डिजिटलीकरण रामबाण नहीं, नकदी बुरी नहीं: समीक्षा

[email protected] । Jan 31 2017 5:44PM

सरकार की डिजिटलीकरण की पहल को लेकर आगाह करते करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह कोई ‘रामबाण’ नहीं है और नकदी कहीं से भी बुरी नहीं है।

सरकार की डिजिटलीकरण की पहल को लेकर आगाह करते करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह कोई ‘रामबाण’ नहीं है और नकदी कहीं से भी बुरी नहीं है। समीक्षा में भुगतान के दोनों तरीकों के बीच संतुलन बैठाने पर जोर दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि डिजिटलीकरण की ओर रुख धीरे-धीरे होना चाहिए। ऐसा करते समय डिजिटल रूप से वंचितों को पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।

समीक्षा में कहा गया है कि मध्यम अवधि में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन जारी रखा जाना चाहिए। डिजिटलीकरण कोई रामबाण नहीं है, न ही नकदी बुरी है। सार्वजनिक नीति भुगतान के दोनों माध्यमों के लाभ और लागत पर संतुलन बैठाने वाली होनी चाहिए। समीक्षा में जोर देकर कहा गया है कि डिजिटलीकरण की सफलता काफी हद तक भुगतान प्रणाली के अंतर परिचालन पर निर्भर करेगी। समीक्षा में बैंकों को सलाह दी गई है कि वे अंतर परिचालन को सुगम करें और उसकी अनदेखी न करें।

इसमें कहा गया है कि डिजिटलीकरण की सफलता काफी हद तक भुगतान प्रणाली के अंतर-परिचालन पर निर्भर करेगी। ‘‘नेशनल पेमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई) का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ऐसा प्रौद्योगिकी मंच है जो अंतर-परिचालन सुनिश्चित करेगा।’’ लेकिन इसके लिए बैंकों को सुनिश्चित करना होगा कि वे अंतर परिचालन में बाधा न बनें। भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए सरकार डिजिटल भुगतान के तरीके मसलन डेबिट-क्रेडिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट को अपनाने पर जोर दे रही है। एक अनुमान के अनुसार देश में उपभोक्ताओं द्वारा किए जाने वाले कुल भुगतान में नकद का हिस्सा 78 प्रतिशत है।

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