व्यापार जगत के लिए आपदा योजना बनाना सबसे बड़ी प्राथमिकता

Disaster planning
अभिनय आकाश । Apr 29 2020 3:34PM

व्यापार निरंतरता और अस्तित्व के लिए आपदा नियोजन संगठनों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में उभरा है क्योंकि कोविड -19 से उबरने में अनुमानित समय की तुलना में अधिक समय लगने की उम्मीद है।

कोरोना संकट ने दुनिया में त्राहि-त्राहि मचा रखी है। सभी देशों की सरकारें उससे लड़ने की कोशिश कर रही हैं। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सतर्कता से उठाए जा रहे कदमों से स्पष्ट है कि आर्थिक गतिविधियों को कोरोना के दौर से पूर्व वाली गति पाने में अभी लंबा समय लग सकता है, लेकिन इतना तय है कि भविष्य में काफी कुछ बदला नजर आएगा। कोरोाना वायरस की स्थिति से उबरने में अनुमति समय से ज्यादा समय लग रहा है। ऐसे में व्यापार की निरंतरता के लिए आपदा योजना बनाना कंपनियों की प्राथमिकता में है। 

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टीओआई के लिए विशेष रूप से एग्जिक्यूटिव एक्सेस इंडिया ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक सर्वेक्षण कराया। इस सर्वे में  अलग-अलग तरह क्षेत्र के 200 एग्जिक्यूटिव शामिल रहे। जिसके अंदर 35 प्रतिशत सीईओ शामिल हैं। जिसमें ये निकलकर आया कि कैसे बिजनेस चलता रहे इस पर ही कंपनियों का फोकस है। उथल-पुथल के इस दौर में कंपनियों के सामने खुद को संभाल कर रखने की चुनौती है। इसलिए आपदा प्लानिंग की योजना बनाना ही सबसे आवश्यक है। इस सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत एग्जिक्यूटिव का मानना है कि आपदा प्रबंधन जैसे बदलाव को लेकर प्लान बनाए जाने चाहिए। व्यापार चलता रहे इसके लिए इस तरह के बिजनेस माडल को अपनी कंपनियों में समाहित करने को लेकर सहमत दिखे, ताकी व्यापार की निरंतरता बनी रहे।

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किसी एक सवाल के जवाब में 59 प्रतिशत लोगों का मानना था कि जिस तरह से काम करते हैं वो बदल जाएगा। एक्ज़ीक्यूटिव एक्सेस इंडिया के प्रबंध निदेशक रोनेश पुरी ने कहा कि सबसे ज्यादा प्राथमिकता व्यापार में किस तरह से निरंतरता बनी रही ये है, और कैसे इस दौर में खुद को बचाए रखना है। कुछ संगठनों ने नियमित रूप से वक्त की जरूरत के हिसाब से व्यावसायिक निरंतरता की योजनाओं में बदलाव किया था, लेकिन शायद ही किसी ने ये उम्मीद जताई होगी कि कोरोना का संकट इस ज्यादा समय तक और इतना गहरा होगा। 

 

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व्यापार निरंतरता और अस्तित्व के लिए आपदा नियोजन संगठनों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में उभरा है क्योंकि कोविड -19 से उबरने में अनुमानित समय की तुलना में अधिक समय लगने की उम्मीद है। आपदा को लेकर रणनीति तैयार करने वाले प्लानर भी अभी इसको लेकर आशंकित होंगे कि कन्स्यूमर किस तरह से व्यवहार करेगा, ये भी बहुत बड़ा चैलेंज होगा। हालांकि जिन लोगों ने सर्वे में भाग लिए वो कोरोना वायरस संकट से उबरने के समय सीमा के बारे में आशावादी थे। 35% ने व्यापार सामान्य होने की स्थिति के लिए दो तिमाही का अंदाजा लगाया और 61% का अनुमान लगाया तीन तिमाहियों के भीतर व्यापार सामान्य हो जाएगा। लेकिन इनमें से कुछ का मानना था कि इससे उबरने में  एक वर्ष से अधिक लग सकता है। हालांकि, 91% लोगों ने यह माना है कि उनके संगठन के व्यवसाय करने के तरीके पर संकट का दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।

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केपीएमजी इंडिया के अध्यक्ष और सीईओ अरुण एम कुमार ने कहा कि तात्कालिक दौर को देखते हुए अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है। अभी तक भारत और विश्व में आर्थिक प्रभाव इतना व्यापक देखे जा सकते हैं जैसा पहले नहीं देखा गया। हालांकि अन्य प्रमुख पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद है और रिकवरी की संभावना आसानी से हो जाएगा। व्यापारी वर्ग के लोगों में इस तरह का रूझान है कि अपना रेवेन्यू को बचाए रखना और अन्य पहलुओं के साथ काम करेंगे। बाहरी अर्थिक खतरे का डर बना हुआ है, क्योंकि किसी भी संगठन के प्रदर्शन पर आशंका बनी हुई है। लगभग 63 लोगों का मानना है कि 10 से 40 प्रतिशत ऊपर के लोगों पर इसका असर पड़ेगा और वहीं 57 लोगों का मानना है कि नीचे के लेवल पर 10-40% के ऊपर प्रभाव डालेंगे।

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