क्या आप जानते हैं जगन्नाथ पुरी की यह चमत्कारी बातें

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जगन्नाथ पुरी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है। महाप्रसाद को विशेष विधि से बनाया जाता है। यह प्रसाद केवल मिट्टी के बर्तन में बनता है। प्रसाद लकड़ी के चूल्हे पर बनता है तथा एक के ऊपर एक बर्तन रखे जाते हैं। प्रसाद बनते समय सबसे पहले ऊपर के बर्तन का प्रसाद पकता है।

धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले जगन्नाथ पुरी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। जगन्नाथ पुरी में भगवान श्रीकृष्ण, सुभद्रा और बलराम की पूजा होती है और यहां विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा होती है तो आइए हम आपको जगन्नाथ पुरी के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं। 

जानें जगन्नाथ पुरी के बारे में 

जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख स्थल है। इस मंदिर को हिन्दूओं के चारों धाम में से एक माना जाता है। यह मंदिर वैष्णव परंपराओं तथा संत रामानंद से सम्बन्धित है। इस स्थान को नीलगिरी, नीलांचल और शाकक्षेत्र भी कहा जाता है। पुराणों में कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने पुरी में अनेक लीलाएं की थीं और नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए थे।

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जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कथा 

इस मंदिर के बनने से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ की नीलमणि से जुड़ी मूर्ति वृक्ष के नीचे मिली थी। मालवा नरेश को यही मूर्ति सपने में दिखी थी। तब उस राजा ने भगवान विष्णु की तपस्या की। विष्णु जी ने राजा को बताया कि पुरी में समुद्र तट के किनारे लकड़ी मिलेगी उसी से मूर्ति बनवाएं। राजा ने ऐसा ही किया। उन्हें कारीगर के रूप में विश्वकर्मा से मिले। विश्वकर्मा जी ने शर्त रखी थी वह एक महीने में मूर्ति बनाएंगे लेकिन कोई उस कमरे में कोई प्रवेश नहीं करेगा और दरवाजा बंद रहेगा। राजा मान गए और इस तरह मूर्ति का निर्माण शुरू हो गया। ऐसा कहा जाता है कि रोज राजा आते थे और कमरे से मूर्ति बनाने से आवाज सुनते थे। लेकिन महीने के आखिरी कुछ दिनों में उन्होंने कमरे से मूर्ति बनने की आवाज नहीं सुनी तो कमरे का दरवाजा खोल दिया। तब एक वृद्ध कारीगर बाहर आया और उसने कहा कि मूर्तियां अभी पूरी नहीं बनी है बल्कि अधूरी हैं। यह सब भाग्यवश हुआ है। अब ऐसे ही यह मूर्तियां स्थापित होंगी और पूजी जाएंगी। उसके बाद कृष्ण, सुभद्रा और बलभद्र की मूर्तियां स्थापित की गईं।

महाप्रसाद भी होता है खास 

जगन्नाथ पुरी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है। महाप्रसाद को विशेष विधि से बनाया जाता है। यह प्रसाद केवल मिट्टी के बर्तन में बनता है। प्रसाद लकड़ी के चूल्हे पर बनता है तथा एक के ऊपर एक बर्तन रखे जाते हैं। प्रसाद बनते समय सबसे पहले ऊपर के बर्तन का प्रसाद पकता है। मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं लेकिन कभी भी प्रसाद न तो बचता है और न ही कम होता है।

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जगन्नाथ पुरी के बारे में हैं चमत्कारिक बातें

हिन्दुओं का पवित्र मंदिर बहुत खास है। साथ ही यहां बहुत सी चमत्कारिक बातें होती हैं।

- जगन्नाथ मंदिर की एक खास बात यह है कि आप मंदिर के आस-पास कहीं भी हों आपको मंदिर के ऊपर लगा सुदर्शन चक्र हमेशा अपने सामने ही दिखाई देगा।

- यहां विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा लगती है जहां दुनिया भर से लोग आते हैं। 

- मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां स्वयं भगवान जगन्नाथ विराजते हैं। ऐसा दुनिया भर के किसी मंदिर में नहीं देखा गया है।

- मंदिर में स्थित रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। ऐसा कहीं और देखने को नहीं मिलता है। इसमें 500 रसोइए और 300 सहयोगी काम करते हैं।

- नीम की लकड़ी से बना इनका विग्रह खास होता है, यह एक खोल मात्र है इसमें स्वयं भगवान श्रीकृष्ण विराजते हैं।

- जगन्नाथ मंदिर के ऊपर का झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में फहराता है। 

- मंदिर की एक खास बात यह है कि मंदिर के शिखर पर मौजूद झंडा रोज बदला जाता है। ऐसी मान्यता है कि झंडा नहीं बदलने से मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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