बीते सप्ताह पामोलीन तेल में सुधार, अन्य तेलों में गिरावट

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इस दौरान बिनौला तेल भी 100 रुपये घटकर 8,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सूत्रों ने कहा कि सरकार एक सरकारी पोर्टल पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की नियमित अधिसूचना अनिवार्य करके उपभोक्ताओं को मनमानी वसूली से कुछ राहत दे सकती है। खाद्य तेलों की महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को राशन के दुकानों के जरिये भी खाद्यतेल वितरण का रास्ता अख्तियार करना चाहिये।

बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में पामोलीन दिल्ली और पामोलीन एक्स-कांडला तेल के दाम में सुधार देखने को मिला जबकि बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि देशी मूंगफली, सरसों, बिनौला और सूरजमुखी तेल की पेराई करने वाली मिलों को पेराई करने में 5-10 रुपये किलो तक का नुकसान है। सस्ते आयातित तेलों के आगे इन देशी तेलों की खपत मुश्किल है लेकिन इस तरफ तेल संगठनों सहित किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि पहले सोयाबीन और पाम एवं पामोलीन तेल के भाव का अंतर 200-250 डॉलर का था जो अब घटकर 50-60 डॉलर रह गया है।

सोयाबीन तेल के दाम पिछले सप्ताह एक सप्ताह पहले के 955-960 डॉलर से घटकर 930-932 डॉलर रह गए। इसकी तुलना में पाम-पामोलीन तेल के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले काफी कम घटे हैं और इसका भाव फिलहाल लगभग 860-880 डॉलर प्रति टन है। इस वजह से पामोलीन तेल के भाव में सुधार है। उन्होंने कहा कि देश में पाम और पामोलीन तेल का आयात करने में 2-2.5 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो रहा है। इन तेलों का आयात भाव लगभग 83 रुपये प्रति किलो है और बंदरगाहों पर यह 80-81 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है। सोयाबीन के मुकाबले मलेशिया में पाम एवं पामोलीन का बाजार मजबूत होने से समीक्षाधीन सप्ताह में पाम एवं पामोलीन तेल में सुधार रहा।

सूत्रों ने कहा कि अर्जेन्टीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल का आयात करने में लगभग दो महीने लगते हैं और देश में जो आयातक अपना ‘लेटर आफ क्रेडिट’ या ऋण साख-पत्र (एलसी) घुमाने को मजबूर हैं, उन्हें पाम-पामोलीन का आयात करने में सुविधा होती है क्योंकि मलेशिया से इसके आने में 10-15 दिन ही लगते हैं। इस वजह से पाम पामोलीन की मांग बढ़ी है जो इनकी कीमतों में सुधार का मुख्य कारण है। पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 5 रुपये की मामूली गिरावट के साथ 5,295-5,345 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 100 रुपये घटकर 9,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15 और 25 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 1,665-1,760 रुपये और 1,665-1,765 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 55-55 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,945-4,995 रुपये प्रति क्विंटल और 4,745-4,795 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 75 रुपये, 75 रुपये और 150 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 9,650 रुपये और 9,500 रुपये और 7,925 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 150 रुपये, 300 रुपये और 40 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 6,725-6,800 रुपये क्विंटल, 15,700 रुपये क्विंटल और 2,345-2,620 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 7,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर अपरिवर्तित रहा। पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 8,900 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 125 रुपये के लाभ के साथ 8,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इस दौरान बिनौला तेल भी 100 रुपये घटकर 8,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सूत्रों ने कहा कि सरकार एक सरकारी पोर्टल पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की नियमित अधिसूचना अनिवार्य करके उपभोक्ताओं को मनमानी वसूली से कुछ राहत दे सकती है। खाद्य तेलों की महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को राशन के दुकानों के जरिये भी खाद्यतेल वितरण का रास्ता अख्तियार करना चाहिये।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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