शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना का क्या है खास मुहूर्त

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कलश की स्थापित करते समय मुहूर्त का हमेशा ध्यान रखें। कलश का मुंह कभी भी खुला न रखें। साथ ही अगर आप कलश को किसी बर्तन से ढक कर रख रहे हैं, तो उस बर्तन को कभी भी खाली नहीं छोड़े बल्कि उसे चावलों से भर दें। यही नहीं चावल के बीच में एक नारियल भी रखें।

शारदीय नवरात्र इस बार रविवार को शुरू हो रहा है। रवि योग में नवरात्र शुरू होने के कारण अत्यंत शुभ है और इस साल बेहद शुभ आठ संयोग बन रहे हैं। इस नवरात्र में श्रद्धा पूर्वक देवी की उपासना कर आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए हम आपको नवरात्र में कलश स्थापना के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।

रवि योग में शुरू हो रहा है नवरात्र 

इस बार शारदीय नवरात्र रविवार को प्रारम्भ होने के कारण बहुत खास है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र रवि योग में शुरू हो रहा है जो उन्नति का परिचायक होता है। इस बागर दुर्गा मां गज पर सवार होकर आ रही हैं जो अच्छी वर्षा और समृद्धि कृषि का संकेत देता है। 

कलश स्थापना का शुभ संयोग 

इस शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना का संयोग बहुत शुभ है। कलश स्थापना के समय शुक्र ग्रह का उदय हो रहा है जो समृद्धि का कारक है। इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर देवी की आराधना करने से भक्तों की आर्थिक परेशानी दूर होती है। साथ ही नवरात्र में कलश स्थापना चक्र सुदर्शन मुहूर्त में करना अच्छा माना गया हैं। लेकिन अगर आप अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाएं तो अनुकूल लाभ, शुभ तथै अमृत चौघडिया भी अच्छी मानी गयी है। अगर इन सभी मुहूर्तों में भी आप घट नहीं बैठा पाए तो सोम, बुध, गुरु और शुक्र में से किसी की भी दिन होरा में कलश स्थापित करें।

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

वैसे तो नवरात्र में नौ दिन बहुत शुभ होते हैं लेकिन नौ दिनों में देवी मां की पूजा करने के लिए कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना विशेष फलदायी होता है। इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक है।  साथ ही अगर आप किसी कारण वश सुबह कलश स्थापित नहीं कर पा रहे हैं तो दिन में 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक कलश स्थापना हो सकती है। दोपहर का यह मुहूर्त भी अत्यंत शुभकारी है।

स्थापना के समय ये तरीके अपनाएं

कलश स्थापित करने के लिए व्यक्ति को सदैव नदी की रेत का इस्तेमाल करना चाहिए। इस रेत में सबसे पहले जौ डालें। उसके बाद कलश में इलायची, गंगाजल, पान,  लौंग, रोली, सुपारी, कलावा, हल्दी, चंदन, रुपया,अक्षत, फूल इत्यादि डालें। इसके बाद  'ॐ भूम्यै नमः' का जाप करते हुए कलश को सात प्रकार के अनाज के साथ रेत के ऊपर स्थापित करें। मंदिर में जहां आप कलश स्थापित किया है वहां नौ दिन तक अखंड दीपक जलाते रहें। 

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इन्हें भी आजमाएं

कलश की स्थापित करते समय मुहूर्त का हमेशा ध्यान रखें। कलश का मुंह कभी भी खुला न रखें। साथ ही अगर आप कलश को किसी बर्तन से ढक कर रख रहे हैं, तो उस बर्तन को कभी भी खाली नहीं छोड़े बल्कि उसे चावलों से भर दें। यही नहीं चावल के बीच में एक नारियल भी रखें। प्रतिदिन अर्चना के पश्चात माता रानी को शुभ-शाम लौंग और बताशे चढ़ाएं। ध्यान रखें देवी को लाल फूल बहुत पसंद हैं। इसलिए हमेशा लाल फूल चढ़ाए। मां दुर्गा को मदार, आक, दूब और तुलसी पत्र अर्पित न करें।

प्रज्ञा पाण्डेय

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