वो डायरेक्टर जो सच्चाई को हूबहू पर्दे पर उतार देता है, अगली बारी आसाराम बापू की जिन्दगी की

बॉलीवुड इंडस्ट्री में जहां एक तरफ करण जौहर जैसे डायरेक्टर स्टूडेंट ऑफ द ईयर बनाते हैं तो वहीं प्रकाश झा जैसे निर्देशक अपनी फिल्मों से समाज की छुपी हुई कड़वी सच्चाई को पर्दे पर उतारते हैं। कमाल के निर्देशन के साथ-साथ प्रकाश झा एक सफल प्रोड्यूसर भी है और आजकल एक्टिंग की फ़ील्ड में अपने आज आज़मा रहे हैं। प्रकाश झा का सबसे अच्छा हुनर है उनका निर्देशन। पर्दे पर जब दर्शक उनका फिल्में देखता है तो वह अपने आप को फिल्म से जोड़ लेता है।
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प्रकाश झा ने अब तक कई ऐसी फिल्में बनाई जो लीक से हटकर रही। जिन्होंने समाज को उन्हीं के सामाज का काला चेहरा दिखाया। 'गंगाजल', 'राजनीति', 'अपहरण', 'आरक्षण', 'चक्रव्यूह' और 'सत्याग्रह' जैसी फिल्में देने वाले डायरेक्टर प्रकाश झा ने केवल अपराध पर ही नहीं बल्कि समाज में औरत की स्थिति पर भी कई फिल्म बनाई है।
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समाज में चार वर्गों की औरतों की कहानी को प्रकाश झा ने फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का बखूबी दिखाया। इस फिल्म को देखकर हर औरत ने कहीं न कहीं अपने आपको जोड़ा होगा। हाल ही में उन्होंने फिल्म सांड की आंख को प्रोड्यूस किया था। फिल्म में बागपत की दो शूटर दादियों की कहानी को दिखाया गया था। प्रकाश झा की अधिकतर फिल्में हमारे समाज में व्याप्त कुंसगतियों को उठाती हैं और उनका हल तलाशने की कोशिश करती हैं। प्रकाश झा वो डायरेक्टर नहीं है जो सच की दुनिया को फिल्मी दुनिया में ले आए बल्कि वो निर्देशक है जो समाज को उन्हीं का आइना दिखाते हैं।
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प्रकाश झा जिस शिद्दत से फिल्में बनाते हैं उसे देखकर लगता है कि वह बचपन से डायरेक्टर ही बनना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं था वह बचपन से आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे लेकिन एक फिल्म की शूटिंग देखकर इनका मन बदल गया और उस फिल्म का नाम था धर्मा। फिल्म धर्मा 1973 में रिलीज हुई थी इसका निर्देशन चांद ने किया था। चांद प्रकाश को फिल्म की शूटिंग दिखाने के लिए साथ लेकर गये थे। इस फ़िल्म की शूटिंग में मशगूल लोगों की मेहनत को देख उन्होंने ये पक्का इरादा कर लिया था कि वो एक डायरेक्टर बनेंगे।
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प्रकाश झा का जन्म 27 फरवरी 1952 को बेतिया बिहार में हुआ था। अब तक प्रकाश सेकड़ो फिल्मों का हिस्सा बन चुकें हैं। हाल ही में व्यापमं घोटाले पर फिल्म बनाने की इच्छा जाहिर की। इसके अलावा प्रकाश झा ने एक दफा कहा था कि मेरी अगली परियोजना 'सतसंग' है, जो आसाराम बापू पर आधारित होगी।
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