अक्षय नवमी के दिन नदियों में स्नान का है खास महत्व

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पुराणों में वर्णन किया गया है कि अक्षय नवमी के दिन ही विष्णु भगवान ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था। साथ ही अक्षय नवमी के दिन ही श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी। आंवला नवमी के दिन लोग मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं तथा रात में जगराता भी कराते हैं।

आज अक्षय नवमी है। हिन्दू धर्म में अक्षय नवमी का खास महत्व है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे भोजन करने का खास महत्व होता है तो आइए हम आपको अक्षय नवमी के बारे में कुछ खास जानकारी देते हैं। 

जानें अक्षय नवमी के बारे में

कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाया जाता है। इस साल 5 नवंबर को अक्षय नवमी मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि महिलाएं आंवला के पेड़ की पूजा करती है और उसके नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति तथा उसकी रक्षा हेतु प्रार्थना करती हैं। साथ ही अक्षय नवमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का खास महत्व होता है। 

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अक्षय नवमी का महत्व 

पुराणों में वर्णन किया गया है कि अक्षय नवमी के दिन ही विष्णु भगवान ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था। साथ ही अक्षय नवमी के दिन ही श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी। आंवला नवमी के दिन लोग मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं तथा रात में जगराता भी कराते हैं।

अक्षय नवमी पर ऐसे करें पूजा

सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर नदी या पास के तालाब में स्नान कर साफ कपड़े पहनें। उसके बाद आवंले के पेड़ के चारो तरफ सफाई करनी चाहिए। इसके बाद आंवले के पेड़ पर जल अर्पित करें। फिर हल्दी-चावल, फूल और कुमकुम या सिंदूर से आंवला की पूजा करना चाहिए। शाम को आंवले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं तथा हवन भी करें। विधिपूर्वक पूजा करने आंवले के पेड़ की 7 बार परीक्रमा करनी चाहिए। जब परिक्रमा पूरी हो जाए तो लोगों को प्रसाद बांटना चाहिए। उसके बाद आवंले के पेड़ के नीचे भोजन करना चाहिए।

बीमारियों से लड़ने में मददगार है आंवला 

आंवला में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है जो विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में मददगार होता है इसलिए अक्षय नवमी के दिन आंवला जरूर खाएं। 

अक्षय नवमी से जुड़ी कथा 

प्राचीन काल में काशी नाम के नगर में एक वैश्य दम्पत्ति रहता था जो निःसंतान था। उसके धन-सम्पत्ति खूब थी लेकिन संतान नहीं होने के कारण दम्पत्ति बहुत दुखी रहते थे। एक दिन वैश्य की पत्नी को उसकी एक पड़ोसन ने कहा अगर किसी बच्चे की बलि दे तो उसको संतान प्राप्त होगी। इस पर उसके एक कन्या वह कुएं धकेल दिया। इसके बाद कन्या की मृत्यु हो गयी और वह उसकी आत्मी दम्पत्ति को सताने लगीं। वैश्य की पत्नी को कोढ़ भी हो गया। वैश्य को जब पता चला तो वह बहुत खुश हुआ और उसने अपनी पत्नी को कहा कि तुमने बहुत बड़ा अपराध किया है। तुम गंगा किनारे जाकर अपने पापों का पश्चाताप करो। वैश्य की पत्नी ने ऐसा ही किया। तब मां गंगा ने प्रसन्न होकर उससे कहा कि अक्षय नवमी पर आंवले की पूजा कर आंवला खाओ तब तुम्हारे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। इस तरह आंवले की पूजा तथा अक्षय नवमी के व्रत से वैश्य दम्पत्ति के सभी कष्ट दूर हो गए और उन्हें संतान की भी प्राप्ति हुई।

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अक्षय नवमी पर दान का है खास महत्व 

अक्षय नवमी के दिन नदियों में स्नान करने के पश्चात दान का विशेष महत्व है। इस दिन लोग मंदिर में जाकर विविध प्रकार के दान देते हैं। 

प्रज्ञा पाण्डेय

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