-साथ बाढ़, टिड्डी दल के हमले और भूकंप जैसी कई चुनौतियों से लड़ रहा है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हमें संकट को अवसर में बदलना होगा। जिन सामान का हमें आयात करना पड़ता है उनका देश में ही विनिर्माण सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे।’’ स्वामी विवेकानंद का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने (विवेकानंद) ने एक बार लिखा था कि भारतीयों को खुद के लिए उत्पादन करना चाहिए और अन्य देशों में बाजार तलाशना चाहिए। उनकी बहुत इच्छा थी कि देश चिकित्सा उपकरणों, विनिर्माण, रक्षा विनिर्माण, कोयला एवं खनिज, खाद्य तेल और अन्य कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बने। प्रधानमंत्री ने आपदा को अवसर में बदलने के देशवासियों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह महामारी देश के लिए ‘परिवर्तन लाने वाला’ बिंदु है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कई सुधारों को अमलीजामा पहनाया जा चुका है। सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की परिभाषा में बदलाव, कंपनी कानून के तहत विभिन्न प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाना, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता बनाना, कोयला एवं खनन क्षेत्र में अधिक प्रतिस्पर्धा लाना, कृषि उपज मंडी समिति और आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव जैसे कई सुधार हुए हैं। प्रधानमंत्री ने देश को एकल इस्तेमाल प्लास्टिक से मुक्त करने के अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पश्चिम बंगाल को फायदा होगा। उसके जूट उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मोदी ने बंगाल के विनिर्माण उद्योग को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि पहले जिन लोगों को बैंकिंग सेवाओं के दायरे से बाहर रखा जाता था, उन्हें अब बैंकिंग सेवाएं मिली हैं। जनधन और आधार जैसी योजनाओं ने करोड़ों जरूरतमंद लोगों तक अनिवार्य मदद पहुंचाने में मदद की है। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र को जैविक खेती के केंद्र के रूप में विकसित किए जाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार के स्थानीय उत्पादों के लिए ‘क्लस्टर’ आधारित रुख सभी के लिए एक अवसर है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बांस और जैविक उत्पादों के के लिए भी क्लस्टर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सिक्किम की तरह समूचा पूर्वोत्त क्षेत्र जैविक खेती का केंद्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में जैविक खेती एक बड़ा अभियान बन सकती है जो वैश्विक बाजारों में अपना दबदबा कायम कर सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग, दुनिया और मुनाफा एक-दूसरे से जुड़े हैं। तीन साथ-साथ रह सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले छह साल के दौरान एलईडी बल्ब की कीमतों में आई कमी का उदाहरण दिया। मोदी ने कहा कि इसके बढ़े इस्तेमाल से हर साल में बिजली के बिलों में करीब 19,000 करोड़ रुपये की कमी आई है। प्रधानमंत्री ने उद्योग से शोध एवं विकास में निवेश करने और बेहतर बैटरियों का विनिर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे सौर पैनल की स्टोरेज क्षमता बढ़ेगी जिससे ऊर्जा दक्षता बेहतर हो सकेगी। मोदी ने कहा कि स्व-सहायता समूह और एमएसएमई अपनी वस्तुएं और सेवाएं जीईएम पोर्टल के जरिये सीधे सरकार को बेचकर लाभ उठा सकते हैं।

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अस्पतालों के चक्कर

दिल्ली में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इस बीच अस्पतालों में भर्ती होने और जांच कराने तक के लिए मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं, जिसके चलते राजधानी के निवासी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सरकार जहां एक तरफ आसानी से उपचार मिलने और अस्पतालों में बिस्तरों की पर्याप्त संख्या होने का दावा कर रही है वहीं आंखों देखा हाल बता रहे मरीज कुछ और ही हालात बयान कर रहे हैं। महानगर के निवासियों का कहना है कि संक्रमण होने के खतरे और कोविड-19 की जटिल जांच प्रक्रिया से गुजरने के डर में कोई अंतर नहीं रह गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा था कि शहर में डेढ़ लाख बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी। इससे एक दिन पहले उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि जुलाई के अंत तक कोरोना वायरस मामलों की संख्या बढ़कर साढ़े पांच लाख हो जाएगी जो कि बृहस्पतिवार तक सामने आए 32,810 मामलों से कई गुना ज्यादा है। हालांकि, सरकार अस्पतालों में जरूरत से अधिक बिस्तर होने का दावा कर रही है लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया माध्यमों से सामने आती कोविड-19 की कहानियों में राष्ट्रीय राजधानी के उन निवासियों का दर्द और आक्रोश दिखाई दे रहा है जिन्हें अपने बीमार परिजनों के इलाज के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता अमरप्रीत कौर ने ट्विटर के जरिये अपने बीमार पिता के लिए सहायता मांगी थी लेकिन समय पर इलाज न मिलने से उनकी मौत होने के बाद अमरप्रीत ने ट्वीट किया, “वह नहीं रहे। सरकार विफल हुई।” कौर के पिता की जांच में एक जून को कोविड-19 की पुष्टि हुई थी लेकिन उन्हें घर पर पृथक-वास में रहने को कहा गया था। तबीयत बिगड़ने पर कौर के पिता को एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया लेकिन परिजनों के मुताबिक मरीज को भर्ती नहीं किया गया और गंगा राम अस्पताल ले जाने को कहा गया। कौर ने ट्वीट किया, “मेरे पिता को तेज बुखार है। हमें उन्हें अस्पताल ले जाना होगा। मैं एलएनजेपी दिल्ली के बाहर खड़ी हूं और वे उन्हें भीतर नहीं जाने दे रहे हैं। उन्हें कोरोना, तेज बुखार और सांस की बीमारी है। मदद के बिना वे नहीं बचेंगे। कृपया मदद करें।” एक घंटे बाद अस्पताल के बाहर कौर के पिता की मौत हो गई। एलएनजेपी अस्पताल ने लापरवाही के आरोपों का खंडन किया। कौर की कहानी यहीं समाप्त नहीं हुई। कौर अपने परिवार की भी कोरोना वायरस जांच कराना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने फिर ट्विटर का सहारा लिया। अमन पाठक इस मामले में सौभाग्यशाली रहे। उन्हें भी अपने बीमार पिता को भर्ती कराने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े और अंततः उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में सफलता मिली। पाठक के पिता अभी अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में हैं। पाठक ने बताया कि उनके 51 वर्षीय पिता को 24 मई को तेज बुखार आया जो कुछ दिनों के बाद उतर गया। पाठक ने कहा, “हालांकि, मेरे पिता की भूख समाप्त हो गई थी। हल्के लक्षणों को देखते हुए हमने सोचा कि घर पर ही उनका ध्यान रखा जाएगा। लेकिन तीन जून से उन्हें सांस की तकलीफ भी शुरू हो गई। मैं उन्हें निजी और सरकारी समेत कई अस्पतालों में लेकर गया लेकिन ज्यादातर अस्पतालों ने भर्ती नहीं किया।” उन्होंने कहा कि चार जून को वे अपने पिता की जांच करवाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अंबेडकर अस्पताल लेकर गए जहां अगले दिन हुई जांच में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई। इसके बाद पाठक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल चक्कर लगाते रहे लेकिन कहीं बिस्तर खाली नहीं मिला। पाठक के मुताबिक दिल्ली सरकार के ऐप पर वास्तविकता के विपरीत कुछ और ही जानकारी दिखती थी। उन्होंने कहा, “मेरे पिता चल भी नहीं पा रहे थे। मैं उन्हें उसी स्थिति में अस्पताल ले जा रहा था लेकिन कोई अस्पताल भर्ती करने को राजी नहीं था।” आखिरकार छह जून को पाठक के पिता को अंबेडकर अस्पताल में जगह मिली और वहां से उन्हें एलएनजेपी ले जाया गया। दिल्ली के एक अन्य निवासी के पिता को बुखार आने के पांच दिन बाद 29 मई को उस व्यक्ति में भी कोरोना वायरस के लक्षण दिखने लगे। अस्पताल और उपचार के बिना नौ दिन बाद उस व्यक्ति की भोपाल में मौत हो गई। पहले वह व्यक्ति एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में गया जहां उसे पैरासीटामोल देकर घर भेज दिया गया। व्यक्ति जांच कराने के लिए गुरु तेग बहादुर अस्पताल भी गया। अगले एक सप्ताह में व्यक्ति पांच अस्पताल गया लेकिन उसे कहीं जगह नहीं मिली। कोई विकल्प न देखते हुए वह भोपाल अपने बेटे के पास चला गया। तेज बुखार होने के बावजूद वह व्यक्ति ट्रेन से भोपाल चला गया और किसी को पता भी नहीं चला। सात जून को व्यक्ति की मौत हो गई। दिल्ली में उसकी 15 साल की बेटी में भी कोविड-19 की पुष्टि हुई और इस सदमे से उक्त व्यक्ति की पत्नी को दमे का दौरा आ गया। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था की आलोचना करते हुए संवाददाताओं से कहा, “जब इन स्वास्थ्य केंद्रों की परीक्षा की घड़ी आई तब दिल्ली में पांच दिन तक एक व्यक्ति भटकता रहा और उसे उपचार नहीं मिला और उसकी मौत हो गई।” दिल्ली के निवासियों की ऐसी अनेक कहानियां हैं। बहुत से लोगों की शिकायत है कि दिल्ली सरकार के ऐप पर दिखने वाले अस्पताल, वेंटिलेटर और बिस्तरों की जानकारी असलियत के एकदम विपरीत है। लोगों का कहना है कि कई बार हेल्पलाइन पर कॉल करने पर भी जवाब नहीं मिलता।

पर्याप्त सुविधाओं का निर्माण किया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने थोड़े समय में कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है। ठाकरे पुणे में हिंजावाडी आईटी पार्क में विप्रो लिमिटेड द्वारा विकसित एक कोविड-19 देखभाल केंद्र के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा, ‘‘कोविड-19 के प्रकोप के शुरुआती चरण के दौरान राज्य में स्वास्थ्य देखभाल का बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं था। लेकिन अब हम पर्याप्त संख्या में सुविधाएं विकसित करने में सफल रहे हैं।’’ स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि इस अत्याधुनिक सुविधा केंद्र से लोगों को फायदा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार राज्य के ग्रामीण इलाकों में भी इसी तरह की सुविधाएं बढ़ाने पर धनराशि खर्च करेगी।’’ विप्रो के अध्यक्ष रिशद प्रेमजी ने कहा, ‘‘हमने मानवीय आधार पर इस स्वास्थ्य सुविधा को विकसित करने में रुचि दिखाई और सरकार ने हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक जवाब दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम देशभर में जरूरतमंदों को भोजन और दवा उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं।’’ राज्य सरकार ने कोरोना वायरस मरीजों को एक वर्ष के लिए उपचार प्रदान करने के लिए कंपनी के साथ एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस महीने भी सबरीमला मंदिर में प्रवेश नहीं

केरल के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर सबरीमला में श्रद्धालु इस महीने भी पूजा अर्चना नहीं कर पाएंगे। कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए मंदिर के शीर्ष पुजारियों द्वारा मंदिर में जनमानस के प्रवेश की अनुमति का विरोध करने पर बृहस्पतिवार को केरल सरकार ने यह फैसला सुनाया। मंदिर 14 जून को अपनी पांच दिवसीय मासिक पूजा के लिए खोला जाने वाला था। पुजारी और अन्य कई लोगों के साथा बैठक करने के बाद निर्णय की घोषणा करते हुए देवस्वम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने यह भी बताया कि सबरीमला में 19 जून से आयोजित होने वाले 10 दिवसीय उत्सव को दूसरी बार स्थगित कर दिया गया है। यह इस साल मार्च में आयोजित किया जाना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। लगभग 75 दिन के लॉकडाउन के बाद सरकार ने पिछले हफ्ते मंगलवार से सभी धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी थी।

सीमित उपयोग पर विचार

जल्द ही जारी होने वाले संशोधित क्लीनिकल प्रबंधन दिशानिर्देशों के मुताबिक कोविड-19 से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों पर ‘‘आपात स्थिति एवं सहानुभूति के अधार पर’’ एंटी-वायरल दवा ‘रेमडेसीवीर’ और ‘टोसीलीजुमैब’ के सीमित उपयोग पर विचार किया जा रहा है। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बहुचर्चित मलेरिया रोधी दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ का उपयोग जारी रखा जाएगा, जबकि ‘एजीथ्रोमायसीन’ को उपचार प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि 31 मई को जारी क्लीनिकल प्रबंधन दिशानिर्देश में गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रखे जाने की जरूरत वाले कोविड-19 रोगियों पर एजीथ्रोमायसीन के साथ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग का सुझाव दिया गया था। एक सूत्र ने कहा, ‘‘चूंकि कोविड-19 एक नया रोग है और इसके लिये अभी तक कोई दवा या टीका नहीं है, ऐसे में उपचार प्रक्रिया की उभरती स्थितियों के आधार पर समय-समय पर समीक्षा की जा रही है।'’ सूत्र ने कहा कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने वाली दवा टोसीलीजुमैब का उपयोग प्रयोगिक आधार पर किया जाएगा। साक्ष्य के आधार पर कुछ और दवाइयां ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ के साथ में उपयोग की जा सकती है, लेकिन इस बारे में अभी कोई आम सहमति नहीं बनी है। कोविड-19 पर राष्ट्रीय कार्य बल के विशेषज्ञ कोविड-19 के लिये नये क्लीनिकल प्रबंधन दिशानिर्देश को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसने रविवार को अपनी बैठक की थी। भारत के औषधि नियामक ने पिछले सप्ताह अमेरिकी औषधि कंपनी गिलीड साइंसेज को अपनी दवा रेमडेसीवीर को देश में अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों पर ‘आपात स्थिति में सीमित उपयोग’ के लिये विपणन अधिकार प्रदान कर दिये। आपात स्थिति और कोरोना वायरस महामारी के फैलने को लेकर दवाइयों की अत्यधिक जरूरत को ध्यान में रखते हुए रेमडेसीवीर की मंजूरी प्रक्रिया तेज की गई। एक सूत्र ने कहा, ‘‘इंजेक्शन के रूप में रोगी को दी जाने वाली इस दवा को सिर्फ अस्पताल या संस्थागत स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में उपयोग के लिये विशेषज्ञों की सलाह पर खुदरा बिक्री की मंजूरी दी गई है।’’ भारत अभी यह रेमडेसीवीर नहीं बनाता है। चार कंपनियों- हेटेरो, जुबलिएंट साइंसेज, सिप्ला और मायलन एन वी, के साथ गिलीड साइंसेज इंक ने गैर-विशेष लाइसेंसिंग समझौता किया है। हालांकि, इसे अभी भारतीय औषधि महानित्रंक (डीसीजीआई) से अनुमति नहीं मिली है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने अस्पताल में भर्ती एवं गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिये रेमडेसीवीर के आपात स्थिति उपयोग की इजाजत दी है।

असमानता बढ़ सकती है

कोरोना वायरस संकट का तात्कालिक गंभीर प्रभाव रोजगार बेरोजगारी है पर दीर्घकाल में इससे आर्थिक वृद्धि में गिरावट और समानता में वृद्धि का खतारा है। इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स (आईएसएलई) के एक सर्वे में यह कहा गया है। आईएसएलई के 520 सदस्यों के बीच मई के अंतिम सप्ताह में ऑनलाइन सर्वे के आधार पर उक्त निष्कर्ष निकाला गया। सर्वे के अनुसार प्रारंभिक परिणाम बताते हैं कि संकट का सर्वाधिक गंभीर प्रभाव जो तुरंत महसूस किया गया, वह है लोगों की नौकरियां जाना। वहीं आर्थिक वृद्धि में कमी और असमानता में बढ़ोतरी संभवत: दीर्घकालीन प्रभाव है। इसमें सुझाव देते हुए कहा गया है कि सरकार की तत्काल नीतिगत प्राथमिकता कर्मचारियों और उनके परिजनों का संरक्षण, छोटी अवधि के लिये रोजगार सृजन तथा प्रभावित कामगारों के खातों में आय का अंतरण होनी चाहिए। अल्पकालीन नीतिगत जरूरत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मणेले उद्यमों) की मदद, रोजगजार सृजन, नकद अंतरण और सामाजिक सुरक्षा होनी चाहिए जबकि दीर्घकालीन उपायों में एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था तैयार करना, सामाजिक सुरक्षा के दायरे में सभी को लाना तथा प्रवासी मजदूरों के कल्याण एवं अधिकारों के लिये नीतियों का क्रियान्वयन है। भारत में श्रम और रोजगार पर कोविड-19 संकट का असर: प्रभाव, रणनीति और दृष्टिकोण विषय पर 8-9 जून को इंटरनेट के जरिये आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सर्व पर चर्चा की गयी। सम्मेलन का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी), अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और आईएसएलई ने किये। सम्मेलन के दौरान आईएचडी के निदेशक एएन शर्मा ने कहा, ‘‘अन्य देशों से जो सीख मिली है, वह बताती है कि कोविड-19 के कारण भारत में जिन लोगों की आजीविका और रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उसके प्रभावी समाधान के लिये नकद अंतरण और छोटे उद्यमों को वेतन सब्सिडी समेत श्रम बाजार से जुड़ी नीतियां अपनायी जा सकती है।’’ आईएलओ के निदेशक डी वाल्टर ने कहा कि सभी के लिये काम को प्राथमिकता दिये जाने और बेहतर परिणाम के लिये खामियों को दूर करने की जरूरत है। सम्मेलन में कहा गया है कि कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में करीब 25 प्रतिशत की गिरावट आएगी जबकि औद्योगिक क्षेत्र (खासकर एमएसएमई) काफी प्रभावित हुए हैं और इनमें 54 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। रोजगार जाने के बारे में अनुमान में कहा गया है कि शहरी क्षेत्र में 80 प्रतिशत नौकरियां प्रभावित हुई हैं। इनमें से ज्यादातर स्व-रोजगार वाले थे। वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में 54 प्रतिशत नौकरियां प्रभावित हुईं। इनमें से ज्यादातर ठेके पर काम करने वाले थे।

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बिहार में मामलों की संख्या 5807 हुई

बिहार में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 214 नए मामले सामने आने के बाद मामलों की संख्या बृहस्पतिवार को बढ़कर 5807 हो गयी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी। विभाग के अनुसार बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक प्रकाश में आए 5807 मामलों में से पटना के 294, बेगूसराय के 285, भागलपुर के 289, खगडिया के 280, रोहतास के 264, मधुबनी के 260, मुंगेर के 229, पूर्णिया में 206, कटिहार के 196, जहानाबाद के 182, नवादा के 174, सुपौल के 169, सिवान के 184, बांका के 150, गोपालगंज के 146, बक्सर के 147, नालंदा के 138, समस्तीपुर के 141, पूर्वी चंपारण के 136, दरभंगा के 136, मुजफ्फरपुर के 131, सारण के 135, भोजपुर के 138, गया के 127, मधेपुरा के 140, कैमूर के 127, शेखपुरा के 120, किशनगंज के 116, वैशाली के 104, औरंगाबाद के 97, सहरसा के 96, पश्चिम चंपारण के 88, सीतामढी के 87, अररिया के 84, लखीसराय के 67, अरवल के 66, जमुई के 50 तथा शिवहर जिले के 28 मामले शामिल हैं। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें से बेगूसराय एवं खगडिया के 03—03, भोजपुर दरभंगा, पटना, सीतामढी, सिवान, वैशाली एवं सारण में दो—दो तथा अररिया, औरंगाबाद, भागलपुर, जमुई, जहानाबाद, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पूर्वी चंपारण, रोहतास, समस्तीपुर एवं शिवहर जिले के एक—एक मरीज शामिल हैं। राज्य में अब तक 1,13,225 नमूनों की जांच की जा चुकी है और 3086 मरीज ठीक हुए हैं।

तेलंगाना ने रेलवे से 10 डिब्बे मांगे

रेलवे द्वारा तैयार किये गए पृथक डिब्बे लगभग दो महीने से ऐसे ही पड़े हुए थे लेकिन अब उनकी मांग की गई है। तेलंगाना ने ऐसे 60 डिब्बे और दिल्ली ने ऐसे 10 डिब्बे मांगे हैं। रेलवे के इन डिब्बों का इस्तेमाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, पृथक-वास सुविधा के तौर पर ऐसे मरीजों को रखने के लिए किया जा सकता है जिन्हें बहुत कम लक्षण हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग द्वारा तैयार की गई एकीकृत कोरोना वायरस योजना के तहत इन डिब्बों का इस्तेमाल ऐसे क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां राज्य की सभी इकाइयां भर गई हों और उसे संदिग्ध या संक्रमित मरीजों को रखने के लिए पृथक-वास सुविधा की जरूरत हो। रेलवे ने कहा, ‘‘तेलंगाना में सिकंदराबाद, काचीगुडा और अदिलाबाद के लिए 60 डिब्बे मांगे गए हैं। 10 डिब्बे दिल्ली में मांगे गए हैं।’’ भारतीय रेलवे ने 5,231 रेल डिब्बों को कोरोना वायरस देखभाल केंद्र के तौर पर रूपांतरित किया है। ये सभी डिब्बे गैर वातानुकूलित हैं।

दिल्ली में जामा मस्जिद बंद

राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद शाह बुखारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 मामलों में वृद्धि के चलते दिल्ली शहर में उत्पन्न ‘‘गंभीर’’ स्थिति के मद्देनजर जामा मस्जिद तत्काल प्रभाव से 30 जून तक के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे अद्यतन किये गए आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कोविड-19 के मामले बढ़कर 32,810 हो गए जबकि मृतक संख्या बढ़कर 984 हो गई। बुखारी ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय लोगों और इस्लामी विद्वानों से सलाह मशविरा करने के बाद किया है। यह कदम शाही इमाम के सचिव अमानुल्ला की मंगलवार रात को सफदरजंग अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण मौत होने के बाद उठाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब मानव जीवन खतरे में हो तब लोगों के जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अधिकतर लोगों की राय है कि मानव जीवन बचाना सर्वोपरि है और शरीयत में इसके लिए विशेष उल्लेख है।’’ बुखारी ने कहा कि जनता की राय लेने और विद्वानों से मशविरा करने के बाद यह निर्णय किया गया है कि बृहस्पतिवार मग़रिब (शाम) से 30 जून तक जामा मस्जिद में कोई सामूहिक नमाज नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ चुनिंदा लोग प्रतिदिन पांच समय नमाज अदा करेंगे जबकि आम नमाजी अपने घर पर ही नमाज अदा करेंगे।’’ सरकार के ‘अनलॉक-1’ के तहत रियायतें दिए जाने के साथ ही दो महीने से अधिक समय बाद आठ जून को जामा मस्जिद को खोला गया था। देश भर में आठ जून को शॉपिंग मॉल और कार्यालय समेत कई अन्य प्रतिष्ठानों के साथ धार्मिक स्थल खोलने पर बुखारी ने कोरोना वायरस के तेजी से प्रसार के मद्देनजर सरकारों से अपने फैसले पर पुन: विचार करने के लिए कहा है। नवीनतम आधिकारिक आंकडों के अनुसार दिल्ली में कोरोना वायरस के कुल मामले 32 हजार से अधिक हैं जिसमें 984 मौत शामिल है। शहर में ऐसे मरीजों की संख्या 19 हजार से अधिक है जिनका इलाज चल रहा है।

केरल मे कोविड-19 के 83 नये मामले

केरल में कोरोना वायरस के संक्रमण के 83 नये मामले सामने आने के साथ ही इस महामारी से संक्रमित लोगों का कुल आंकड़ा बढ़ कर 2,224 पहुंच गया है। वहीं, एक और व्यक्ति की कोविड-19 से मौत होने की पुष्टि होने के बाद इस वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 18 हो गई। इसके अलावा बृहस्पतिवार को 62 मरीज संक्रमण से ठीक हो गए। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया कि नए मामलों से 31 लोग विदेशों से, 20 महाराष्ट्र से और सात दिल्ली से आए हैं। उन्होंने बताया कि 14 लोगों को संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से संक्रमण हुआ है। त्रिशूर में सर्वाधिक 25 मामले सामने आए हैं। पलक्कड़ में 13, मलप्पुरम और कासरगोड में 10-10, कोल्लम में आठ, कन्नूर में सात, पठनमथिट्टा में पांच, एर्नाकुलम और कोट्टायम में दो-दो और कोझिकोड में एक मामला सामने आया है। पल्लकड़ में दो स्थानों को जोड़ कर राज्य में अब कुल 133 हॉटस्पॉट हैं।

धारावी में कोविड-19 के 20 नये मामले

मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी में कोविड-19 के 20 नये मामने सामने आये जिससे बृहस्पतिवार को यहां कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,984 हो गई। यह जानकारी बीएमसी के एक अधिकारी ने दी। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के एक अधिकारी ने कहा कि झुग्गी बस्ती में कोविड-19 से कुछ समय पहले हुई दो लोगों की मौत की जानकारी मिलने के बाद कोरोना वायरस से हुई मौतों की संख्या 73 से बढ़ कर 75 हो गयी। उन्होंने कहा कि धारावी में फिलहाल 914 मरीजों का इलाज हो रहा है जबकि 995 मरीज संक्रमण से उबर चुके हैं।

असम में कोविड-19 के 34 नये मामले

असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के कम से कम 34 और मामले सामने आए, जिससे राज्य में संक्रमित लोगों की संख्या 3,319 पहुंच गई। उन्होंने बताया कि 34 नए मामलों में से 15 नौगांव से, छह गोलाघाट से, तीन-तीन बारपेटा, बक्सा और सोनितपुर से और एक-एक मामला चिरांग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग, डिब्रूगढ़ और लखीमपुर से आए हैं। मंत्री ने बताया कि इस सप्ताह राज्य में बीमारी के कारण दो लोगों की मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर छह हो गई। हाल ही में मुंबई से लौटे 67 वर्षीय एक कैंसर रोगी की बुधवार को तेजपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कोविड-19 के कारण मौत हो गई, जबकि चेन्नई से लौटे एक अन्य व्यक्ति की सोमवार को बीमारी से मौत हो गई। कुल 3,319 मामलों में से, 2,061 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1,249 लोग ठीक हो चुके हैं। छह की मृत्यु हो गई है और तीन राज्य से बाहर चले गए हैं। बुधवार को 152 और मरीजों को स्वास्थ्य लाभ के बाद अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई, जबकि मंगलवार को सर्वाधिक 313 मरीजों को ठीक होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी गई थी। गौरतलब है कि प्रवासियों के लौटने के बाद असम में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं।

मनरेगा का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना

रेलवे की योजना लेवल क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों के लिए संपर्क मार्ग के निर्माण मरम्मत के लिए मनरेगा का इस्तेमाल बढ़ाने की है। इससे कोरोना वायरस महामारी की वजह से अपनी घरों-गांवों को लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के रोजगार संकट को दूर करने में मदद मिलेगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक उच्चस्तरीय बैठक में इस बारे में विचार विमर्श किया है। उन्होंने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों (जोन) को सरकार के इस ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य आवंटन बढ़ाने तथा श्रमिकों को इस योजना के तहत रोजगार देने के तरीके ढूंढने को कहा है। सभी क्षेत्रों को कहा गया है कि वे उन श्रमिकों की सूची तैयार करें जिन्हें इसके तहत विभिन्न तरह के कार्यों में लगाया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने कई जिलों मसलन बिहार के कटिहार, आंध्र प्रदेश के वारंगल, राजस्थान के उदयपुर, तमिलनाडु के मदुरै, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के मालदा में इस योजना का इस्तेमाल किया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में उसने ज्यादातर निजी क्षेत्र के कुशल श्रमिकों की सेवाएं ली हैं। रेलवे के प्रवक्ता डीजे नारायण ने कहा, ''हम अपने गांवों को लौट चुके प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत रोजगार की संभावना तलाश रहे हैं। इससे सभी को फादा होगा।’’ सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल मई में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत रिकॉर्ड संख्या में 3.44 करोड़ परिवारों के 4.89 करोड़ लोगों ने काम मांगा है। अधिक से अधिक संख्या में प्रवासी श्रमिकों के अपने घर लौटने से मांग और आपूर्ति का अंतर और बढ़ता जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर मजदूर अकुशल हैं। इसलिए उन्हें लेवल क्रॉसिंग के संपर्क मार्ग के निर्माण-मरम्मत, ट्रैक के पास ड्रेन, जलमार्गों की सफाई, रेलवे स्टेशनों के संपर्क मार्गो। के निर्माण और रखरखाव, झाड़ियों आदि को हटाने और रेलवे की जमीन पर पेड़-पौधे लगाने जैसे कार्यों में लगाया जा सकता है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेलवे में मनरेगा के तहत अधिक कामकाज नहीं होता है। क्योंकि रेलवे का ज्यादा कार्य गांवों से दूर होता है। यह मुख्य रूप से शहरों में केंद्रित है। गांवों के आसपास रेलवे ट्रैक नहीं है। ऐसे पुल नहीं हैं जहां इन लोगों से काम लिया जा सके।अधिकारी ने कहा कि इनमें से ज्यादातर अकुशल श्रमिक हैं। सुरक्षा कारणों से रेलवे में इनके लिए ज्यादा काम नहीं है। हालांकि, इस अनिश्चित समय में हम चाहते हैं कि उनको अधिक से अधिक रोजगार दिया जा सके।

कोविड-19 के मरीजों की भर्ती की, मिला नोटिस

कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने की अनुमति नहीं होने के बावजूद संक्रमित दो लोगों को भर्ती करने के कारण गांधीनगर में एक निजी अस्पताल के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है। जिलाधिकारी कुलदीप आर्य ने बताया कि दोनों मरीजों को अब गांधीनगर सरकारी अस्पताल भेज दिया गया है। मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी एमएच सोलंकी ने बुधवार को गांधीनगर के देहगाम में स्थित श्रीजी अस्पताल को नोटिस जारी किया था। नोटिस के तहत अस्पताल को दो दिन के भीतर बताने को कहा गया है कि उसने दोनों संक्रमित मरीजों को क्यों भर्ती किया जबकि उसे यह तथ्य पता है कि अस्पताल को कोविड-19 के इलाज के लिए समर्पित नहीं किया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि कई बार ऐसा हुआ है निजी अस्पतालों में किसी अन्य बीमारी का उपचार कराने के लिए भर्ती हुए सामान्य मरीज बाद में संक्रमित पाए गए। आर्य ने कहा, ‘‘हम अस्पताल के जवाब का इंतजार कर रहे हैं कि क्या ये मरीज बाद में संक्रमित हुए या अस्पताल ने जानबूझकर उन्हें यह दावा करते हुए भर्ती किया कि उन्हें संक्रमित व्यक्ति का उपचार करने की अनुमति है।’’

रेल भवन में दो और कर्मचारी संक्रमित

रेल भवन में बृहस्पतिवार को रेलवे के दो और कर्मियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुयी है। रेल भवन में अब तक 18 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह भवन भारतीय रेल का मुख्यालय है।दो दिन पहले ही रेल भवन में दो कर्मी इस वायरस से संक्रमित पाए गए थे। उसके बाद दो और कर्मियों के संक्रमित होने की पुष्टि हुयी। दोनों प्रमुख विभागों में सेक्शन अधिकारी हैं। पहला कर्मी आखिरी बार एक जून को कार्यालय आया था। उनके संपर्क में आने वाले 13 कर्मियों को 15 जून तक घर में पृथक-वास में रहने को कहा गया है। दूसरा कर्मी अंतिम बार 20 मई को कार्यालय आया था। इससे पहले उप-निदेशक स्तर के एक अधिकारी के भी इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुयी थी। अधिकारियों ने बताया कि वह आखिरी बार 20 मई को कार्यालय आए थे। रेलवे बोर्ड ने कहा है कि उप-निदेशक स्तर के अधिकारी के संपर्क में आने वाले सभी अधिकारी सावधानी बरत सकते हैं और लक्षणों पर नजर रख सकते हैं। तीन जून को अधिकारी का 14 दिनों का पृथक-वास पूरा हो गया है।

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नतीजों में दिख रहा अंतर

वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया है कि वर्तमान में कोविड-19 की जांच के लिए किए जा रहे 27 प्रकार के परीक्षण के नतीजों में असमानता कोरोना वायरस के अपने जीन के स्वरूप को बदलने (म्यूटेट) के कारण दिख रही है। उन्होंने जांच के तरीकों के प्रभाव का पुनर्मूल्यांकन करने के प्रति सचेत किया है। रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार जांच के बहुत से तरीके विषाणु के फैलने के आरंभिक चरण में विकसित किए गए थे जब कोरोना वायरस की पहली बार पहचान की गई थी और उसके जीन अनुक्रम का पता लगाया गया था। कनाडा स्थित यॉर्क विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 के जांच के तरीकों का एक निश्चित समय के बाद पुनर्मूल्यांकन करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनसे संतोषजनक नतीजे मिल रहे हैं। अध्ययन करने वालों में से एक काशिफ अजीज खान ने कहा, “कोविड-19 की जांच करने के लिए मरीज में विषाणु का पता लगाने के वास्ते पीसीआर पद्धति का इस्तेमाल होता है। लेकिन यदि विषाणु अपने जीन में परिवर्तन कर लेगा तो जांच के नतीजों में अंतर दिखेगा। यह चिंता का विषय है क्योंकि ऐसा हो सकता है कि जांच पद्धति विषाणु के हर स्वरूप का पता लगा सकने में अक्षम हो और इस वजह से जांच नतीजों में अंतर दिखाई पड़ सकता है।” अनुसंधानकर्ताओं ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि जांच पद्धति और कोरोना वायरस के जीन में अंतर को पता लगाकर यदि सही कर लिया जाता है तो इससे जांच की सटीकता में सुधार हो सकता है।

चीन में कोविड-19 के 16 नए मामले

चीन में कोरोना वायरस संक्रमण के 16 नए मामले सामने आए हैं। इनमें से एक संक्रमित व्यक्ति बीजिंग से है, जहां 56 दिन के बाद कोई नया मामला सामने आया है। चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली ने स्थानीय निगम सरकार का हवाला देते हुए बताया कि बीजिंग के शीचेंग जिले में कोविड-19 के स्थानीय मामले की पुष्टि हुई। पिछले 56 दिनों में राजधानी में कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया था। चीन ने विभिन्न शहरों से आने वाले स्थानीय लोगों और विदेशों से आने वाले लोगों के लिए कड़े पृथकवास नियम लागू कर रखे हैं। बीजिंग में पांच जून को कोविड-19 संबंधी नियमों को कुछ लचीला किया गया और राजधानी में स्थिति कुछ सामान्य हुई। बीजिंग की नगर निगम सरकार ने तब नियमों में रियायत देते हुए कहा था कि अब मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। हालांकि लोगों ने तब भी मास्क पहनना जारी रखा। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के अनुसार, देश में बाहर से लौटने वाले 11 लोग बुधवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। इनमें से छह व्यक्ति शंघाई, तीन ग्वांगदोंग और एक-एक तियानजिन और फुजियान से हैं। एनएचसी की ओर से जारी नियमित जानकारी के मुताबिक, चीन के मुख्य भूभाग में स्थानीय संपर्क से संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। एनएचसी ने बताया कि बुधवार को संक्रमण के लक्षण नहीं दिखने वाले चार नए मामले भी सामने आए। संक्रमण के लक्षण नहीं दिखने वाले, 129 लोगों को पृथक रखा गया है। इसमें से 42 लोग वायरस का केंद्र माने जाने वाले वुहान से हैं। संक्रमण के लक्षण नहीं दिखने वाले मामले वह होते हैं जिसमें व्यक्ति में बुखार, गले में परेशानी, खांसी जैसे लक्षण नहीं दिखते हैं लेकिन उनसे दूसरे व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा रहता है।

-नीरज कुमार दुबे

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