जनवरी में बजट आने से कार्यकुशलता बढ़ेगी: सीबीडीटी

[email protected] । Aug 23 2016 4:29PM

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की प्रमुख रानी सिंह नायर ने केंद्रीय बजट पेश किये जाने का समय पीछे खिसकाकर जनवरी किये जाने के प्रस्ताव का आज समर्थन किया।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की प्रमुख रानी सिंह नायर ने केंद्रीय बजट पेश किये जाने का समय पीछे खिसकाकर जनवरी किये जाने के प्रस्ताव का आज समर्थन किया और कहा कि इससे ‘कुशलता’ बढ़ेगी क्योंकि सार्वजनिक व्यय वित्त वर्ष के पहले दिन से शुरू हो जाएगा। बजट व्यवस्था में बदलाव के तहत सरकार संसद में बजट पेश करने का समय एक महीने पहले कर इसे जनवरी अंत में पेश किये जाने पर विचार कर रही है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पूरी प्रक्रिया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरी हो जाए।

सीबीडीटी की चेयरपर्सन ने कहा, ‘‘अगर आपके पास जनवरी में बजट हो तो इसको 31 मार्च तक राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाएगी। वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है। अत: वित्त वर्ष के पहले दिन से व्यय का आबंटन होगा और हम बजट प्रक्रिया में वित्त वर्ष के दो-तीन महीनों को नहीं गवाएंगे। इससे बजट बनाने में अधिक दक्षता आएगी।’’ आयकर एवं कंपनी कर के मामले में निर्णय लेने वाला शीर्ष प्राधिकरण सीबीडीटी विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों के साथ अगले महीने से बजट पूर्व बैठक शुरू करने की योजना बना रहा है जबकि सामान्य रूप से यह नवंबर में शुरू होता था। उन्होंने कहा, ‘‘बजट 28-29 फरवरी को पेश किया जाता है और इसकी राष्ट्रपति से मंजूरी 15 मई के करीब मिलती है। इसीलिए हमें अप्रैल-मई के लिये लेखानुदान लेना पड़ता है। इसीलिए उस समय सभी मंत्रालयों को उतना ही आवंटित किया जाता है जो पिछले साल था। इससे प्रक्रिया का देहराव भी होता है..।’’ सीबीडीटी प्रमुख ने यह भी कहा कि यह केवल एक चर्चा है और विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

आम बजट को पहले पेश किये जाने के पीछे विचार यह है कि इससे व्यय प्रक्रिया दुरूस्त होगी। फिलहाल पूरी बजट प्रक्रिया मई तक पूरी होती है और अधिकतर खर्च वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में होता है। अगर बजट जनवरी में पेश किया जाता है तो व्यय को दुरूस्त किया जा सकता है। संविधान में बजट पेश करने के बारे में कोई विशेष तारीख का जिक्र नहीं है। इसे सामान्य रूप से फरवरी के आखिरी दिन पेश किया जाता है और दो चरण में होने वाली संसदीय प्रक्रिया के तहत यह मई के मध्य तक ही पारित हो पाता है। वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होने के कारण सरकार को फरवरी में बजट पेश होने के बाद मार्च में ही दो-तीन महीनों के लिये विभिन्न मदों में खर्चों के लिये लेखानुदान के लिये मंजूरी लेनी होती है। मांग एवं विनियोग विधेयक में पूरे साल के खर्च के ब्योरे के साथ कर बदलाव का जिक्र होता है जो अप्रैल-मई में पारित होता है। वित्त मंत्रालय का विचार है कि अगर प्रक्रिया जल्दी शुरू हो तो लेखानुदान पारित कराने की जरूरत नहीं होगी और पूरा बजट एक चरण वाली प्रक्रिया में 31 मार्च से पहले ही पारित हो जायेगा और एक अप्रैल से इस पर अमल भी शुरू हो जायेगा।

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