सोने की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल, गहनों से हटकर सिक्कों और बार की ओर झुके भारतीय खरीदार

Gold prices
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Ankit Jaiswal । Dec 31 2025 10:15PM

सोने की रिकॉर्ड कीमतों और मेकिंग चार्ज को लेकर बढ़ती आलोचनाओं के कारण भारतीय खरीदार गहनों की बजाय सिक्कों और बार में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो कि सोने की मांग में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। वैश्विक अनिश्चितताओं और डॉलर की कमजोरी ने सोने की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचाया है, जिससे आभूषणों की खपत में गिरावट आई है जबकि निवेश के लिए सोने की खरीद बढ़ी है।

देशभर में लाखों परिवार मौजूदा दौर के मेकिंग चार्ज के नाम पर 15 फीसदी तक को सही नही मानते हुए अब सोने के गहनों से दूरी बनाकर सिक्कों और बार की ओर रुख करने लगे हैं। गौरतलब है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड बाजारों में से एक है और यहां सोना सिर्फ निवेश नहीं बल्कि परंपरा और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक भी माना जाता है। लेकिन मौजूदा साल में सोने की कीमतों में आई जबरदस्त तेजी ने उपभोक्ताओं के व्यवहार को बदल दिया है।

मौजूद जानकारी के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती और डॉलर की कमजोरी के चलते सोने की कीमतों में करीब 67 प्रतिशत की उछाल आई है। 26 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 4,549.7 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। वहीं भारत में घरेलू सोने के दाम इस साल करीब 77 प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि निफ्टी 50 सिर्फ 9.7 प्रतिशत ही चढ़ सका है।

कीमतों में इस तेज उछाल का असर साफ तौर पर खरीदारी के तरीकों पर दिख रहा है। कोलकाता की निबेदिता चक्रवर्ती बताती हैं कि अब वे हल्के डिजाइन के गहने चुन रही हैं क्योंकि वजन में थोड़ी सी कटौती से ही हजारों रुपये की बचत हो जाती है। उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि उपभोक्ता अब डिजाइन और वैल्यू दोनों पर ध्यान दे रहे हैं।

पीएन गाडगिल ज्वेलर्स के चेयरमैन सौरभ गाडगिल के मुताबिक, ग्राहक अब ऐसे गहने चाहते हैं जिनसे सोने का स्वामित्व बना रहे लेकिन कीमत का दबाव न पड़े। यही वजह है कि हल्के और कम कैरेट वाले गहनों की मांग बढ़ रही है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले नौ महीनों में भारत में कुल सोने की मांग 14 प्रतिशत घटी है। इस दौरान आभूषणों की खपत 26 प्रतिशत कम होकर 278 टन रह गई, जबकि निवेश के लिए सोने की खरीद 13 प्रतिशत बढ़कर 185 टन तक पहुंच गई। कुल मांग में निवेश का हिस्सा अब रिकॉर्ड 40 प्रतिशत हो चुका है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान आने वाले समय में भी जारी रह सकता है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी के अनुसार, लोग अब सिक्के, बार और गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्पों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सोने की कीमतों में आगे भी तेजी बनी रह सकती है।

मेटल्स फोकस का अनुमान है कि 2026 तक ज्वैलरी की मांग में और गिरावट आ सकती है। वहीं, कम कैरेट जैसे 18 और 14 कैरेट के गहनों की स्वीकार्यता खासतौर पर युवा और कामकाजी वर्ग में तेजी से बढ़ रही है। कुल मिलाकर, महंगाई और रिकॉर्ड कीमतों के बीच भारत में सोने की चमक अब नए रूप में नजर आ रही है।

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