UPI Goes Global: अब इंडिया में बैठकर अमेरिका में करें शॉपिंग, NPCI ने मिलाया इस कंपनी से हाथ, मस्क से है कनेक्शन

अभी तक इसके लिए विदेशी सर्विसेज पर ही निर्भर रहना पड़ता था और इसके लिए यूजर के पास खास कार्ड और अकाउंट्स का होना जरूरी होता था। पेपल के नए प्लेटफॉर्म में यूपीआई के आने से घर बैठे विदेशों में शॉपिंग कर पाना अब चुटकियों का खेल रह जाएगा।
ग्लोबल पेमेंट फर्म पेपल ने ऐलान किया कि उसने नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के साथ एक टाई-अप किया है। यह टाई-अप पेपल वर्ल्ड के प्लैटफॉर्म पर यूपीआई को इंटीग्रेट करने के लिए है जिससे इंटरनैशनल पेमेंट आसानी से हो सके। कंपनी ने कई ग्लोबल पार्टनरशिप का ऐलान किया है और यह उसी का एक हिस्सा है। अभी तक इसके लिए विदेशी सर्विसेज पर ही निर्भर रहना पड़ता था और इसके लिए यूजर के पास खास कार्ड और अकाउंट्स का होना जरूरी होता था। पेपल के नए प्लेटफॉर्म में यूपीआई के आने से घर बैठे विदेशों में शॉपिंग कर पाना अब चुटकियों का खेल रह जाएगा।
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इस डेवलपमेंट पर बोलते हुए एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड के एमडी और सीईओ रितेश शुक्ला ने कहा कि पेपाल वर्ल्ड के प्लेटफॉर्म पर यूपीआई का एकीकरण यूपीआई के वैश्विक विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह सीमा पार भुगतान को और अधिक सहज, सुरक्षित और समावेशी बनाने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह सहयोग विदेशों में भुगतान करने वाले भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधा बढ़ाएगा और वैश्विक व्यवसायों और व्यापारियों को यूपीआई उपयोगकर्ताओं के बढ़ते आधार का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा।
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यह प्लेटफॉर्म पेपल और वेनमो के बीच इंटरऑपरेबिलिटी प्रदान करके शुरुआत करेगा और इसके शुरुआती लॉन्च में यूपीआई को शामिल करेगा। इसका मतलब है कि भारतीय उपभोक्ता अब अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों से खरीदारी कर सकते हैं और उस यूपीआई विकल्प का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं। पेपल होल्डिंग्स इंक की भारतीय सहायक कंपनी, पेपाल पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (पेपाल) को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पेमेंट एग्रीगेटर-क्रॉस बॉर्डर-एक्सपोर्ट्स (पीए-सीबी-ई) के रूप में काम करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के एक महीने बाद यह विकास हुआ है। बता दें कि एलन मस्क ने साल 1999 में एक ऑनलाइन पेमेंट कंपनी बनाई थी। इसका नाम एक्स डॉट कॉम था। यह कंपनी बाद में कन्फिनिटी नाम की दूसरी फर्म के साथ मर्ज हो गई थी। यही फर्म आगे चलकर पेपाल बनी।
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