लाल सागर संकट से ढुलाई दरें 600 प्रतिशत तक बढ़ी, भारतीय शिपिंग लाइन जरूरीः निर्यातक

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उन्होंने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र को ऐसी शिपिंग लाइन के विकास का हिस्सा बनाया जा सकता है क्योंकि इससे विदेशी शिपिंग लाइन बेजा फायदा नहीं उठा पाएंगी। यूरोप के साथ भारत का लगभग 80 प्रतिशत व्यापार लाल सागर से होकर गुजरता है और अमेरिका के साथ भी बड़ा व्यापार इसी मार्ग से होता है। देश के कुल निर्यात में इन दोनों भौगोलिक क्षेत्रों की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत है।

लाल सागर में संकट पैदा होने से समुद्री मार्ग से माल ढुलाई की दरें 600 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं जिससे विश्व व्यापार को नुकसान होगा। भारतीय निर्यातकों ने यह आशंका जताते हुए कहा है कि सरकार को वैश्विक स्तर की अपनी खुद की शिपिंग लाइन शुरू करनी चाहिए। भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने मंगलवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में आयोजित व्यापार बोर्ड (बीओटी) की बैठक में माल ढुलाई वृद्धि के मुद्दे को उठाया। सहाय ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मुद्दा है और यह समस्या विभिन्न देशों में मुद्रास्फीति को बढ़ाने के अलावा वस्तुओं की वैश्विक मांग को नुकसान पहुंचाएगी।’’

लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास हुती विद्रोहियों ने कई हमले किए हैं जिससे इस मार्ग से होने वाले समुद्री व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ा है। संभावित हमलों से बचने के लिए जहाजों को अफ्रीका के दक्षिणी सिरे केप ऑफ गुड होप से होकर गुजरना पड़ रहा है। इससे माल पहुंचने में लगभग 14-20 दिन की देरी हो रही है और ढुलाई के साथ बीमा लागत भी बढ़ गई है। सहाय ने कहा, ‘‘कुछ स्थानों पर माल ढुलाई दरें 600 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। ऐसी स्थिति में हम वैश्विक ख्याति वाली भारतीय शिपिंग लाइन विकसित करने का अनुरोध करते हैं।’’ फियो महानिदेशक ने कहा, ‘‘हमने 2021 में परिवहन सेवा शुल्क के रूप में 80 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान किया था। देश का निर्यात एक लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य की तरफ बढ़ने के साथ हमारा ढुलाई भुगतान वर्ष 2030 तक 200 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा।

अगर इसमें भारतीय शिपिंग लाइन की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रहती है तो 50 अरब डॉलर की बचत हो सकती है।“ उन्होंने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र को ऐसी शिपिंग लाइन के विकास का हिस्सा बनाया जा सकता है क्योंकि इससे विदेशी शिपिंग लाइन बेजा फायदा नहीं उठा पाएंगी। यूरोप के साथ भारत का लगभग 80 प्रतिशत व्यापार लाल सागर से होकर गुजरता है और अमेरिका के साथ भी बड़ा व्यापार इसी मार्ग से होता है। देश के कुल निर्यात में इन दोनों भौगोलिक क्षेत्रों की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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