अपने सभी खनन वाहनों को बैटरी चालित में बदलने के लिए एक अरब डॉलर खर्च करेगी हिंदुस्तान जिंक

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चांदी की एकमात्र विनिर्माता और देश में देश में जस्ता और सीसा की सबसे बड़ी विनिर्माता उदयपुर की यह कंपनी प्रायोगिक आधार पर पहले से ही अपने 900 खनन वाहनों में से चार को बैटरी पर चला रही है।

जस्ता धातु की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी विनिर्माता वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक (एचजेडएल) अपने डीजल से चलने वाले खनन वाहनों को बैटरी चालित वाहनों में बदलने और अगले पांच वर्षों में खुद को पूरी तरह से हरित ऊर्जा उपयोगकर्ता के रूप में बदलने के लिए एक अरब डॉलर (लगभग 8,270 करोड़ रुपये) से अधिक का निवेश करने की योजना बना रही है। चांदी की एकमात्र विनिर्माता और देश में देश में जस्ता और सीसा की सबसे बड़ी विनिर्माता उदयपुर की यह कंपनी प्रायोगिक आधार पर पहले से ही अपने 900 खनन वाहनों में से चार को बैटरी पर चला रही है।

कंपनी के मुख्य कार्यपालकअधिकारी (सीईओ) अरुण मिश्रा ने सप्ताहांत में पीटीआई-से कहा, ‘‘2002 में सरकार द्वारा निजीकरण किए जाने पर एक लाख टन जस्ता के वार्षिक उत्पादन के साथ कंपनी को वैश्विक मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बावजूद मार्च तिमाही में स्थिर मांग रहने की उम्मीद है। सरकार अब भी नकदी संपन्न एचजेडएल में 29 प्रतिशत की मालिक है और इसके तीन बोर्ड सदस्य भी हैं। इसपर मिश्रा ने कहा कि उन्होंने हाल ही में नई दिल्ली में सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की और पूर्ण विनिवेश जल्द ही हो सकता है, लेकिन अभी इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।

मिश्रा ने कहा, ‘‘हमने अगले पांच साल में अपने सभी डीजल से चलने वाले 900 खनन वाहनों को बैटरीचालित वाहनों में बदलेंगे। इसके लिए एक अरब डॉलर से अधिक का निवेश करना होगा। हमने फिलहाल चार बैटरी से चलने वाले वाहन के साथ शुरुआत की है।’’ उन्होंने कहा कि यह परियोजना उनकी 2050 तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष बनने की योजना का हिस्सा है। एचजेडएल राजस्थान की अरावली पर्वतमाला के पांच जिलों में आठ खानों का संचालन करती है, जिसमें उदयपुर में ज़वार समूह की खदानें शामिल हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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