देश में भीषण गर्मी से लोग बेहाल! तापमान हो गया 50 डिग्री पार तो क्या होगा मानव शरीर का?

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दिल्ली और भारत के कई अन्य हिस्सों में रविवार को तापमान 49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। वहीं, हरियाणा के गुरुग्राम में अधिकतम तापमान 48.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 10 मई 1966 के 49 डिग्री सेल्सियस तापमान के बाद से सर्वाधिक है। मौजूदा गर्मी की स्थिति मौसम विशेषज्ञों को आश्चर्य हो रहा है कि यदि तापमान 50 डिग्री सेल्सियस हो गया तो क्या होगा?

हर बढ़ते दिन के साथ गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। दिल्ली और भारत के कई अन्य हिस्सों में रविवार को तापमान 49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। वहीं, हरियाणा के गुरुग्राम में अधिकतम तापमान 48.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 10 मई 1966 के 49 डिग्री सेल्सियस तापमान के बाद से सर्वाधिक है। मौजूदा गर्मी की स्थिति मौसम विशेषज्ञों को आश्चर्य हो रहा है कि यदि तापमान 50 डिग्री सेल्सियस हो गया तो क्या होगा? क्या मानव शरीर इसका सामना करने में सक्षम होगा?

बढ़ते तापमान के लिए  वैश्विक कार्बन उत्सर्जन जिम्मेदार 

बढ़ते तापमान के लिए वैज्ञानिकों ने बार-बार बड़े पैमाने पर वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को जिम्मेदार ठहराया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे निरंतर उत्सर्जन के कारण ये अत्यधिक गर्मी की घटनाएं न केवल अधिक गंभीर और अधिक लगातार हो जाएंगी। अमेरिका में रटगर्स यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, अगर ग्लोबल वार्मिंग का मौजूदा स्तर जारी रहता है, तो 2100 तक दुनिया भर में 1.2 बिलियन लोग 'हीट स्ट्रेस' की स्थिति का सामना कर सकते हैं। बढ़ते तापमान और अनिश्चित गर्मी के कारण वनस्पति और फसलों को नुकसान होगा और वायु प्रदूषण में वृद्धि के कारण जंगल की आग आम हो जाएगी।

हीट स्ट्रेस कब होता है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मानव शरीर को एक निश्चित तापमान और मौसम की स्थिति में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हमारा शरीर भले ही मौसम की चरम स्थितियों से बच सकता है, लेकिन अत्यधिक तापमान से शरीर में तनाव पैदा हो सकता है। जब हमारा शरीर बेहद गर्मी में होता है तो वो अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है। यही कारण है कि अक्सर लोगों को गंभीर बुखार, पाचन और रक्तचाप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप कई बार मृत्यु भी हो सकती है। पारा अगर 40 डिग्री के पार हो जाए, तो शरीर के लिए मुश्किल पैदा हो ही जाती है। हीट स्ट्रेस के लक्षणों में सिरदर्द, उल्टी और शरीर में पानी की कमी जैसी शिकायतें होती हैं। यदि पारा 45 डिग्री हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर का कम होना आम शिकायतें हैं'।

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हीट स्ट्रोक का बढ़ता खतरा 

वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, मानव शरीर का सामान्य तापमान 98।4 डिग्री फारेनहाइट या 37.5 से 38.3 डिग्री सेल्सियस होता है। हमारा शरीर मुख्य रूप से पसीने के जरिए गर्मी को बाहर निकालने की कोशिश करता है। जितनी अधिक गर्मी और आर्द्रता बढ़ती है, शरीर को उतना ही अधिक पसीना आता है। इससे शरीर में डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, अत्यधिक गर्मी में शरीर खुद को ठंडा करने के लिए संघर्ष करना शुरू कर देता है। जिसके कारण ऐंठन, थकावट या यहां तक ​​कि हीट स्ट्रोक भी हो सकता है।  

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क्या होता है हीट स्ट्रोक?

हीट स्ट्रोक गर्मी के मौसम में होने वाली सबसे आम और गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में शरीर का तापमान 10 से 15 मिनट के अंदर 40.0 डिग्री सेल्सियस तक या इससे अधिक बढ़ जाता है जिसकी वजह से सिरदर्द, चक्कर आने जैसी कई समस्याएँ हो सकती हैं। हीट स्ट्रोक के उपचार में देरी की वजह से पीड़ित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

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