2021 में सुधारों की अगुवाई करेंगी श्रम संहिताएं, रोजगार के अवसर तैयार करने की बड़ी चुनौती

year 2021

साल 2021 में श्रम संहिताएं सुधारों की अगुवाई करेंगी। रोजगार के अवसर तैयार करने की बड़ी चुनौती होगी।सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया, जिसका आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा और इसके चलते बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों को अपने मूल स्थान की ओर पलायन करना पड़ा।

नयी दिल्ली। अगले साल एक अप्रैल से चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन से औद्योगिक संबंधों में सुधार की दिशा में एक नई शुरुआत होगी, जिससे अधिक निवेश जुटाने में मदद मिलेगी, हालांकि रोजगार सृजन का मुद्दा 2021 में भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बना रहेगा। कोविड-19 महामारी के चलते ये साल कार्यबल के साथ ही नियोक्ताओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहा है। सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया, जिसका आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा और इसके चलते बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों को अपने मूल स्थान की ओर पलायन करना पड़ा।

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कई प्रवासी मजदूरों ने अपनी नौकरी खो दी और उन्हें अपने मूल स्थानों से काम पर वापस लौटने में महीनों लग गए। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) की शोध शाखा के प्रमुख और पूर्व महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा कि भारत को बड़ी संख्या में श्रमिकों की नौकरी बहाल करने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा, जिन्होंने महामारी के कारण अपनी आजीविका खो दी। उन्होंने आगे कहा कि नई नौकरियां सृजित करना आसान नहीं होगा, क्योंकि महामारी के बीच अर्थव्यवस्था में गिरावट, ऑटोमेशन और ‘वर्क फ्रॉम होम’ जैसी नई अवधारणाओं से कई चुनौतियां पैदा हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार 2020 में कर्मचारियों और नियोक्ताओं को राहत देने के लिए जो कर सकती थी, उसने किया। उपाध्याय ने कहा कि महामारी के प्रभाव को देखते हुए अब नीति निर्माताओं को 2021 में लागू किए जाने वाली नई श्रम संहिताओं में जरूरी सुधार के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में समग्र खपत तब तक नहीं सुधरेगी, जब तक लोगों के पास रोजगार नहीं होगा और केवल उत्पादन को बढ़ावा देने से अर्थव्यवस्था को कोविड​​-19 से पहलेके स्तर पर लौटने में मदद नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार हालांकि महामारी के बीच तीन श्रम संहिताओं के लिेए संसद की मंजूरी पाने में सफल रही।

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इसके अलावा मजदूरी संहिता को पिछले साल संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था। सरकार ने इस साल हितधारकों की प्रतिक्रिया पाने के लिए तीन संहिताओं के मसौदा नियमों को अधिसूचित किया है और इस पर सुझाव देने की समय सीमा जनवरी के पहले सप्ताह में समाप्त हो जाएगी। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 24 दिसंबर को वेतन और औद्योगिक संबंधों के नियमों पर विचार-विमर्श के लिए एक त्रिपक्षीय बैठक बुलाई थी। अगली त्रिपक्षीय बैठक 12 जनवरी को सामाजिक सुरक्षा और ओएसएच पर संहिता पर विचार-विमर्श के लिए निर्धारित है। श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा ने पीटीआई-से कहा, ‘‘हम एक अप्रैल 2021 से चारों श्रम संहिताओं को लागू करना चाहते हैं। औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और ओएसएच संहिता पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की समयसीमा जनवरी में खत्म हो जाएगी।’’

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चंद्रा ने कहा कि इन चार संहिताओं के लागू कर सरकार निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के साथ ही श्रमिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना चाहती है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पीटीआई-को बताया, ‘‘मेरी कामना है कि नई श्रम संहिताओं के लागू होने के साथ ही नव वर्ष 2021 देश में विकास के एक नए युग की शुरूआत करेगा और यह मजदूरी सुरक्षा, काम करने का स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण, सामाजिक सुरक्षा और सामंजस्यपूर्ण औद्योगिक संबंध भी सुनिश्चित करेगा।’’ उन्होंने कहा कि हमारे 50 करोड़ कर्मचारियों के साथ ही उद्योग जगत के लिए यह वर्ष समृद्धि और विकास का होगा। उन्होंने कहा कि श्रम संहिताओं का मकसद वर्तमान श्रम कानूनों के जटिल ढांचे को सरल बनाकर रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना और साथ ही श्रमिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करना है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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