चीन पर नकेल कसने को तैयार सरकारी विभाग ! GeM से चीनी सामान नहीं खरीदने का निर्देश हो सकता है जारी

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गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर बिकने वाले उत्पादों पर उत्पादक देश का नाम बताना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे यह पता चल सकेगा कि आखिर सामान किस देश में बनाया गया है।

नयी दिल्ली। चीन के साथ जारी तनातनी के बीच अब सरकारी विभाग भी चीन में बनाए गए सामानों को नहीं खरीदने का विचार बना रहे हैं। उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्रालय के बाद अब दूसरे मंत्रालय भी अपने-अपने विभागों को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) और दूसरे जरियों से चीनी सामानों को नहीं खरीदने का निर्देश जारी कर सकती हैं। अंग्रेजी अखबार द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी विभाग धीरे-धीरे चीन में बने सामानों का बहिष्कार करेंगे। इसे हम यूं समझ लें कि पहले यह देखा जाएगा कि मंत्रालयों के विभागों ने अबतक गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस के जरिए जो भी आर्डर दिए हैं वो कितने जरूरी हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, खरीदारी के लिए दिए जा चुके आर्डर का आकलन किया जाएगा और देखा जाएगा कि कौन-कौन से आर्डर आ चुके हैं और कौन से आना अभी बाकी हैं। इसके पश्चात मंत्रालय जरूरत के हिसाब से अपने विभागों को निर्देश देगी। कहा जा रहा है कि इसे सीधे तौर पर मेक इन इंडिया से जोड़ा जाएगा। 

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विशेषज्ञों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच में अब भारत को दो तरह से अपने पड़ोसी मुल्क चीन की रणनीतियों को कमजोर करना पड़ेगा। पहली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तो दूसरी चीन में बने सामानों को बाजारों से हटाकर। हालांकि सरकार इस दिशा की तरफ काम भी कर रही है। एक तरफ भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की हरकतों पर नजर बनाए हुए है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार चीनी सामानों पर प्रतिबंध लगा रही है। बीते दिनों ही भारत सरकार ने 59 चीनी ऐप्स को सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए बैन कर दिया। जिसमें टिक टॉक, यूसी जैसे ऐप मौजूद थे।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर बिकने वाले उत्पादों पर उत्पादक देश का नाम बताना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे यह पता चल सकेगा कि आखिर सामान किस देश में बनाया गया है। इतना ही नहीं इस दिशा कि तरफ भी विचार किया जा रहा है कि जीईएम के अलावा भी हो रही खरीदारी से चीनी सामानों को दूर रखा जाए। 

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भारतीयों को मिलेगा बढ़ावा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने धीरे-धीरे हर एक सेक्टर से चीनी कम्पनियों की निर्भरता को कम करने के लिए योजना तैयार कर ली है। यहां तक कि कई सेक्टरों में चीनी कम्पनियों को बोलियां लगाने से दूर रखने का प्रयास किया जाएगा और जिन सेक्टरों में चीनी कम्पनियों का निवेश 50 फीसदी से ज्यादा है वहां पर भारतीय कम्पनियों को तवज्जों दी जाएगी। सरकार द्वारा ऐसे कदम उठाए जाने की वजह से चीनी कम्पनियों को बहुत बड़ा झटका लग सकता है।

बता दें कि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने आदेश जारी कर सरकारी विभागों को जीईएम और दूसरे जरियों से चीनी सामान नहीं खरीदने को कहा है। साथ ही साथ जीईएम पर बिकने वाले सभी उत्पादों को पंजीकृत कराते समय अपने उत्पादक देश की जानकारी देने को भी कहा है। वहीं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने चीन की मौजूदा हरकतों को देखने के बाद कहा कि चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने चीन से आये सामानों की भारतीय मानक ब्यूरो के मुताबिक जांच की जाएगी और खामी मिलने पर उसे वापस किया जाएगा।

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