Groundnut को छोड़कर लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतें मजबूत

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बाजार सूत्रों ने कहा कि त्योहारों का मौसम नजदीक आने के साथ मंडियों में त्योहारी मांग है। एक ओर सस्ते आयातित तेलों की वजह से देश के सरसों का स्टॉक किसानों ने नहीं निकाला है और इसके दाम भी ऊंचे पड़ते हैं।

नयी दिल्ली। राजधानी के बाजार में बृहस्पतिवार को मूंगफली को छोड़कर लगभग सभी तेल-तिलहनों की कीमतें मजबूत बंद हुईं। इससे सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में मजबूती का रुख है। पिछले तीन कारोबारी सत्रों से इन दोनों जगहों पर मजबूती कायम है। बाजार सूत्रों ने कहा कि त्योहारों का मौसम नजदीक आने के साथ मंडियों में त्योहारी मांग है। एक ओर सस्ते आयातित तेलों की वजह से देश के सरसों का स्टॉक किसानों ने नहीं निकाला है और इसके दाम भी ऊंचे पड़ते हैं। कुछ किसानों ने जरूरत पड़ने पर थोड़ी बहुत सरसों बेचा है। सरसों की त्योहारी मांग होने से सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया।

सबसे सस्ता थोक दाम होने की वजह से त्योहारों के मौसम से पहले सूरजमुखी की चौतरफा मांग बढ़ी है। सूरजमुखी तेल की मांग में यह बढ़ोतरी विशेष रूप से महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अधिक है। सरसों तेल के दाम ऊंचा बैठते हैं। मूंगफली और बिनौला लगभग समाप्त हो चले हैं। ऐसी स्थिति में त्योहारी मांग को सूरजमुखी और सोयाबीन तेल से ही पूरा किया जा सकता है। लेकिन यूक्रेन का रूस से यातायात मार्ग समझौते का नवीनीकरण नहीं होने से सूरजमुखी तेल का आयात बाधित हो सकता है। इसलिए ‘सॉफ्ट ऑयल’ (नरम तेल-सूरजमुखी, सोयाबीन) के आयात और विदेशों में इन तेलों के जहाजों के लदान के आंकड़े की जानकारी लेना जरूरी है।

तेल संगठनों के साथ-साथ जरूरत पड़े तो सरकार अपनी ओर से भी यह जानकारियां ले सकती है और स्थितियों पर निगरानी रख सकती है ताकि त्योहारों के ऐन मौके पर नरम तेलों की कमी न होने पाये। पाम पामोलीन तेल का आम घरों में उपयोग का प्रचलन नहीं है, इसलिए इसका आयात बढ़ने-घटने का विशेष अर्थ नहीं है। सूत्रों ने कहा कि सरकार को बंदरगाहों पर आयातित तेल की बिक्री लागत से कम दाम पर किये जाने की भी निगरानी करनी चाहिये क्योंकि अंतत: यह बैंकों का या आम जनों का ही पैसा है। आयातित सूरजमुखी की आयात लागत बैठती है 90-91 रुपये किलो और बंदरगाहों पर इसे 90-91 रुपये किलो के थोक भाव से बेचा जा रहा है। खुदरा बाजार में आम उपभोक्ताओं को यह तेल 140-145 रुपये लीटर (910 ग्राम) के भाव मिल रहा है। सूत्रों ने कहा कि पाम पामोलीन जैसे तेल 10-15 दिन में मंगाये जा सकते हैं मगर नरम तेलों के आयात में दो से ढाई महीने और फिर जहाजों से माल उतारने में समय लगता है। इसलिए नरम तेलों की आपूर्ति श्रृंखला न टूटे इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,710-5,760 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 7,865-7,915 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 18,850 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,735-3,020 रुपये प्रति टिन।

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सरसों तेल दादरी- 10,850 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,795 -1,890 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,795 -1,905 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,225 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,325 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,525 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,090-5,185 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,855-4,950 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,015 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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