प्राकृतिक गैस में biogas के मिश्रण से 1.17 अरब डॉलर की विदेशी पूंजी बचेगीः IBA

Indian Biogas Association
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बायोगैस का उत्पादन कृषि अपशिष्ट, शहरी ठोस अपशिष्ट और खाद्य अपशिष्ट जैसे विभिन्न जैविक अपशिष्ट स्रोतों से किया जा सकता है। सरकार का अनुमान है कि सीबीओ योजना लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को बढ़ावा देगी और वर्ष 2028-29 तक 750 संपीडित बायो गैस (सीबीजी) परियोजनाएं स्थापित करने में मदद करेगी।

नयी दिल्ली। देश भर में आपूर्ति की जाने वाली प्राकृतिक गैस में पांच प्रतिशत बायोगैस के मिश्रण से सालाना 1.17 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बचाई जा सकेगी। इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने एक अध्ययन में यह कहा। सरकार ने संपीडित बायोगैस सम्मिश्रण दायित्व (सीबीओ) योजना के तहत पीएनजी में एक अप्रैल, 2025 से एक प्रतिशत बायोगैस का मिश्रण अनिवार्य करने का हाल ही में फैसला किया है।

पाइपलाइन वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) में बायोगैस के मिश्रण को वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहल भारत को गैस-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सरकार के व्यापक कदम के अनुरूप है। इसका लक्ष्य ऊर्जा मिश्रण में गैस की मौजूदा हिस्सेदारी को छह प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 प्रतिशत करना है। आईबीए का कहना है कि प्राकृतिक गैस में बायोगैस के पांच प्रतिशत मिश्रण से 1.17 अरब डॉलर का एलएनजी आयात घटाया जा सकता है।

इससे प्रति व्यक्ति कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन में भी दो प्रतिशत की कमी आ सकती है। इसके साथ ही जैविक कचरे को कूड़ाघरों में जाने से भी रोका जा सकेगा जिसके कई लाभ हो सकते हैं। बायोगैस का उत्पादन कृषि अपशिष्ट, शहरी ठोस अपशिष्ट और खाद्य अपशिष्ट जैसे विभिन्न जैविक अपशिष्ट स्रोतों से किया जा सकता है। सरकार का अनुमान है कि सीबीओ योजना लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को बढ़ावा देगी और वर्ष 2028-29 तक 750 संपीडित बायो गैस (सीबीजी) परियोजनाएं स्थापित करने में मदद करेगी।

आईबीए के मुताबिक, बायोगैस के मिश्रण से भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा क्योंकि वह फिलहाल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित प्राकृतिक गैस पर बहुत अधिक निर्भर है। पीएनजी और सीबीजी के साथ बायोगैस का मिश्रण इस निर्भरता को कम करने में मददगार हो सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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