भारत में E-commerce नीतियों में बदलाव पर वैश्विक कारोबारियों ने जताई चिंता

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[email protected] । Jan 25 2019 2:11PM

मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुये कारोबारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर या प्रतिनिधियों के जरिये सरकार के समक्ष अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।

दावोस। दुनिया के कई उद्यमियों ने भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र में बदलते नियमनों से उत्पन्न चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने ई-कॉमर्स क्षेत्र में तेज वृद्धि तथा उसकी क्षमता के अनुरूप निवेश हासिल करने में मदद के लिये नीतियों में स्थिरता बनाये रखने की मांग की है। विश्व आर्थिक मंत्र की वार्षिक बैठक में यहां भाग ले रहे कई कारोबारियों ने कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के मामले में नीतियों में हुए हालिया बदलाव से भ्रम पैदा हो रहा है।

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मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुये कारोबारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर या प्रतिनिधियों के जरिये सरकार के समक्ष अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। उन्होंने कहा कि वे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु के समक्ष प्रत्यक्ष तौर पर अपनी चिंताएं जाहिर करने वाले थे लेकिन मंत्री की यहां आने की योजना ऐन मौके पर टल गयी। विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख रॉबर्टो एजीवेदो ने एक सत्र में कहा कि ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिये एक वैश्विक बहुपक्षीय रूपरेखा तैयार किये जाने की जरूरत है।

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भारत में ई-वाणिज्य मार्किटप्लेस माडल में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है लेकिन निवेशक चाहते हैं कि इसमें नीतियों और नियामकीय प्रशासन में स्थिरता रहनी चाहिये। ई-वाणिज्य उद्योग के एक समूह ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने इस क्षेत्र में कुछ नये नियमों को प्रस्तावित किया है। ये नियम केवल विदेशी निवेशकों के लिये हैं और इसमें घरेलू कंपनियों के लिये कुछ नहीं है। इससे इस मामले में नीतियों को लेकर पक्षपात हो सकता है। भारत में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 26 दिसंबर 2018 को प्रेस नोट- 2 में कुछ बदलाव किये हैं। इसमें ई- वाणिज्य क्षेत्र की कंपनियों को किसी खास कंपनी के उत्पादों की बिक्री के लिये समझौता करने और विदेशी निवेश वाली कंपनियों के लिये नियमों को सख्त बनाया गया है। 

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