दिवाला प्रक्रिया में शामिल कंपनियों को ईसीबी से धन जुटाने की मंजूरी

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[email protected] । Feb 7 2019 4:26PM

केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘इसी के मद्देनजर वह सीआईआरपी के तहत ईसीबी में मंजूरी मार्ग से अंतिम इस्तेमाल के अंकुशों में ढील का प्रस्ताव करता है। उन्हें ईसीबी से प्राप्त राशि का इस्तेमाल लक्षित कंपनी के रुपये के मियादी कर्ज के भुगतान की अनुमति होगी।’’

मुंबई। दिवाला कानून के तहत निपटान प्रक्रिया को सुगमता से आगे बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बोली लगाने वाली कंपनियों को बाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) के जरिये धन जुटाने की मंजूरी दे दी है जिससे वे मौजूदा ऋणदाताओं को भुगतान कर सकें। मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत ईसीबी से जुटाई गई राशि चाहे वह विदेशी मुद्रा में हो या रुपये में, का इस्तेमाल पुनर्भुगतान के लिए या घरेलू रुपये के कर्ज के भुगतान के लिए नहीं किया जा सकता। रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘कॉरपोरेट दिवाला निपटान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत आवेदकों को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 में मौजूदा ऋणदाताओं को भुगतान के लिए विदेशों से कर्ज जुटाना आकर्षक रहेगा।’’

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केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘इसी के मद्देनजर वह सीआईआरपी के तहत ईसीबी में मंजूरी मार्ग से अंतिम इस्तेमाल के अंकुशों में ढील का प्रस्ताव करता है। उन्हें ईसीबी से प्राप्त राशि का इस्तेमाल लक्षित कंपनी के रुपये के मियादी कर्ज के भुगतान की अनुमति होगी।’’  रिजर्व बैंक गवर्नर शक्ति कान्त दास ने बृहस्पतिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि आईबीसी के तहत निपटान राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा किया जाता है।

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दास ने कहा, ‘‘हमने जो फैसला किया है उससे रातों रात गायब होने वाली कंपनियों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है कि वे सिर्फ धन जुटाने के लिए कर्ज जुटाएं। धन जुटाने के कई और तरीके हैं। हमारे पास ईसीबी मार्ग है, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह एक बेहतर विनियमन वाली प्रक्रिया है और सिर्फ वहीं कंपनियां जिनकी निपटान प्रक्रिया के तहत पहचान की गई है इस मार्ग का इस्तेमाल कर पाएंगी। रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि इस बारे में दिशानिर्देश फरवरी के अंत तक जारी किए जाएंगे।

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