मैक्स लाइफ-एचडीएफसी लाइफ का प्रस्तावित विलय रद्द

Max India pulls out of HDFC Life merger deal
[email protected] । Jul 31 2017 3:29PM

मैक्स इंडिया ने मैक्स लाइफ एवं मैक्स फाइनेंसिसल सर्विसेज का एचडीएफसी स्टेण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंस के साथ प्रस्तावित विलय समझौते से कदम वापस खींच लिये हैं।

मैक्स इंडिया ने मैक्स लाइफ एवं मैक्स फाइनेंसिसल सर्विसेज का एचडीएफसी स्टेण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंस के साथ प्रस्तावित विलय समझौते से कदम वापस खींच लिये हैं। मैक्स लाइफ ने कहा है कि इसमें काफी देरी हो रही थी। मैक्स इंडिया ने बीएसई को भेजी सूचना में कहा है, ''मैक्स फाइनेंसियल सर्विसिज (एमएफएस), मैक्स इंडिया और मैक्स लाइफ आज इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनका एचडीएफसी लाइफ के साथ प्रस्तावित विलय समझौता समाप्त हो गया है। एचडीएफसी लाइफ के साथ इस संबंध में जो विशिष्टता समझौता किया गया था वह 31 जुलाई 2017 तक वैध है, इस समझौते को आगे नहीं बढ़ाया जायेगा।’’

इसमें आगे कहा गया है कि, ‘‘संभावित भागीदारों ने पिछले एक माह के दौरान इस संबंध में कई तरह के वैकल्पिक ढांचों को लेकर मूल्यांकन किया। लेकिन इस तरह के ढांचे को अंतिम रूप देने और उसके लिये मंजूरी लेने में लग रहे समय को देखते हुये इसे समाप्त करने का यह निर्णय लिया गया।’’ कंपनी ने कहा है कि वह अपने कारोबार के स्वयं विस्तार करने अथवा अधिग्रहण सहित अन्य तरीकों से आगे बढ़ने के लिये सक्रिय होकर निवेश करती रहेगी। इस महीने के प्रारंभ में एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस ने आईपीओ लाने का फैसला किया, लेकिन उसने नियामक मंजूरी नहीं मिलनें की वजह से मैक्स लाइस के साथ प्रस्तावित विलय स्थगित कर दिया।

पिछले महीने मैक्स इंडिया को इस प्रस्तावित विलय का पूरा यकीन था। उसने कहा था कि संबंधित पक्ष इस विलय पर कटिबद्ध हैं और वे इस योजना को इरडा से मंजूरी नहीं मिलने के बाद विभिन्न विकल्पों पर गौर कर रहे हैं। इरडा ने बीमा कारोबार का वित्तीय निकाय के साथ विलय के जटिल स्वभाव के चलते इस योजना को मंजूरी देने से मना कर दिया था। उसने कहा कि फिलहाल एचडीएफसी लाइफ के आईपीओ से पहले किसी ऐसी व्यवस्था की पहचान नहीं हुई है जिससे शेयरधारकों की जरुरतों को पूरा किया जाए। मूल योजना के अनुसार मैक्स इंडिया को मैक्स लाइफ इंश्योरेंस और मैक्स फाइनेंसियल सर्विसेज का विलय कर एक बड़ा निकाय बनाना था। बाद में इस निकाय के बीमा कारोबार को अलग किया जाना था ताकि उसे एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को स्थानांतरित करना था। लेकिन पूरी योजना भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) की मंजूरी नहीं ले पाई क्योंकि यह बीमा अधिनियम 1938 की धारा 35 के विरुद्ध थी। यह धारा बीमा कारोबार का गैर बीमा कंपनी के साथ विलय की इजाजत नहीं देती है।

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