कामिका एकादशी व्रत से बनते हैं सारे बिगड़े काम

Kamika Ekadashi

कामिका एकादशी हर साल सावन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है। इस साल कामिका एकादशी व्रत 16 जुलाई को मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने तथा भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत लाभकारी होता है।

सावन के पवित्र में महीने आने वाली कामिका एकादशी का हिन्दू धर्म खास महत्व होता है। इसे पावित्रा एकादशी भी कहा जाता है। तो आइए हम आपको कामिका एकादशी की पूजा विधि तथा महत्व के बारे में बताते हैं। 

जानें कामिका एकादशी के बारे में 

कामिका एकादशी हर साल सावन महीने की  कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है। इस साल कामिका एकादशी व्रत 16 जुलाई को मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने तथा भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत लाभकारी होता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से भक्त के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। यही नहीं इस व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ के समान मिलने वाला फल प्राप्त होता है। लेकिन कामिका एकादशी व्रत के दौरान कुछ गलतियों को भूल कर भी न करें।

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कामिका एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करें

पंडितों के अनुसार एकादशी के पवित्र दिन चावल नहीं खाएं। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है। अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो इस दिन व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप चावल खाने के शौकीन हैं तो द्वादशी के दिन खा सकते हैं।

सात्विक भोजन ही करें

कामिका एकादशी के पवित्र दिन सदैव सात्विक भोजन करें। कभी भी मांस-मंदिरा का सेवन नहीं करें। सात्विक तथा शाकाहारी भोजन कर विष्णु भगवान की पूजा करें इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

कामिका एकादशी के दिन कभी भी शाम को न सोएं

कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने वाले भक्त सदैव याद रखें कभी भी शाम को न सोएं। इस दिन सदैव प्रातः उठना चाहिए तथा भगवान का भजन करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 

कामिका एकादशी के दिन सदैव ब्रह्मचर्य का पालन करें 

कामिका एकादशी के पवित्र अवसर पर सदैव संयम का पालन करें। कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाएं। आपको संयम के साथ ब्रह्चर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन भोग-विलास में लिप्त होने के बजाय पूजा-पाठ कर ईश्वर को प्रसन्न करें।

कामिका एकादशी व्रत में नियमों का करें सख्ती से पालन 

कामिका एकादशी व्रत केवल एक दिन का व्रत नहीं है बल्कि इस व्रत का प्रारम्भ दशमी से ही शुरू हो जाता है। दशमी के दिन दोपहर को भोजन करने के बाद रात में भोजन न करें। इस प्रकार एकादशी के दिन पूजा कर फलाहार ग्रहण करें। उसके बाद द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करा कर दान दें उसके बाद पारण करें।

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कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकदशी का विशेष महत्व है। महाभारत काल में स्वयं भगवान कृष्ण ने पांडवों को एकादशी के महामात्य के बारे में बताया था। कामिका एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन से हर प्रकार के कष्ट का नाश होता है. सुख समृद्धि मिलती है। जीवन में सफलता प्राप्त होती है और पितृ भी प्रसन्न होते हैं। कामिका एकादशी का व्रत रखने से पापों से भी मुक्ति मिलती है।

एकादशी पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग होता है लाभकारी 

पंडितों के अनुसार तुलसी पत्र विष्णु भगवान को विशेष प्रिय होता है। इसलिए कामिका एकादशी के व्रत में तुलसी पत्र का बहुत महत्व होता है तथा तुलसी पत्र की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इसलिए पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग अवश्य करें।

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ऐसे करें कामिका एकादशी में पूजा

सावन के पवित्र महीने में आने वाली कामिका एकादशी बहुत खास होती है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष विधि से पूजा करें। कामिका एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें तथा स्नान के पश्चात ईश्वर का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की फल-फूल, दूध-दही तथा पंचामृत से पूजा करें और भगवान का नाम लेकर कीर्तन करें। एकादशी के दिन विविध प्रकार से पूजा-पाठ करने के पश्चात द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें यथाशक्ति दान दें। 

प्रज्ञा पाण्डेय

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