शिव-पार्वती को प्रसन्न करने के लिए होता है सोम प्रदोष व्रत, जानिए इसका महत्व

lord shiva
कमल सिंघी । Apr 20 2020 10:03AM

प्रदोष के समय भगवान शिव शंकर कैलाश पर्वत के रजत भवन में होते हैं और नृत्य कर रहे होते हैं। इस समय देवी-देवता भगवान के गुणों का स्तवन करते हैं। इस व्रत को करने वालों के सभी दोष खत्म हो जाते हैं। व्रती का हर तरह से कल्याण हो जाता है।

सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजन का खास दिन माना जाता है। इसी दिन अगर प्रदोष व्रत हो तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। जिस तरह सालभर में 24 एकादशी व्रत होते हैं, उसी प्रकार से प्रदोष के व्रत भी सालभर में 24 होते हैं। हर प्रदोष व्रत का अलग-अलग महत्व माना जाता हैं।

इसे भी पढ़ें: एकादशी के दिन नहीं खाने चाहिए चावल, जानिए क्या है धार्मिक मान्यता

इस बार 20 अप्रैल को सोमवार को आने वाल प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और पार्वती जी को प्रसन्न करने वाला व्रत हैं। सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त त्रयोदशी तिथि प्रारंभ रात 12.42 से त्रयोदशी तिथि समाप्त रात 3.11 (21 अप्रैल) तक रहेगा। दिन भर शुद्ध आचरण के साथ व्रत रखें। सोम प्रदोष व्रत करने वाले व्रती 'ऊँ नम: शिवाय' कहते हुए भगवान शिव को पतली धार से जल का अर्पण करें। जिसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद शुक्र प्रदोष व्रत की कथा सुनना चाहिए। कथा पूरी होने पर हवन सामग्री मिलाकर 11, 21, 51 या 108 बार 'ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा' मंत्र के साथ आहुति दें। पूजा के आखिरी में भगवान शिव की आरती कर सभी भक्त जनों को आरती दें। इसके बाद व्रत का पारण करें। संभव हो तो शिव चालीसा का भी पाठ करें। पूजन के पश्चात् घी के दीये से भगवान शिव की आरती करें और पूजा का प्रसाद सभी को वितरित करें। इस दिन रात्रि को भी भगवान का ध्यान और पूजन करते रहना चाहिए। सुबह स्नान के बाद ही व्रत खोलें। इसके साथ ही भोजन में केवल मीठी फलाहारी खाद्य पदार्थों का ही उपयोग करें।

क्या है इस व्रत की मान्यता

प्रदोष के समय भगवान शिव शंकर कैलाश पर्वत के रजत भवन में होते हैं और नृत्य कर रहे होते हैं। इस समय देवी-देवता भगवान के गुणों का स्तवन करते हैं। इस व्रत को करने वालों के सभी दोष खत्म हो जाते हैं। व्रती का हर तरह से कल्याण हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि सोमवार को आने वाला प्रदोष व्रत हर इच्छा पूरी करने वाला होता है। सोमवार के दिन भगवान शिव के शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से भगवान शिव जीवन की सारी बाधाएं दूर करते हैं। सोम प्रदोष व्रत कई प्रकार के रोगों को भी दूर करता है। अच्छी सेहत के लिए भी यह व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी दोनों की पूजन से दाम्पत्य जीवन के लिए अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही विवाहित इस व्रत को करके सुखमयी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति करते हैं। 

इसे भी पढ़ें: चमत्कारी त्रिनेत्र गणेश मंदिर की सच्ची कहानी, यहां स्वयंभू प्रकट हुई थी प्रतिमा

सोम प्रदोष व्रत की कथा

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रातः होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। भिक्षाटन से ही वह स्वयं और उसके पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो राह में उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर में रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को फिर से प्राप्त कर खुशी से रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना राजा बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने सभी भक्तों के दिन भी फेरते हैं। अतः सोम प्रदोष का व्रत करने वाले सभी भक्तों को यह कथा जरुर पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

- कमल सिंघी

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़