Highest Shiva Temple: विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित है भगवान शिव का यह फेमस मंदिर, जानिए कैसे पहुंचे

Highest Shiva Temple
Creative Commons licenses/Wikimedia Commons

कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों में भगवान शिव से क्षमा मांगनी पड़ी थी। ऐसे में भगवान शिव ने लुका-छुपी का एक खेल खेला। जिसके तहत पांच अलग-अलग स्थानों पर पांच मंदिरों की स्थापना हुई। जिसमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेशर शामिल हैं।

हमारे देश में भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर हैं। अगर आप भी प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आज हम आपको तुंगनाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर की गिनती पंच केदार यात्रा में की जाती है, जोकि उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित पांच पवित्र जगहों में से एक है, हालांकि यह चार धाम यात्रा से अलग है।

पौराणिक कथा के मुताबिक कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों में भगवान शिव से क्षमा मांगनी पड़ी थी। ऐसे में भगवान शिव ने लुका-छुपी का एक खेल खेला। जिसके तहत पांच अलग-अलग स्थानों पर पांच मंदिरों की स्थापना हुई। जिसमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेशर शामिल हैं। इनमें से तुंगनाथ मंदिर तीसरा और सबसे अहम शिव मंदिर है।

इसे भी पढ़ें: सारा जीवन अपने पति भगवान श्रीराम के प्रति समर्पित रहीं भगवती श्रीसीता

सबसे ऊंचा शिव मंदिर

तुंगनाथ मंदिर न सिर्फ पंच केदार मंदिरों में सबसे ऊंचा है, बल्कि यह विश्व का भी सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। यह मंदिर 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर का इतिहास महाभारत काल के पांडवों से जुड़ा है। यहां के स्थानीय लोगों की मानें, तो 8वीं शताब्दी के दार्शनिक और संत आदि शंकराचार्य ने मंदिर की खोज की थी। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कत्यूरी शासकों ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था।

तुंगनाथ मंदिर

बद्री केदार मंदिर समिति द्वारा उत्तराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर के खुलने की तारीख तय की जाती है। उत्तराखंड में चार धामों की शुरुआत के साथ तीसरे केदार तुंगनाथ का उद्घाटन होता है। आमतौर पर अप्रैल या मई में वैशाख पंचमी पर यह मंदिर भक्तों के लिए खुल जाता है। 

ट्रैक के जरिए पहुंचे

तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड के चोपता आना होगा। चोपता से तुंगनाथ तक का ट्रेक करीब 3.5 किमी का है। हालांकि यह ट्रैक ज्यादा मुश्किल नहीं है, लेकिन इसको आसान भी नहीं कहा जा सकता है। इस ट्रैक के दौरान आपको घास के मैदान और बर्फ से ढके पहाड़ों को देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा। चोपता से तुंगनाथ पहुंचने में करीब 2 से 3 घंटे तक का समय लगता है।

ऐसे पहुंचे चोपता

उत्तराखंड के चोपता से तुंगनाथ ट्रेक की शुरुआत होती है। ऐसे में आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा, फिर वहां से चोपता के लिए बस या टैक्सी करें। या फिर आप उखीमठ से बस ले सकते हैं। उखीमठ से आप लोकल टैक्सी ले सकते हैं। चोपता उत्तराखंड का बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है और इसको 'भारत का मिनी स्विटजरलैंड' भी कहा जाता है।

चंद्रशिला शिखर

बता दें कि तुंगनाथ मंदिर पहुंचने के बाद आप केदारनाथ, नंदा देवी, त्रिशूल और चौखंबा की राजसी चोटियों को भी देख सकते हैं। मंदिर तक जाने के बाद अगर आप चंद्रशिला शिखर तक जाना चाहते हैं, तो आपको तुंगनाथ मंदिर से आगे 1.5 किमी जाना होगा। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस शिखर पर भगवान श्रीराम ने ध्यान किया था।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़