फिल्म The Accidental Prime Minister पर नहीं लगेगा कोई प्रतिबंध, 11 जनवरी को होगी रिलीज
यह मामला शुरू में अदालत की वेबसाइट पर अपलोड सूची में न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था लेकिन इसमें आज सुबह बदलाव किया गया और मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसकी सुनवाई की।
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ और उसके ट्रेलर पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस फिल्म ने प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद को बदनाम किया है। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है और इसमें निजी हित शामिल हैं।
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याचिकाकर्ता पूजा महाजन ने आरोप लगाया था कि सिनेमेटोग्राफ कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा रहा है और फिल्म निर्माता ने ट्रेलर जारी कर दिया है, जिससे प्रधानमंत्री पद की छवि को नुकसान पहुंचा है तथा इसकी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हो रही है। यह फिल्म 11 जनवरी को रिलीज होगी।
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यह मामला शुरू में अदालत की वेबसाइट पर अपलोड सूची में न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था लेकिन इसमें आज सुबह बदलाव किया गया और मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसकी सुनवाई की।
याचिका पर सुनवाई के दौरान फिल्म निर्माताओं ने कहा कि उन्हें जनहित याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है और अदालत को उनकी बात सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए। फिल्म निर्माताओं सुनील बोहरा और धवल गड़ा की ओर से पेश वकील संग्राम पटनायक ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि यह सुनवाई योग्य नहीं है और ऐसा कैसे हो सकता कि प्रोडक्शन हाउस को पक्ष नहीं बनाया गया।
उन्होंने कहा कि यदि प्रतिकूल आदेश पारित होता है तो इससे निर्माता प्रभावित होंगे क्योंकि उनका धन दांव पर लगा है। इससे पहले एक एकल पीठ ने फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के ट्रेलर पर रोक की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता से इसे एक जनहित याचिका के तौर पर दाखिल करने को कहा था।
Delhi High Court has dismissed a PIL against the release of the trailer of the movie "The Accidental Prime Minister". Court questioned the locus of the petitioner Pooja Mahajan. Petitioner's counsel says we are moving supreme court. pic.twitter.com/FS73AO7JOS
— ANI (@ANI) January 9, 2019
यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारु की इसी नाम की पुस्तक पर आधारित है। फिल्म में अनुपम खेर ने सिंह का किरदार निभाया है। अदालत ने केंद्र एवं सेंसर बोर्ड के वकील की दलील पर गौर किया कि याचिकाकर्ता पूजा महाजन ने अपनी याचिका के पहले पैरा में कहा है कि उनका मुद्दे में कोई निजी हित नहीं है।
अधिवक्ता ए. मैत्री के माध्यम से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस फिल्म का ट्रेलर प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद का अपमान करता है। इसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी), गूगल (इंडिया) और यूट्यूब को पक्ष बनाया गया।
याचिका के मुताबिक, ट्रेलर जारी होने के कारण ‘‘प्रधानमंत्री पद की सार्वजनिक रूप से रोजाना बदनामी हो रही है।’’साथ ही इसमें कहा गया कि फिल्म ट्रेलर में दिया गया डिस्क्लेमर कहता है कि यह संजय बारु की पुस्तक पर आधारित है लेकिन, “असल तथ्य पूरी तरह अलग हैं। असल में, ट्रेलर में दिया गया डिस्क्लेमर अवास्तविक, गलत एवं फर्जी है।”
He was his master's voice! Witness the inside story, in just 3 days coming to cinemas on January 11 https://t.co/aOtTlO0768 pic.twitter.com/NltlcpVfE1
— The Accidental Prime Minister (@TAPMofficial) January 8, 2019
इसमें दावा किया गया, “मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री), सोनिया गांधी, राहुल गांधी का पात्र निभाकर, अभिनेताओं/ कलाकारों ने भादंसं की धारा 416 (प्रतिरूपण के जरिए छल) के तहत दंडनीय अपराध किया है और इसलिए सीबीएफसी को फिल्म के प्रदर्शन के लिए प्रमाण-पत्र नहीं देना चाहिए था।”
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