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HDFC ने गुड होस्ट से किया करार, 232.81 करोड़ में बेचेगी अपनी हिस्सेदारी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 21, 2021 11:27
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आवास ऋण कंपनी एचडीएफसी ने गुड होस्ट में 24.48 प्रतिशत हिस्सेदारी 232.81 करोड़ रुपये में बेचने का करार किया है।यह गुड होस्ट की जारी और चुकता शेयर पूंजी का 24.48 प्रतिशत है। एचडीएफसी ने कहा कि उसकी कुल शेयर बिक्री 232.81 करोड़ रुपये रहेगी।
नयी दिल्ली।आवास ऋण कंपनी एचडीएफसी लि. ने गुड होस्ट में अपनी 24.48 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए करार किया है। गुड होस्ट छात्र-छात्राओं के लिए आवास सुविधाओं का प्रबंधन करती है। इस हिस्सेदारी बिक्री से एचडीएफसी को 232.81 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। एचडीएफसी लि. ने बुधवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि उसने एक रुपये के 47,75,241 शेयरों की बिक्री का करार किया है।
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यह गुड होस्ट की जारी और चुकता शेयर पूंजी का 24.48 प्रतिशत है। एचडीएफसी ने कहा कि उसकी कुल शेयर बिक्री 232.81 करोड़ रुपये रहेगी। गुड होस्ट होस्टल सेवाएं, गेस्ट हाउस सेवाएं, सर्विस अपार्टमेंट और होस्टल सेवाओं के लिए पट्टे पर संपत्ति उपलब्ध कराती है। वित्त वर्ष 2019-20 में गुड होस्ट का कारोबार 112.60 करोड़ रुपये रहा था।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव का किया समर्थन, कही यह बात
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 15:02
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मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथ परिचर्चा में कहा, ‘‘यह एक अच्छा कदम होगा। इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है।’’
कोलकाता। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसपर निर्णय जीएसटी परिषद को करना है। सुब्रमण्यम ने हाल में फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथ परिचर्चा में कहा, ‘‘यह एक अच्छा कदम होगा। इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है।’’
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पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का आग्रह किया है। ईंधन कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से आम आदमी पर बोझ बढ़ा है। यह विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में एक प्रमुख मुद्दा है। सुब्रमण्यम ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई की वजह से है।
FPI ने फरवरी में भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 23,663 करोड़ रुपए का किया निवेश
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 14:38
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कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख रुस्मिक ओझा ने कहा कि इस महीने एफपीआई के प्रवाह में मुख्य वजह आम बजट और कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजे रहे।
नयी दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) चालू कैलेंडर वर्ष में लगातार दूसरे महीने शुद्ध निवेशक बने हुए हैं। आम बजट को लेकर सकारात्मक धारणा तथा कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे अच्छे रहने के बीच एफपीआई ने फरवरी में भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 23,663 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 1-26 फरवरी के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 25,787 करोड़ रुपये डाले, लेकिन उन्होंने ऋण या बांड बाजार से 2,124 करोड़ रुपये की निकासी भी की। इस तरह भारतीय बाजार में उनका शुद्ध निवेश 23,663 करोड़ रुपये रहा। पिछले महीने एफपीआई ने भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 14,649 करोड़ रुपये डाले थे।
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कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख (बुनियादी शोध) रुस्मिक ओझा ने कहा कि इस महीने एफपीआई के प्रवाह में मुख्य वजह आम बजट और कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजे रहे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10 साल के बांड पर प्राप्ति बढ़ने से एफपीआई का प्रवाह सुस्त पड़ा है। उन्होंने कहा कि पूंजी प्रवाह में अमेरिका के 10 साल के बांड पर प्राप्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। मुद्रास्फीति को लेकर बांड पर प्राप्ति बढ़ रही है। इससे पूंजी का प्रवाह सुस्त पड़ेगा।
लॉकडाउन में महाराष्ट्र के 96 फीसदी लोगों की आमदनी में आई गिरावट: सर्वेक्षण
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 11:51
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‘अन्न अधिकार अभियान’ के लिए राज्य की समन्वयक मुक्ता श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है और लॉकडाउन हटने के पांच महीने बाद तक उनकी स्थिति ऐसी ही रही।’’
मुंबई। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र के करीब 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है। राज्य में ‘अन्न अधिकार अभियान’ के तहत किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। ‘अन्न अधिकार अभियान’ के लिए राज्य की समन्वयक मुक्ता श्रीवास्तव ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि आमदनी में कमी आने का मुख्य कारण नौकरियां जाना और कार्य की अनुपलब्धता थी।
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उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में शामिल हर पांचवें व्यक्ति को भोजन खरीदने के लिए पैसा नहीं होने के कारण भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ा। इस अभियान के तहत खाद्य एवं पोषण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने पिछले साल मई और सितंबर में मुंबई, ठाणे, रायगढ़, पुणे, नंदुरबार, सोलापुर, पालघर, नासिक, धुले और जलगांव में कुल 250 लोगों का सर्वेक्षण किया। केंद्र ने देश में कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसके कुछ महीने बाद प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी गई थी।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है और लॉकडाउन हटने के पांच महीने बाद तक उनकी स्थिति ऐसी ही रही।’’ उन्होंने बताया कि जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया है, उनमें से 52 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाके के रहने वाले हैं और शेष लोग शहरी इलाकों के रहने वाले हैं। इनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन से पहले करीब 70 प्रतिशत लोगों की मासिक आय सात हजार रुपए थी और शेष लोगों की मासिक आय तीन हजार रुपए थी।
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उन्होंने कहा, ‘‘पहले से ही इतनी कम आय में भी गिरावट इस बात को रेखांकित करती है कि संक्रमण का इन लोगों पर कितना बुरा असर पड़ा है।’’ उन्होंने बताया कि जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से करीब 49 प्रतिशत लोगों को भोजन खरीदने के लिए अपने मित्रों एवं संबंधियों से धन उधार लेना पड़ा। इन लोगों की लॉकडाउन के बाद की आय के बारे में पूछे जाने पर श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अप्रैल और मई में 43 प्रतिशत लोगों की कोई आय नहीं थी। केवल 10 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं, जिनकी आय लॉकडाउन से पहले वाले स्तर पर पहुंची है।’’
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की अप्रैल और मई में कोई आय नहीं थी, उनमें से 34 प्रतिशत लोगों की स्थिति सितंबर-अक्टूबर में भी ऐसी ही रही। श्रीवास्तव ने बताया कि सर्वेक्षण के अनुसार, भोजन खरीदने के लिए 12 प्रतिशत लोगों ने गहने और तीन प्रतिशत लोगों ने अपनी जमीन बेची।

