अजा एकादशी व्रत से भक्तों को होती है मोक्ष की प्राप्ति

Aja Ekadashi

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहा जाता है। अजा एकादशी व्रत करने वाले भक्तों से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और उनके सभी पापों को हर लेते हैं। साथ ही अजा एकादशी व्रत करने से अनंत सुख की प्राप्ति होती है तथा मोक्ष मिलता है।

आज अजा एकादशी है। यह एकादशी विष्णु भगवान को बहुत प्रिय है, इसलिए भक्त इस व्रत को बहुत श्रद्धा से करते हैं, तो आइए हम आपको इस व्रत की विधि तथा महत्व के बारे में बताते हैं।

जानें अजा एकादशी के बारे में 

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहा जाता है। अजा एकादशी व्रत करने वाले भक्तों से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और उनके सभी पापों को हर लेते हैं। साथ ही अजा एकादशी व्रत करने से अनंत सुख की प्राप्ति होती है तथा मोक्ष मिलता है। इसलिए सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाले इस व्रत को पूरे विधिवत करें।

इसे भी पढ़ें: भगवान श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन व अलौकिक लीलाएं

व्रत करने की विधि 

अजा एकादशी का व्रत दशमी तिथि से प्रारम्भ होता है। लेकिन व्रत का संकल्प एकादशी को लिया जाता है। इस दिन प्रातः जल्दी उठें तथा स्नान कर व्रत का संकल्प लें। उसके बाद घर का मंदिर साफ करें और पूजा प्रारम्भ करें। पूजा में सदैव विष्णु भगवान का प्रिय फल तथा फूल चढ़ाएं। यही नहीं व्रत का पारण भी शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाले इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए।

अजा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

अजा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा बहुत खास है। यह कथा राजा हरिश्चन्द्र से जुड़ी हुई है। राजा हरिश्चंद्र सत्यवादी थे तथा उन्होने अपने वचन का पालन करते हुए अपनी पत्नी तथा बच्चे को बेच दिया और खुद भी राजपाट त्याग कर सेवक की तरह जीवन व्यतीत करने लगे। तभी उन्हें गौतम ऋषि मिले उन्होंने राजा हरिश्चन्द्र को अजा एकादशी का व्रत करने को कहा। राजा हरिश्चन्द्र ने विधिपूर्वक यह व्रत किया तथा इस व्रत के प्रभाव से उन्हें उनका राज्य वापस मिल गया। 

अजा एकादशी में चावल से रहें दूर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अजा एकादशी का दिन बहुत खास होता है इसलिए इस दिन चावल न खाएं। पंडितों के अनुसार इस चावल खाने से अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म होता है। इसलिए जो लोग व्रत नहीं करते हैं वो चावल का सेवन न करें।

क्रोध से बनाएं दूरी

अजा एकादशी का दिन भगवान विष्णु की पूजा अवसर होता है इसलिए इस दिन सिर्फ भगवान विष्णु का गुणगान करना चाहिए। अतः भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी के दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए लड़ाई-झगड़े से दूर रहें।

इसे भी पढ़ें: भगवान कृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में ली थी शिक्षा, बलराम और सुदामा थे सखा

ब्रह्मचर्य का पालन तथा नारियों का करें सम्मान

अजा एकादशी के दिन बह्मचर्य का पालन करें और विष्णु जी पूजा करें। इन नियमों के पालन से विष्णु भक्त को विशेष आर्शीवाद देते हैं। साथ इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन कभी भी स्त्रियों का अपमान करें। नारियों को सम्मान नहीं देने से आपको पाप लग सकता है।

सदैव शाकाहार ग्रहण करें

अजा एकादशी के दिन खास होता है। इसलिए इस मांसाहार ग्रहण न करें। हमेशा हल्का तथा शाकाहारी भोजन ग्रहण करें। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, सत्य वचन बोलें

अजा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इससे विष्णु जी प्रसन्न होंगे। अगर आप किसी कारण से व्रत नहीं करतें तो झूठ न बोले, किसी का मन नहीं दुखाएं।

एकादशी व्रत में ध्यान रखने वाली बातें

एकादशी से पहले दशमी की रात से मसूर की दाल का सेवन बंद कर दें। साथ ही व्रत में चना करौंदा और पत्तेदार साग न खाएं। इसके अलावा एकादशी के दिन शहद खाने पर भी प्रतिबंध होता है।

- प्रज्ञा पाण्डेय

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़