आरबीआई गवर्नर ने बैकों से कहा, तनाव छिपाएं नहीं, कर्ज को समुचित अवधि के लिए ही बढ़ाएं

Governor Shaktikanta Das
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यह कुछ ऐसा मुद्दा है जिस पर बैंक के निदेशक मंडल को बकाया अवधि और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखते हुए विचार करना होगा। राव ने कहा कि उचित ऋण-अवधि के बारे में निदेशक मंडल को तय करना होगा। उस अवधि से अधिक विस्तार को अनुचित माना जाएगा लेकिन इसे परिभाषित करने का काम संस्थान पर छोड़ दिया गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को बैंकों से कहा कि उन्हें कर्जों में आए तनाव को छद्मावरण से छिपाना नहीं चाहिए और कर्ज भुगतान को युक्तिसंगत अवधि के लिए ही बढ़ाना चाहिए। दास ने यहां आरबीआई मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि ऋण अवधि बढ़ाते समय कर्जदारकी उम्र और कर्ज लौटाने की उसकी क्षमता पर भी गौर किया किया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि आरबीआई यह परिभाषित नहीं करना चाहता कि उचित अवधि क्या होती है। खुदरा ऋण, खासकर आवास जैसे लंबी अवधि के ऋण परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) दर पर आवंटित होते हैं।

ऐसे में पिछले सवा साल में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने से ऐसे कई कर्जों को ब्याज भुगतान बढ़ने की वजह से लंबी अवधि के लिए बढ़ाया जा रहा है।इस संदर्भ में आरबीआई गवर्नर ने कहा, अनावश्यक लंबी अवधि से बचना जरूरी है क्योंकि यह कभी-कभी किसी विशेष ऋण में अंतर्निहित तनाव को छिपा सकता है। उन्होंने कहा कि कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाने का मामला अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकता है और बैंकों को ऐसे मामलों पर व्यक्तिनिष्ठ आधार पर निर्णय लेना होगा।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा, हम भुगतान अवधि के अनुचित विस्तार को परिभाषित करने पर विचार नहीं कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा मुद्दा है जिस पर बैंक के निदेशक मंडल को बकाया अवधि और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखते हुए विचार करना होगा। राव ने कहा कि उचित ऋण-अवधि के बारे में निदेशक मंडल को तय करना होगा। उस अवधि से अधिक विस्तार को अनुचित माना जाएगा लेकिन इसे परिभाषित करने का काम संस्थान पर छोड़ दिया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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