Modi की पहल से 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकता है भारत : Report

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अमेरिका के एक शीर्ष शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में बड़े विस्तार से आयात में अरबों डॉलर की बचत होगी।

दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के कारण स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकती है। अमेरिका के एक शीर्ष शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में बड़े विस्तार से आयात में अरबों डॉलर की बचत होगी।

सरकार द्वारा वित्तपोषित शोध एवं विकास केंद्र लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी ने ‘द इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (आईईसीसी)’ के साथ मिलकर ‘आत्मनिर्भर भारत का रास्ता’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें भारत द्वारा स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला गया है। भारत अपनी कच्चे तेल और कोयले की 80 से 85 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है। वैश्विक ऊर्जा बाजार में इनकी कीमत और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है।

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि स्वच्छ ऊर्जा की कीमतों में हाल ही में नाटकीय ढंग से आई कमी से भारत को अक्षय ऊर्जा, बैटरी भंडारण और हरित हाइड्रोजन में निवेश के माध्यम से ऊर्जा आयात को कम करने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री मोदी पहले से ही 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य तय कर चुके हैं। सरकार 2030 तक निजी कारों में 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी चाहती है। वाणिज्यिक वाहनों में 70 प्रतिशत और दोपहिया के लिए यह लक्ष्य 80 प्रतिशत का है।

इसके चलते सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने को प्रयासरत है। इसके साथ ही, भारत नवीकरणीय स्रोतों से बिजली का उपयोग करके 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि असीमित सौर ऊर्जा और स्थानीय प्रौद्योगिकी से इसमें मदद मिलेगी और कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है।

रिपोर्ट के अनुसार, ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के तहत नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और हरित हाइड्रोजन में निवेश, सौर व पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन के साथ-साथ पेट्रोल और डीजल जैसे तरल ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही बिजली से चार्ज होने वाली बैटरी के उपयोग से कोयला आधारित उत्पादन से दूर जाने में मदद मिलेगी। शून्य-कार्बन हाइड्रोजन भारतीय उद्योग को कार्बन-रहित करेगा, उत्सर्जन में कटौती करेगा और आयातित ईंधन पर निर्भरता कम करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया, “इसमें 2030 तक 500 गीगावॉट से अधिक गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने की जरूरत होगी। साथ ही 2040 तक 80 प्रतिशत और 2047 तक 90 प्रतिशत स्वच्छ ग्रिड स्थापित करना शामिल होगा। 2035 तक नए वाहनों की बिक्री का लगभग 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक हो सकता है। रिपोर्ट कहती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के आने से कच्चे तेल के आयात को 2047 तक 90 प्रतिशत (या 240 अरब डॉलर) तक कम किया जा सकता है, जबकि हरित हाइड्रोजन आधारित और विद्युतीकृत औद्योगिक उत्पादन औद्योगिक कोयले के आयात को 95 प्रतिशत कम कर देगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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